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NRC भविष्य का मूल दस्तावेज, मीडिया की कुछ रिपोर्टिंग से बिगड़े हालात : सीजेआई

सीजेआई रंजन गोगोई रविवार को नयी दिल्ली में पुस्तक 'पोस्ट कॉलोनियल असम' के विमोचन समारोह में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) पर एक बड़ा बयान दिया. जानें क्या कुछ कहा सीजेआई ने...

सीजेआई रंजन गोगोई
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Published : Nov 3, 2019, 4:16 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को भविष्य के लिए आधार दस्तावेज बताया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एनआरसी लागू किये जाने के दौरान कुछ मीडिया संस्थानों की गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से हालात बिगड़े. चीफ जस्टिस ने रविवार को यहां एक पुस्तक 'पोस्ट कॉलोनियल असम' के विमोचन कार्यक्रम में ये उद्गार व्यक्त किये.

जस्टिस गोगोई ने कहा, 'यह चीजों को उचित परिप्रेक्ष्य में रखने का एक अवसर है. एनआरसी आज का नहीं बल्कि भविष्य का दास्तावेज है.साथ ही उन्होंने कहा कि 19 लाख या 40 लाख लोगों की बात नहीं है. यह भविष्य के लिए मूल दस्तावेज है, जो आगे चलकर लोगों के दावों का आधार बन सकता है.

ये भी पढ़ें : 17 नवंबर को CJI होंगे सेवानिवृत्त, इससे पहले कई अहम मामलों पर सुना सकते हैं फैसला

उन्होंने कहा, 'कुछ मीडिया आउटलेट्स द्वारा गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से स्थिति और खराब हो गई. कुछ हद तक अवैध प्रवासियों की संख्या का पता लगाने की तत्काल आवश्यकता थी, जो कि एनआरसी को लागू करने के मौजूदा प्रयास का हिस्सा था और इसमें कुछ भी कम या ज्यादा नहीं होना था.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को भविष्य के लिए आधार दस्तावेज बताया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एनआरसी लागू किये जाने के दौरान कुछ मीडिया संस्थानों की गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से हालात बिगड़े. चीफ जस्टिस ने रविवार को यहां एक पुस्तक 'पोस्ट कॉलोनियल असम' के विमोचन कार्यक्रम में ये उद्गार व्यक्त किये.

जस्टिस गोगोई ने कहा, 'यह चीजों को उचित परिप्रेक्ष्य में रखने का एक अवसर है. एनआरसी आज का नहीं बल्कि भविष्य का दास्तावेज है.साथ ही उन्होंने कहा कि 19 लाख या 40 लाख लोगों की बात नहीं है. यह भविष्य के लिए मूल दस्तावेज है, जो आगे चलकर लोगों के दावों का आधार बन सकता है.

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उन्होंने कहा, 'कुछ मीडिया आउटलेट्स द्वारा गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से स्थिति और खराब हो गई. कुछ हद तक अवैध प्रवासियों की संख्या का पता लगाने की तत्काल आवश्यकता थी, जो कि एनआरसी को लागू करने के मौजूदा प्रयास का हिस्सा था और इसमें कुछ भी कम या ज्यादा नहीं होना था.

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