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मुरादाबाद में सामने आई एक और 'कागज' की कहानी, 'जिंदा कर दो साहब' - कागज में कर दिया मृत

मुरादाबाद में कुंदरकी ब्लॉक में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रही है. मिलीभगत के चलते बुजुर्ग महिला की पेंशन रोक दी गई. फिलहाल अधिकारी अब जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.

alive woman dead in paper
बुजुर्ग महिला को कागज में कर दिया मृत.
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Published : Jan 24, 2021, 11:42 AM IST

मुरादाबाद : पंकज त्रिपाठी की हालिया रिलीज फिल्म 'कागज' की कहानी उत्तर प्रदेश के हर तहसील, हर गांव में दिख रही है. कागज़ फिल्म में भले ही भरतलाल का किरदार निभा रहे पंकज को न्याय मिल गया हो, लेकिन हकीकत में हजारों व्यक्ति अभी भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मुरादाबाद में भी एक बुजुर्ग महिला की ऐसी ही कहानी सामने में आई है. इसमें जिले के अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक बुजुर्ग महिला को कागज़ में मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन महिला अभी जिंदा है और खुद को सही साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही है.

बुजुर्ग महिला को कागज में कर दिया मृत.

कैसे हुआ खुलासा

दरअसल, कुंदरकी ब्लॉक के हरयाना गांव की रहने वाली एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला शरीफन को उनके पति शराफ़त की मौत के बाद विधवा पेंशन आती थी, लेकिन अचानक महिला की पेंशन आनी बंद हो गई. जब बुजुर्ग महिला ने दफ्तरों में जा कर जानकारी जुटाई तो पता लगा कि उसको विधवा पेशन लिस्ट में मृत दिखा कर पेंशन रोक दी गई है. तब से वह बिलारी तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक के चक्कर काट रही है.

महिला ने कई बार की शिकायत

वहीं, जब महिला की विधवा पेंशन आनी बंद हुई तो वह तहसील में सम्पूर्ण समाधान दिवस के दिन शिकायत करने अपने परिजनों के साथ पहुंची. फिलहाल इस मामले में अधिकारी जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि महिला को कागज़ में किसने और क्यों मृत घोषित कर दिया.

क्या बोले महिला के परिजन

पीड़िता के पोते शारिक अली बताते हैं कि हमारी दादी की पिछले दो साल से पेंशन नहीं आ रही है. इन्हें कागजों में अधिकारियों और ब्लॉक के कर्मचारियों ने मृत घोषित कर दिया है. हम पिछले दो साल से कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

पढ़ें: 20 सालों से ये बुजुर्ग कह रहे- 'साहब मैं जिंदा हूं, आदमी हूं, भूत नहीं'

क्या बोले अधिकारी

पूरे मामले में उपजिलाधिकारी प्रशांत तिवारी ने कहा कि समाधान दिवस में हरयाना गांव की रहने वाली बुज़ुर्ग महिला शरीफ़न ने एक शिकायती पत्र दिया है. जिसमें उन्होंने खुद की विधवा पेंशन न आने की वजह खुद को दस्तावेज में मृत घोषित कर दिया जाना बताया है. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है और यह देखा जाएगा कि कैसे जल्द से जल्द उन्हें पेंशन दिलवाई जाए. उन्होंने कहा कि हमने लेखपाल के माध्यम से इन्हें विकास भवन भेजकर समस्या का समाधान करवाने की कोशिश की है. वहीं, जिन अधिकारियों या कर्मचारियों ने इस मामले में लापरवाही की है, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.

मुरादाबाद : पंकज त्रिपाठी की हालिया रिलीज फिल्म 'कागज' की कहानी उत्तर प्रदेश के हर तहसील, हर गांव में दिख रही है. कागज़ फिल्म में भले ही भरतलाल का किरदार निभा रहे पंकज को न्याय मिल गया हो, लेकिन हकीकत में हजारों व्यक्ति अभी भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मुरादाबाद में भी एक बुजुर्ग महिला की ऐसी ही कहानी सामने में आई है. इसमें जिले के अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक बुजुर्ग महिला को कागज़ में मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन महिला अभी जिंदा है और खुद को सही साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही है.

बुजुर्ग महिला को कागज में कर दिया मृत.

कैसे हुआ खुलासा

दरअसल, कुंदरकी ब्लॉक के हरयाना गांव की रहने वाली एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला शरीफन को उनके पति शराफ़त की मौत के बाद विधवा पेंशन आती थी, लेकिन अचानक महिला की पेंशन आनी बंद हो गई. जब बुजुर्ग महिला ने दफ्तरों में जा कर जानकारी जुटाई तो पता लगा कि उसको विधवा पेशन लिस्ट में मृत दिखा कर पेंशन रोक दी गई है. तब से वह बिलारी तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक के चक्कर काट रही है.

महिला ने कई बार की शिकायत

वहीं, जब महिला की विधवा पेंशन आनी बंद हुई तो वह तहसील में सम्पूर्ण समाधान दिवस के दिन शिकायत करने अपने परिजनों के साथ पहुंची. फिलहाल इस मामले में अधिकारी जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि महिला को कागज़ में किसने और क्यों मृत घोषित कर दिया.

क्या बोले महिला के परिजन

पीड़िता के पोते शारिक अली बताते हैं कि हमारी दादी की पिछले दो साल से पेंशन नहीं आ रही है. इन्हें कागजों में अधिकारियों और ब्लॉक के कर्मचारियों ने मृत घोषित कर दिया है. हम पिछले दो साल से कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

पढ़ें: 20 सालों से ये बुजुर्ग कह रहे- 'साहब मैं जिंदा हूं, आदमी हूं, भूत नहीं'

क्या बोले अधिकारी

पूरे मामले में उपजिलाधिकारी प्रशांत तिवारी ने कहा कि समाधान दिवस में हरयाना गांव की रहने वाली बुज़ुर्ग महिला शरीफ़न ने एक शिकायती पत्र दिया है. जिसमें उन्होंने खुद की विधवा पेंशन न आने की वजह खुद को दस्तावेज में मृत घोषित कर दिया जाना बताया है. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है और यह देखा जाएगा कि कैसे जल्द से जल्द उन्हें पेंशन दिलवाई जाए. उन्होंने कहा कि हमने लेखपाल के माध्यम से इन्हें विकास भवन भेजकर समस्या का समाधान करवाने की कोशिश की है. वहीं, जिन अधिकारियों या कर्मचारियों ने इस मामले में लापरवाही की है, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.

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