नई दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने अपने ही सहयोगी अधीर रंजन चौधरी, जो कि पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख हैं, से चुनाव में पार्टी के गठबंधन के औचित्य पर सवाल उठाया है. इससे कांग्रेस पार्टी के भीतर दरार और बढ़ गई है.
आनंद शर्मा ने ट्विटर पर लिखा कि यह गठबंधन कांग्रेस पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है. कहा कि कांग्रेस कार्य समिति द्वारा ऐसे मामलों को 'अनुमोदित' किया जाना चाहिए, जो पार्टी में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है. उन्होंने ट्वीट किया कि आईएसएफ और इस तरह की अन्य पार्टियों के साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा और गांधीवादी-नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. जो कि पार्टी की आत्मा है. इन मुद्दों को सीडब्ल्यूसी द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि कांग्रेस सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने में चयनात्मक नहीं हो सकती है .
अधीर रंजन चौधरी पर एक हमले में उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल पीसीसी अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है. उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए. कहा कि बमुश्किल 40 दिन पुरानी पार्टी आईएसएफ पर कट्टरपंथी होने का आरोप लगा है. हालांकि कांग्रेस-लेफ्ट-आईएसएफ के गठबंधन के बीच दरार तब आई जब आईएसएफ के अब्बास सिद्दीकी ने अपने समर्थकों को कांग्रेस पार्टी के किसी भी उल्लेख के बिना वाम उम्मीदवारों के लिए वोट करने के लिए कहा था.
यहां सीट का बंटवारा भी मुद्दे का कारण है क्योंकि लेफ्ट ने आईएसएफ को 30 सीटों की पेशकश की है जबकि कांग्रेस ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. आनंद शर्मा के ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता अधीर राजन चौधरी ने जवाब दिया कि हम एक राज्य के प्रभारी हैं और बिना किसी की अनुमति के अपने दम पर कोई फैसला नहीं लेते.
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दरअसल, कांग्रेस के असंतुष्टों का एक समूह है जिसमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल आदि ने जम्मू में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान कांग्रेस नेतृत्व पर तीखे हमले किए थे.