नई दिल्ली: शैक्षणिक सत्र 2020-21 में दाखिले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय में स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हुई. जिसमें कई अहम फैसले लिए गए हैं जबकि कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 20 जून से शुरू होगी जो 4 जुलाई तक चलेगी.
वहीं कोरोना वायरस की वजह से ईडब्ल्यूएस, एससी/ एसटी/ ओबीसी और दिव्यांग श्रेणी के आवेदनकर्ता छात्रों से कैंसिलेशन फीस न लेकर उन्हें तीन मूवमेंट तक छूट देने की मांग की गई थी पर इसे मान्य नहीं किया गया. इसके अलावा कुछ अहम फैसलों को मंजूरी दे दी गई है जिसके तहत नेम या सरनेम में स्पेलिंग मिस्टेक की वजह से किसी छात्र का एडमिशन रद्द नहीं होगा. एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटी ( ईसीए ) के तहत एडमिशन नहीं होगा. इसके अलावा स्पोर्ट्स ट्रायल भी नहीं होगा बल्कि छात्रों को सर्टिफिकेट के आधार पर एडमिशन मिल जाएगा.
अकादमिक काउंसिल के सदस्य डॉ. अरुण कुमार अत्रि ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सभी पाठ्यक्रमों के लिए 20 जून से शुरू होगी जो कि 4 जुलाई तक जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि सीबीएसई का रिजल्ट घोषित होने के बाद पोर्टल पर छात्र अपने अंक दोबारा अपडेट कर सकेंगे. साथ ही इस समिति में एससी/एसटी/ ओबीसी/ ईडब्ल्यूएस और पीडब्ल्यूडी छात्रों से एक हज़ार रुपए का कैंसिलेशन शुल्क ना लेने का प्रस्ताव दिया गया था. इसको लेकर कोरोना समय की आपातकालीन स्थिति का हवाला भी दिया गया था.
साथ ही यह मांग की गई थी कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को तीन बार तक कॉलेज बदलने की छूट दी जाए और उनसे किसी तरह का कैंसिलेशन चार्ज न लिया जाए. लेकिन कुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने इसका विरोध किया और कहा कि इस तरह की छूट देने से छात्र एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज भागते रहेंगे और सारी दाखिला प्रक्रिया बाधित होगी. लिस्ट बी में मैथमेटिक्स के साथ अप्लाइड मैथमेटिक्स और स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स को भी शामिल किए जाने पर सहमति बन गई है जिससे ढाई प्रतिशत का छात्रों को नुकसान नहीं होगा.
इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया है कि बीए ऑनर्स फिलॉसफी और बीए ऑनर्स सोशल वर्क में दाखिले के लिए छात्रों को बेस्ट 4 विषयों में फिलॉस्फी और सोशल वर्क शामिल करना जरूरी नहीं होगा. समिति में इस बात पर भी सहमति बन गई है कि छात्रों द्वारा ऑनलाइन जमा किए गए सभी दस्तावेजों को मंजूरी मिलने के बाद कॉलेज में एडमिशन के समय उन्हें नकारा नहीं जा सकता जब तक कि दस्तावेज नकली नहीं पाए जाते. हालांकि संदेह होने पर कॉलेज अन्य जानकारियां फोन या ईमेल के जरिए छात्रों से ले सकेगा.
साथ ही यह भी कहा गया है कि एससी/ एसटी/ ओबीसी/ ईडब्ल्यूएस और पीडब्ल्यूडी प्रमाण पत्रों में छात्रों के नाम या उपनाम में यदि कोई गलती होती है तो उसके आधार पर दाखिला खारिज नहीं किया जा सकता बल्कि अन्य दस्तावेजों से नाम की जांच की जा सकेगी. साथ ही जाति प्रमाण पत्र को लेकर भी सहमति बन गई है जिसके तहत यदि छात्र का जाति प्रमाण पत्र पुराना है तो भी उसे मान्य किया जाए जबकि आय प्रमाण पत्र नया बना होना चाहिए.
इसके अलावा अंडर ग्रेजुएट इनफॉरमेशन बुलिटिन में मान्यता प्राप्त बोर्ड की सूची जारी की जाने की भी बात कही गई है जिससे कॉलेज की एडमिशन समिति यह जान सके कि कौन से बोर्ड नकली है और कौन से मान्यता प्राप्त. डॉक्टर अत्रि ने ये भी कहा कि इस बार एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी के तहत एडमिशन नहीं होंगे जबकि एनसीसी और एनएसएस के छात्रों का सर्टिफिकेट के आधार पर एडमिशन होगा लेकिन कोई ट्रायल नहीं लिया जाएगा.