रायपुर: शहर को व्यवस्थित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से शुरू की गई कमल विहार के अगले चरण की योजना को खत्म करने का कांग्रेस सरकार ने फैसला लिया है. इस पर लंबे समय से न्यायालय में लड़ रहे भू-स्वामियों ने राज्य सरकार का आभार जताया है.
छत्तीसगढ़ शासन के आवास पर्यावरण विभाग की ड्रीम प्रोजेक्ट कमल विहार योजना का क्रियांवयन रायपुर विकास प्राधिकरण के माध्यम से पिछले 10 सालों से चल रहा है, लेकिन कमल विहार योजना से जुड़े जमीन अधिग्रहण के विवाद अब तक खत्म नहीं हुए हैं. यही वजह है कि इतने सालों बाद भी कमल विहार योजना पूरी तरह से सक्सेस नहीं हो पाई है.
दरअसल, पिछली सरकार ने राजधानी को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से टाउन डेवलपमेंट स्कीम 4 के तहत कमल विहार योजना को लॉन्च किया था. इसके साथ ही टाउन डेवलपमेंट स्कीम 5 के लिए भी गाइड लाइन जारी कर रखी थी. जमीन के जानकारों का कहना है कि यह योजना आम लोगों के लिए लॉन्च की गई थी, लेकिन इसमें मनमर्जी करके लोगों की जमीनों का जबरदस्ती अधिग्रहण किया गया है.
अब सरकार ने न केवल इस योजना को बंद किया है बल्कि नई आने वाली प्रस्तावित योजना के लिए भी प्रतिबंध को खत्म करने का फैसला लिया है. इससे राजधानी के रियल स्टेट पर काफी असर दिखेगा. मंत्री मोहम्मद अकबर ने विधानसभा में इस योजना से भू-स्वामियों को नुक्सान होगा बताकर इसे भंग करने का एलान किया है.