हैदराबाद : पश्चिम बंगाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी साल 1999 में पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए थे. तब से वह संसदीय राजनीति में सक्रिय हैं. राष्ट्रीय राजनीति के परिदृष्य में आने से पहले अधीर रंजन पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य रहे.
पश्चिम बंगाल की राजनीति में अपनी छाप छोड़ने वाले चौधरी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव 2019 के बाद अधीर रंजन चौधरी का राजनीतिक कद उस समय और बढ़ गया, जब उन्हें लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता की जिम्मेदारी सौंपी गई.
बहरामपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ईटीवी भारत के न्यूज को-ऑर्डिनेटर दिपांकर बोस के साथ एक खास इंटरव्यू में देश और पश्चिम बंगाल के मौजूदा मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद, लॉकडाउन और प्रवासी मजदूरों के मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर प्रहार किया.
लद्दाख गतिरोध पर बात करते हुए चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार पिछले एक महीने से सामरिक और रणनीतिक रूप से अतिमहत्वपूर्ण इस क्षेत्र पर मौन है. पूर्व लद्दाख में अतिक्रमण हुआ है और सैन्य विशेषज्ञ इस मुद्दे पर सरकार को चेतावनी दे रहे हैं. सरकार को यह समझने की आवश्यकता है कि लोग बेचैन हैं, वे जानना चाहते हैं कि वास्तव में पूर्वी लद्दाख में क्या हो रहा है. अगर प्रधानमंत्री हर महत्वपूर्ण घटना पर राष्ट्र को संबोधित कर सकते हैं, तो मुझे लगता है कि यह मुद्दा भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
श्रमिक ट्रेनों को डेथ पार्लर कहने के अलावा कोई दूसरा शब्द नहीं
कांग्रेस नेता ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में कुप्रबंधन पर भी मुखर होकर बात की. एक सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा, 'यह रेलवे का पूर्णतया कुप्रबंधन है और योजना की कमी है. जब ट्रेनों ने गरीब और कमजोर प्रवासी कामगारों को लेकर चक्कर लगाना शुरू किया, तो सरकार ने ट्रेनों में यात्रा करने वालों की दुर्दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया. कई घंटों तक ट्रेनें खड़ी रहती थीं, इसके कारण भीषण गर्मी में मजदूरों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. इसके परिणामस्वरूप लगभग 90 लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौतें हुईं. हमारे पास इन ट्रेनों को डेथ पार्लर कहने के अलावा कोई दूसरा शब्द नहीं है.'
चौधरी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने लॉकडाउन और प्रवासी मजदूरों को लेकर पर्याप्त योजना नहीं बनाई थी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को लेकर कभी गंभीर नहीं थी. बेबस लोग अपने घरों को लौट रहे हैं. उनकी उम्मीद टूट गई थी. सरकार की तरफ से किसी ने भी उन्हें आश्वस्त नहीं किया. डर के मारे वे सड़कों पर उतर आए और पैदल व साइकिल से अपने वतन की ओर चल दिए. यह सब केवल एक अनियोजित लॉकडाउन का कारण हुआ. यह सरकार की पूर्ण विफलता है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस अनियोजित लॉकडाउन के कारण भारत की छवि धूमिल हुई है. कोविड-19 महामारी के कारण 200 देशों में लॉकडाउन हुए, लेकिन कहीं भी ऐसी स्थिति को नहीं देखा गया. लॉकडाउन के दौरान हमने देशभर में मौत का कारवां देखा. कहीं रेलवे ट्रेक पर बेबस लोग कट गए तो कहीं ट्रकों द्वारा रौंद कर मौत के घाट उतार दिए गए. यह देश के विभाजन के बाद पैदा हुए हालात जैसा था. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश अभी भी इंडिया और भारत में विभाजित है.
सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के नाम पर लोगों को गुमराह किया
ईटीवी भारत से बातचीत में अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भार भारत पैकेज पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह सरकार लंबी बातों और बड़े वादों के लिए प्रसिद्ध है। ज्यादातर विशेषज्ञों ने 20 लाख करोड़ रुपये की इस घोषणा को महज एक नंबर बताया है. सरकार ने इस पैकेज की आड़ में क्या किया? कोरोना वायरस महामारी काल में देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए जीडीपी का मात्र 1 प्रतिशत हिस्सा आवंटित किया जा रहा है. अधिकांश पैकेज कुछ भी नहीं है, केवल पहले की घोषणाओं की रिपैकेजिंग है. ऐसा लोगों को गुमराह करने के लिए किया गया.
उन्होंने आगे कहा, 'कांग्रेस बार-बार यह मांग कर रही है कि सरकार को सभी गरीबों के बैंक खातों में एकमुश्त 10,000 रुपये हस्तांतरित करना चाहिए और अगले छह महीनों के लिए 7,500 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाए. केवल कैश ट्रांसफर स्थिति सुधरेगी, क्योंकि इस समय आम लोगों के हाथ खाली हैं. हमारे नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं.'
कोरोना महामारी के पहले ही जूझ रही थी देश की अर्थव्यवस्था
देश की आर्थिक स्थिति और केंद्र सरकार की भूमिका पर कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना वायरस भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति का कारण नहीं है. उन्होंने कहा, 'हमारी अर्थव्यवस्था इस महामारी के पहले ही जूझ रही है. कोरोना वायरस संकट से पहले आर्थिक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत थी, जो हमारी अर्थव्यवस्था की चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है.
चौधरी ने कहा कि कोरोना से पहले देश में बेरोजरागी दर 8.5 प्रतिशत थी, जो 42 वर्षों में सबसे खतरनाक आंकड़ा था, अब कोरोना के बाद बेरोजरागी दर बढ़कर 27 प्रतिशत पहुंच गई है. निर्यात निचले स्तर पर है. केवल कृषि क्षेत्र ने कुछ विकास दिखाया है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी आर्थिक स्थिति को दो हिस्सों में विभाजित करना होगा, एक कोरोना महामारी से पहले और एक महामारी के बाद. ये आंकड़े हर किसी को देखने और मूल्यांकन करने के लिए उपलब्ध होने चाहिए.