रायपुर: पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती 2 दिन के प्रवास पर राजधनी रायपुर पहुंचे हैं. रविवार को स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मीडिया बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अलग अलग विषयों पर अपना पक्ष रखा. उन्होंने धर्मांतरण को लेकर कहा कि "राजनेताओं के कारण धर्मांतरण हो रहा है, राजनेता हिंदुओं के धर्मांतरण को प्रश्रय देते है और जो हिंदुओं के धर्मांतरण पर कुछ नहीं कहते. अगर धर्मान्तरण होता है इसका जिम्मेदार मुख्यमंत्री, कलेक्टर, मंत्री, राज्यपाल जैसे जिम्मेदार लोगों को मानना चाहिए. उनके खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए. यदि हिंदुओं का धर्मांतरण होता है, उन्हें सजा देनी चाहिए."
हिंदू राष्ट्र की गूंज दुनिया में हुई: शंकराचार्य ने कहा कि" 17 महीने पहले पुरी में अपने निवास कक्ष से बाहर आ रहा था. उस दौरान दीवार पर सलंग्न दीवार पर दुर्गा की मूर्ति थी. तब से अपने आप मुंह खुल गया. तीन बार मुंह से निकला हिंदू राष्ट्र हिंदू राष्ट्र का उच्चारण हुआ. तब से मैने हिंदू राष्ट्र कहना शुरू किया. अब तो अमेरिका के संसद में कहा जाता है वहां भी हिंदू राष्ट्र की गूंज है. अरब राष्ट्र में भी हिंदुओं की आस्था व्यक्त की गई है. पूरे विश्व में इसकी लहर चल पड़ी है. इसके पीछे रहस्य है. सबके पूर्वज सनातनी वैदिक, आर्य और हिंदू ही सिद्ध होते हैं. मोहम्मद साहब के पूर्वज कौन थे और ईसा मसीह के पूर्वज कौन थे. वो पूर्वज हर विद्या में उन्नत थे निपुण थे. अपने पूर्वज के मार्ग पर चलने में गौरव ही है. उत्कर्ष ही है.मोहम्मद साहब और ईसा मसीह सबके पूर्वज हिंदू थे"
"ईसा मसीह कट्टर वैष्णव थे": हिन्दू राष्ट्र में मुसलमान और ईसाइयों का क्या स्थान है? के सवाल पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा "सबके पूर्वज सनातनी थे. ईसा मसीह जी की प्रतिमा रोम में है और उनकी प्रतिमा को ढंककर रखा गया है. कुछ देर के लिए ढक्कन हटा दिया जाए, वैष्णव तिलक से युक्त ईसा की प्रतिमा सामने आ जाएगी. ईसा मसीह कट्टर वैष्णव थे. ईशा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया था."
भटके हुए लोगों को हमारे पास भेज दीजिए: शंकराचार्य ने कहा कि" भटके हुए लोगों को हमारे पास भेज दीजिए भटकना बंद हो जाएगा. अटके हुए लोगों को हमारे पास भेज दीजिए अटकना बंद हो जाएगा. जिन राजनेताओं को ब्रेन वॉश करवाना है उन्हें हमारे पास भेज दीजिए उनका ब्रेन वॉश हो जाएगा."
धर्मांतरण पर कही ये बात: धर्मांतरण पर शंकराचार्य ने कहा कि" पहली बात तो यह है कि दार्शनिक वैज्ञानिक और व्यहवारिक धरातल पर सनातन वैदिक और हिंदुओ का जो सिद्धांत है. वह इस रॉकेट, कंप्यूटर, एटम और मोबाइल के युग में भी सर्वोतकृष्ट है. सिद्धांत के आधार पर कोई हिंदुओ को कोई च्युत कर दे वह संभव ही नहीं है. अगर गुरुकुल के माध्यम से और व्यवस्थित शासन की माध्यम से अपने सिद्धांत का परिज्ञान हो तो कोई भी हिंदुओं को विमुख नहीं कर सकता. कोई भी हिंदु धर्मच्युत नहीं हो सकता. दूसरी बात है कि लोभ, भय ,कोढ़ी, भावुकता की वजह से ही कोई धर्मांतरण होता है."
लोभवश कराया जा रहा धर्मांतरण: शंकराचार्य ने कहा कि" ओडिशा, झारखंड है यहां पदार्थों की कोई कमी नहीं है. वन वैभव भी पर्याप्त है. भूमि भी उर्वर है. पानी भी सुलभ है. गरीबी के कोई स्रोत तो दिखाई नहीं देते. धन के सारे स्रोत जाते कहां हैं.इसलिए राजनेताओं की दुरवासंधि के कारण हिंदू धर्मच्युत होते हैं. वे राजनेता आगे चलकर क्या होंगे. जो धर्मच्युत होते हैं. क्या आप उन्हें राजनेता मानेंगे. नहीं मानेंगे. अपने पावं पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. उदाहरण देता हूं. तालिबान के शासन में चार ईसाई मुस्लिम को ईसाई बनाने पहुंचे. तालिबान ने चारों को फांसी की सजा सुना दी. देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति ,राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कलेक्टर कमिश्नर जैसे लोगों की जानकारी से ही धर्मांतरण होता है. इसके लिए उन्हें जिम्मेदार माना जाना चाहिए. अगर भारत में कोई हिंदुओं को धर्म से विमुख करता है तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन अपराध का दंड इन सबको दंड मिलना चाहिए."
रामचरित को लांछित नहीं किया जाता: रामचरित विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि "राम चरित को लांछन कर रहे या रामचरितमानस को लांछित कर रहे. रामचरितमानस में राम चरित है. रामचरित को लांछित करने योग्य नहीं है. ढोल गंवार शूद्र पशु नारी पर आपत्ति है. पहली बात यह है कि कौन सा वचन किसके द्धारा कहा गया है. उसे समझना चाहिए. रामचरितमानस में यह वाक्य समुंद्र की तरफ से कहा गया है. अगर समुंद्र बोल सकता है. पृथ्वी बोल सकती है. हवा बोल सकती है. अग्नि बोल सकती है. क्या यह संभव है. ताड़ने का अर्थ क्या होता है. ढोल को ताड़ने का अर्थ क्या होता. उसका सही उपयोग करना. ढोलकिया ढोल पर पाउडर भी लगता है. ढोल ताड़ने का अर्थ होता है ढोल पर उंगलियों का सही इस्तेमाल. ताड़न का अर्थ होता है जो वस्तु जिस कार्य के लिए उपेक्षित है. उसका उस रूप में प्रयोग करना. ताड़न का अर्थ मारकर फेंकना नहीं है. जो लोग अर्थ ना जानकर कोई संशोधन चाहता है वो अपनी नासमझी और मूर्खता को दूर करें."
रामचरित मानस को शिक्षा पद्धति में शामिल करने पर कहा: रामचरितमानस विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि" धार्मिक ज्ञान और रामचरित मानस को पाठ्यक्रम में शामिल करना न करना सरकार के हाथ में है. एक सरकार इसे लागू करती है. दूसरी सरकार इसे हटा देती है. केंद्र में बीजेपी की सरकार जब थी तो मुरली मनोहर जोशी ने धार्मिक ज्ञान को पाठ्यक्रम में लागू करने की बात कही. लेकिन दूसरी सरकार ने इसे हटा दिया. अर्जुन सिंह बाद में शिक्षा मंत्री बने तो उन्होंने इसे सांम्प्रदायिक बता दिया. फिर धार्मिक ज्ञान से जुड़े हटा दिया.रामचरित मानस को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के मसले पर शंकराचार्य ने कहा कि एक सरकार यदि ऐसा कर भी दे तो दूसरी सरकार नीतियों को बदल देती है, इससे अच्छा यह होगा कि घर-घर रामचरितमानस जैसे धार्मिक आध्यात्मिक ज्ञान का पठन होना चाहिए यह जिम्मेदारी हर मां-बाप की है. प्रत्येक घर में धर्म की पढ़ाई होनी चाहिए. हमने भी दिल्ली में पढ़ाई की. लेकिन हम पर दिल्ली का प्रभाव नहीं पड़ा. धर्म के दो भेद होते हैं सिद्ध कोटि और साध्य कोटि."
धीरेंद्र शास्त्री लोगों को भटकने से बचाते हैं: धीरेंद्र शास्त्री पर शंकराचार्य ने कहा कि" धीरेंद्र शास्त्री लोगों को अपने में अटकाते हैं लोगों को भटकने से बचाते हैं. यदि कोई चमत्कार लोगों को सनातन धर्म से जोड़ता है उन्हें भटकाता नहीं है. बल्कि भगवान के साथ जोड़ने का काम करता है तो यह अच्छा है. अगर ये भटकाते हैं तो इनसे बचने की जरूरत है. "
यूपी सीएम आदित्यनाथ और पीएम मोदी को घेरा: शंकराचार्य ने कहा कि "योगी आदित्यनाथ अवैध बूचड़खाना को बंद रखने और वैध बूचड़खाना को चालू रखने की बात कह चुके हैं. इस तरह से उन्होंने गौ हत्या का समर्थन किया. प्रधानमंत्री या सीएम हिंदु धर्म और गौ रक्षक होना चाहिए. देश के प्रधानमंत्री ने गौरक्षकों को गुंडा कहा, योगी आदित्यनाथ ने वैध बूचड़खानों को चलने की अनुमति दी. देश मे दो तरह के बूचड़खाने खाने वैध और अवैध हैं. योगी आदित्यनाथ वैध बूचड़खाने के समर्थन में हैं और प्रधानमंत्री गौ रक्षकों को गुंडा बता रहे हैं, लेकिन पीएम अब सुधर गए हैं शायद."
आरक्षण पर बोले निश्चलानंद सरस्वती: आरक्षण को लेकर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपना पक्ष रखते हुए कहा "वर्तमान में आरक्षण में पांच दोष है, जिन्हें कुटीर उद्योग थमाया गया था, उन्हें आरक्षण की क्या आवश्यकता है. वीपी सिंह ने आरक्षण को थोपा है."