रायपुर : बेर एक मौसमी फल है. यह सिर्फ ठंड के समय में ही बाजारों में नजर आता है. आजकल किसान बेर की खेती से भी मुनाफा कमा रहे हैं. लेकिन इस फल की खेती कैसे की जाए ये भी जानना जरुरी है. फल वैज्ञानिक ने बताया कि '' जब से थाई बेर की शुरुआत हुई है. इसके बाद से किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दिया है. बेर की खेती करते समय किसानों को खासतौर पर पौधे का रोपण करते समय 4-4 मीटर की दूरी का ख्याल रखना होगा. किसानों को इस बात का भी खास ध्यान रखना होगा कि अप्रैल और मई के महीने में बेर के झाड़ की कटाई की भी जरुरत पड़ती है.
कब करें पौधा तैयार :इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ फल वैज्ञानिक डॉक्टर घनश्याम साहू ने बताया कि "भारत में मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां पर बेर फल की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों की बाड़ियों में बेर फल के झाड़ आसानी से देखे जा सकते हैं. कानपुर और फैजाबाद से रिलीज किस्में गोला सेव, उमरान, मुड़िया प्रचलित किस्में हैं. इसके साथ ही थाई बेर भी अच्छी किस्म है. इसे बड़े बेर के नाम से जाना जाता है. यह आजकल बाजार में ज्यादा प्रचलित है. इसकी खेती भी प्रदेश के किसान आसानी से कर सकते हैं."
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कब ले सकते हैं किसान फसल :इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ फल वैज्ञानिक डॉ घनश्याम साहू ने बताया कि "बेर की खेती करते समय कतार से कतार की दूरी 4 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 4 मीटर होनी चाहिए. पड़त भूमि जहां पर ढलान हो या पानी ना रुके, ऐसी जगहों पर बेर की खेती आसानी से किसान कर सकते हैं. बेर का पौधा फेंसिंग क्राप या बॉर्डर क्राप के रूप में भी लगाया जा सकता है. इसमें करौंदा और बेर के पौधे को लगाया जा सकता है. मवेशियों के खेत में प्रवेश करने का खतरा भी कम रहेगा. किसान ठंड ऋतु से लेकर मार्च के महीने में बेर की फसल ले सकते हैं."