नई दिल्ली : नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 से पहले प्रमुख सवाल यह उठता है कि भारत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव कितना महत्वपूर्ण है या बढ़ते भारतीय अमेरिकी समुदाय को कितना प्रभावित करेगा ? दूसरी बात यह भारत-अमेरिका के बीच पहले से मौजूद द्विपक्षीय संबंधों को किस तरह प्रभावित करेगा? ट्रंप की जीत से अमेरिका-भारत संबंधों के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा ? और बाइडेन की जीत से क्या असर पड़ेगा?
ईटीवी भारत से बात करते हुए, पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि जहां तक अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी का विषय है भारत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी पार्टी सत्ता में आती है.
पिछले 20 वर्षों में हमने देखा है कि भारत-अमेरिका संबंध हमेशा आगे की ओर बढ़ता रहा है. हमने यह देखा है कि 2001 से जब डेमोक्रेट पार्टी के बिल क्लिंटन सत्ता में थे या 8 साल तक जॉर्ज बुश जो कि रिपब्लिकन थे, फिर 8 साल तक बराक ओबामा जो कि डेमोक्रेट थे या फिर 4 सालों से ट्रंप जो कि डेमोक्रेट हैं. डेमोक्रेट हो या रिपब्लिकन इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ता.
नए संबंध बनाने और पहले से मौजूद द्विपक्षीय संबंधों को एक नई सीमा तक ले जाना दो पूरी तरह से अलग पहलू हैं. लेकिन ये दोनों एक ही पंक्ति में आएंगे जब दो महीने बाद राष्ट्रपति चुनाव हो जाएंगे.
भारत-अमेरिकी संबंध साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, द्विपक्षीय वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हितों के बढ़ते एकीकरण के आधार पर विकसित हुए हैं. विश्लेषकों का यह भी कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दोनों राष्ट्रों के बीच संबंध और अधिक मजबूत होंगे. भारत में एक सुनहरा दौर आने वाला है चाहे डोनाल्ड ट्रंप जीतें या जो बाइडेन.
थिंक टैंक के एक विशेषज्ञ राहुल भोंसले ने कहा कि भारत-अमेरिका के संबंध को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी है और आगे भी जारी रहेगी. निश्चित रूप से कुछ चिंताएं होंगी क्योंकि जो बाइडेन के भारत में होने वाली कुछ घटनाओं पर जैसे कि कश्मीर मुद्दे पर अपने अलग विचार हैं. लेकिन इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
संयुक्त राज्य में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के अपने-अपने अलग विचार है. उदाहरण के लिए रूस और चीन के लिए उनके विचारों में मतभेद है लेकिन, जहां तक भारत का संबंध है दोनों के विचार एक हैं. यह भारत के लिए अच्छी बात है. इससे अमेरिकी राजनीति और अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
भारत मुख्य रूप से महत्वपूर्ण कारक है जो दोनों विरोधी पार्टियों को लुभाता रहा है. जहां तक भारत-अमेरिका संबंध पर राष्ट्रपति चुनावों के प्रभाव का संबंध है इससे भारत- अमेरिक संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने वाला बल्कि, यह आगे ही बढ़ता रहेगा.
सज्जनहार ने कहा कि दोनों देशों की लोकतंत्र, कानून के शासन, अर्थव्यवस्थाओं आदि के संदर्भ में एक जैसी विचारधारा है. दोनों देश 60-70 परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनमें ऊर्जा, कृषि, शिक्षा आदि शामिल है.
दूसरे, सामरिक संदर्भ में, हमने चीन के उदय को देखा है और यह भी देखा कि कैसे अमेरिका ने इसके खिलाफ खुद को खड़ा किया है और दूसरी तरफ भारत ने भी चीन के साथ अपने मुद्दे उठाए हैं. इसलिए दोनों देशों की सोच बहुत मेल खाती है.
सज्जनहार ने कहा कि ट्रंप पाकिस्तान को जा रहे गठबंधन सहायता कोष को रोकने में सक्षम रहे हैं और भारत की मसूद अजहर को आतंकवादी के रूप में नामित करने में मदद की है. उन्होंने जो कड़ा रुख अपनाया है, मुझे नहीं लगता कि किसी अन्य अमेरिकी राष्ट्रपति ने अब तक लिया है.
यह भी देखा जाता है कि जो बाइडेन ओबामा काल के अपने उपराष्ट्रपति के दौरान भारत-अमेरिका की बढ़ती साझेदारी के लिए अपने योगदान के लिए याद किए जाते हैं. उन्होंने महसूस किया कि वह भारत के लिए नए नहीं होंगे और अपने पिछले विश्वासों पर आगे बढ़ेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ भारतीय मूल की सीनेटर कमला हैरिस का चयन के रूप में आया है जो अमेरिकी चुनावों में बाइडेन की साथी हैं.
थिंक टैंक के विशेषज्ञ राहुल भोंसले ने दृढ़ता से कहा कि अमेरिकन-भारतीयों का वोट बाइडेन और कमला हैरिस के लिए एक महत्वपूर्ण कारक होने जा रहा है, जिसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा और अगर डेमोक्रेट्स सत्ता में आते हैं, तो यह अमेरिकी प्रणाली में भारतीय आवाज के लिए एक अच्छी बात होगी.
यह पूछे जाने पर कि भारत के लिए बाइडेन कैसे होंगे तो सज्जनहार ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध अच्छे बने रहेंगे हालांकि, इसके दो-तीन पहलू हो सकते हैं. अनुच्छेद 370 या सीएए जैसे भारत में आंतरिक मुद्दों के संदर्भ में, ट्रंप प्रशासन ने भारत में विश्वास दिखाया है. अब अगर जो बाइडेन सत्ता में आते हैं तो स्थिति में कुछ बदलाव हो सकते हैं क्योंकि, डेमोक्रेट्स के अपने विचार हैं.
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने पहले दोहराया था कि उनका प्रशासन भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने के लिए उच्च प्राथमिकता देगा. दूसरी ओर, ट्रंप इस साल के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रपति चुनाव से पहले लाखों अमेरिकन भारतीयों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
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