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Attappadi Madhu murder case: केरल में आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की हत्या के मामले में 13 लोगों को सात वर्ष का कारावास - Beaten to death on charges of stealing food

केरल की एक विशेष अदालत ने राज्य के पालक्काड़ जिले में 2018 में खाद्य सामग्री चुराने के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के दोषी 13 लोगों को बुधवार को सात साल के कारावास की सजा सुनाई.

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Published : Apr 5, 2023, 4:42 PM IST

पालक्काड़: पालक्काड़ जिले में 2018 में खाद्य सामग्री चुराने के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के 13 दोषीयों को बुधवार को सात साल के कारावास की सजा सुनाई गई. विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) राजेश एम. मेनन ने संवाददाताओं को बताया कि स्थानीय निवासियों ने अट्टापडी के रहने वाले आदिवासी व्यक्ति मधु को 22 फरवरी, 2018 को चोरी का आरोप लगाते हुए पीट-पीटकर मार डाला था.

मेनन ने बताया कि इस घटना के पांच साल से अधिक समय बाद, विशेष अदालत के न्यायाधीश के. एम. रतीश कुमार ने दोषियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 भाग 2 और अन्य प्रावधानों के तहत गैर इरादतन हत्या के लिए सात साल के जेल की सजा सुनाई. अदालत ने मंगलवार को उन्हें दोषी करार दिया था.

एसपीपी मेनन ने कहा कि वह सजा से खुश हैं, हालांकि जो सजा सुनाई गई, वह "पर्याप्त नहीं" है. उन्होंने कहा, "उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिलनी चाहिए थी." मेनन ने कहा कि उन्हें दृढ़ विश्वास है कि राज्य सजा बढ़ाने के लिए अपील करेगा. एसपीपी ने कहा कि दोषियों को आजीवन कारावास की सजा नहीं देना अदालत के फैसले में एक "विसंगति" है.

मधु के परिवार ने भी दोषियों को दी गई सजा पर नाराजगी जताई और कहा कि यह काफी नहीं है. पीड़ित की मां ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, "सजा पर्याप्त नहीं है." मधु की बहन ने भी इससे सहमति जताई और कहा कि अदालत ने अधिकतम सजा नहीं दी.

उन्होंने कहा, "हम दी गई सजा से संतुष्ट नहीं हैं. अदालत इस मामले में विफल रही है. अदालत शायद यह नहीं समझ पाई कि वास्तव में क्या हुआ था, उन्हें कैसे पीटा गया और जंगल से बाहर लाया गया. अदालत को हमारे हितों की रक्षा करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "अगर यहां हमें न्याय नहीं मिला, तो उसके लिए हम कहां जाएं? हमारे पास एकमात्र विकल्प उच्च न्यायालयों में जाना है. हम मधु को न्याय दिलाएंगे, भले ही हमें इसके लिए उच्चतम न्यायालय जाना पड़े."

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मधु की पसलियां टूटी हुई थीं और सिर समेत शरीर के अन्य हिस्सों पर चोट के निशान थे, साथ ही आंतरिक रक्तस्राव भी हुआ था. मधु के परिवार के अनुसार वह पिछले कई महीनों से जंगल में एक गुफा में रह रहा था. बताया जा रहा है कि उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं थी. मधु की मां और बहन ने 2018 में टेलीविजन चैनलों को बताया था कि लगभग 10-15 लोगों का एक समूह जंगल में गया और अगाली शहर में कुछ दुकानों से कथित तौर पर खाद्य सामग्री चोरी करने के आरोप में उसे पीट-पीटकर मार डाला.

यह भी पढ़ें: Kerala Train Fire Case: शाहीनबाग से जुड़े शाहरुख सैफी के तार, केरला पुलिस की दिल्ली में छापेमारी

पीटीआई-भाषा

पालक्काड़: पालक्काड़ जिले में 2018 में खाद्य सामग्री चुराने के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के 13 दोषीयों को बुधवार को सात साल के कारावास की सजा सुनाई गई. विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) राजेश एम. मेनन ने संवाददाताओं को बताया कि स्थानीय निवासियों ने अट्टापडी के रहने वाले आदिवासी व्यक्ति मधु को 22 फरवरी, 2018 को चोरी का आरोप लगाते हुए पीट-पीटकर मार डाला था.

मेनन ने बताया कि इस घटना के पांच साल से अधिक समय बाद, विशेष अदालत के न्यायाधीश के. एम. रतीश कुमार ने दोषियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 भाग 2 और अन्य प्रावधानों के तहत गैर इरादतन हत्या के लिए सात साल के जेल की सजा सुनाई. अदालत ने मंगलवार को उन्हें दोषी करार दिया था.

एसपीपी मेनन ने कहा कि वह सजा से खुश हैं, हालांकि जो सजा सुनाई गई, वह "पर्याप्त नहीं" है. उन्होंने कहा, "उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिलनी चाहिए थी." मेनन ने कहा कि उन्हें दृढ़ विश्वास है कि राज्य सजा बढ़ाने के लिए अपील करेगा. एसपीपी ने कहा कि दोषियों को आजीवन कारावास की सजा नहीं देना अदालत के फैसले में एक "विसंगति" है.

मधु के परिवार ने भी दोषियों को दी गई सजा पर नाराजगी जताई और कहा कि यह काफी नहीं है. पीड़ित की मां ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, "सजा पर्याप्त नहीं है." मधु की बहन ने भी इससे सहमति जताई और कहा कि अदालत ने अधिकतम सजा नहीं दी.

उन्होंने कहा, "हम दी गई सजा से संतुष्ट नहीं हैं. अदालत इस मामले में विफल रही है. अदालत शायद यह नहीं समझ पाई कि वास्तव में क्या हुआ था, उन्हें कैसे पीटा गया और जंगल से बाहर लाया गया. अदालत को हमारे हितों की रक्षा करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "अगर यहां हमें न्याय नहीं मिला, तो उसके लिए हम कहां जाएं? हमारे पास एकमात्र विकल्प उच्च न्यायालयों में जाना है. हम मधु को न्याय दिलाएंगे, भले ही हमें इसके लिए उच्चतम न्यायालय जाना पड़े."

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मधु की पसलियां टूटी हुई थीं और सिर समेत शरीर के अन्य हिस्सों पर चोट के निशान थे, साथ ही आंतरिक रक्तस्राव भी हुआ था. मधु के परिवार के अनुसार वह पिछले कई महीनों से जंगल में एक गुफा में रह रहा था. बताया जा रहा है कि उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं थी. मधु की मां और बहन ने 2018 में टेलीविजन चैनलों को बताया था कि लगभग 10-15 लोगों का एक समूह जंगल में गया और अगाली शहर में कुछ दुकानों से कथित तौर पर खाद्य सामग्री चोरी करने के आरोप में उसे पीट-पीटकर मार डाला.

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पीटीआई-भाषा

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