नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वैध ठहराने की स्थिति में अगर किसी मुसलमान को हिरासत शिविर में भेजा जाता है तो देश में विशाल जनांदोलन होना चाहिए.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में चिदंबरम ने कहा कि असम में एनआरसी के बाद 19 लाख लोगों का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन से बाहर रहने के बाद सरकार सीएए लेकर आई ताकि इनमें से 12 लाख हिंदुओं को नागरिकता दी जाए.
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उनका विरोध नहीं है बल्कि इस कानून में किसे बाहर रखा गया है, उसका विरोध है. इस कानून से भारत की नागरिकता पर हमला किया गया है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बुधवार को जेएनयू में सीएए-एनआरसी से जुड़े एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान ये विचार व्यक्त किए
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा, 'सीएए का कानूनी रूप से विरोध किया जाना चाहिए. हमें भरोसा है कि उच्चतम न्यायालय इस कानून को खत्म करेगा.'
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (एनपीआर) का राजनीतिक विरोध किया जाना चाहिए. हमें उन सभी लोगों का समर्थन चाहिए, जो इसका विरोध कर रहे हैं. हम सरकार को कानून वापस कराने में सक्षम होंगे.'
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एक छात्र ने सवाल किया कि अगर सीएए को सर्वोच्च न्यायालय वैध ठहराता है तो फिर आगे क्या कदम हो सकता है तो चिदंबरम ने कहा, '(ऐसी स्थिति में) सूची से बाहर रहने वालों में मुस्लिम होंगे और उनकी पहचान करने, बाहर निकालने या राष्ट्रविहीन घोषित करने का प्रयास होगा. ऐसे में अगर किसी मुसलमान को बाहर निकाला जाता है अथवा उन्हें हिरासत शिविर में रखा जाता है तो विशाल जनांदोलन होना चाहिए.'
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मानन है कि सीएए को निरस्त किया जाना चाहिए और राजनीतिक संघर्ष होना चाहिए ताकि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को 2024 के आगे ढकेला जा सके.
गौरतलब है कि इस विषय पर पी चिदंबरम ने बुधवार को ट्विटर पर जानकारी दी थी कि वह जेएनयू जाएंगे.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन अब भी जारी है. इस बीच बुधवार को कई संगठनों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन (एनआरसी) और एनपीआर पर विरोध मार्च निकाला था.