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LOCKDOWN: लाखों के बैंगन खेत में, फिर भी किसान परेशान

सूरजपुर के सब्जी किसान लॉकडाउन के कारण मार्केट नहीं मिलने से बर्बाद हो गए हैं. परेशान किसान प्रशासन से खेत में ही किसानों की पैदावार खरीदने की मांग कर रहे हैं.

millions of rupees wasted of farmers of surajpur
लॉकडाउन के कारण नहीं बिकी लाखों रुपए की सब्जी
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Published : Apr 12, 2020, 11:09 AM IST

सूरजपुर: जिले के आसपास के क्षेत्र में बड़े स्तर पर नकदी की फसल के तौर पर बैंगन की खेती करने वाले किसानों के लाखों रुपए डूब गए हैं. कोरोना वायरस की दहशत और लॉकडाउन के चलते सब्जी मंडी में इनका माल नहीं बिक रहा है.

लॉकडाउन के कारण नहीं बिकी लाखों रुपए की सब्जी

मंडी में सब्जियों की मांग नहीं होने के कारण किसानों ने खेतों में ही बैंगन छोड़ दिए हैं, जिससे बैंगन सड़ने लगे हैं, किसान या तो उन्हें पशुओं को खिला रहे हैं या खेत में ही जमीन में गड्ढा खोदकर उसमें डाल रहे हैं.

किसानों की पीड़ा ये है कि 30 से 40 रुपए किलो से भी ज्यादा भाव में बिकने वाले बैंगन को अब कोई 5 रुपए में भी नहीं पूछ रहा है जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है. इसके अलावा आर्थिक बोझ भी बढ़ गया, किसानों की मानें तो बैंगन की फसल में उनका करीब 1 लाख रुपए का खर्च आया था और अब उन्हें चिंता सता रही है कि उसकी भरपाई कैसे होगी. किसानों ने प्रशासन से मदद की उम्मीद जताई है और इसके साथ ही उनकी फसल खेतों में ही खरीदने की मांग की है.

सूरजपुर: जिले के आसपास के क्षेत्र में बड़े स्तर पर नकदी की फसल के तौर पर बैंगन की खेती करने वाले किसानों के लाखों रुपए डूब गए हैं. कोरोना वायरस की दहशत और लॉकडाउन के चलते सब्जी मंडी में इनका माल नहीं बिक रहा है.

लॉकडाउन के कारण नहीं बिकी लाखों रुपए की सब्जी

मंडी में सब्जियों की मांग नहीं होने के कारण किसानों ने खेतों में ही बैंगन छोड़ दिए हैं, जिससे बैंगन सड़ने लगे हैं, किसान या तो उन्हें पशुओं को खिला रहे हैं या खेत में ही जमीन में गड्ढा खोदकर उसमें डाल रहे हैं.

किसानों की पीड़ा ये है कि 30 से 40 रुपए किलो से भी ज्यादा भाव में बिकने वाले बैंगन को अब कोई 5 रुपए में भी नहीं पूछ रहा है जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है. इसके अलावा आर्थिक बोझ भी बढ़ गया, किसानों की मानें तो बैंगन की फसल में उनका करीब 1 लाख रुपए का खर्च आया था और अब उन्हें चिंता सता रही है कि उसकी भरपाई कैसे होगी. किसानों ने प्रशासन से मदद की उम्मीद जताई है और इसके साथ ही उनकी फसल खेतों में ही खरीदने की मांग की है.

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