रायपुर: राजधानी का धीरे-धीरे कायाकल्प होते जा रहा है. नगर निगम कई पुरानी और ऐतिहासिक धरोहरों को तोड़कर नया भवन बना रहा है. कुछ महीने पहले ही ऐतिहासिक पुराने सिटी कोतवाली भवन को ध्वस्त कर हाईटेक थाना भवन बनाया गया था. अब गांधी मैदान जिसे चावड़ी के नाम से जाना जाता है, उसे भी चौड़ीकरण के नाम पर ध्वस्त किया जा रहा है. इससे दूर-दराज से रोजी रोटी की तलाश में आए मजदूरों के लिए परेशानी खड़ी होगी क्योंकि यह जगह मजदूरों के आराम करने का ठिकाना होता है.
नगर निगम और कोतवाली थाने के बीच में गांधी मैदान है. जहां पर पुराना कांग्रेस भवन मौजूद है. राजधानी के लोग इस जगह को चावड़ी के नाम से जानते हैं. चावड़ी जहां पर कई गांव के सैकड़ों मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में इस जगह पर आकर रुकते हैं. कुल मिलाकर मजदूरों का यह आश्रय स्थल या फिर आशियाना कहा जा सकता है. जहां पर सुबह से शाम तक मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में यह पर दिखाई देते हैं. लेकिन सड़क चौड़ीकरण के नाम पर चावड़ी को भी ध्वस्त कर दिया गया है. अब इन मजदूरों को कहां और किस जगह पर आश्रय मिलेगा यह कहा नहीं जा सकता इसको लेकर मजदूर भी परेशान हैं.
मजदूरों के आराम करने का ठिकाना है चावड़ी
राजधानी के गांधी मैदान स्थित इस चावड़ी में सुबह से लेकर शाम तक मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में बैठते हैं लेकिन उनका यह ठिकाना भी सड़क चौड़ीकरण की भेंट चढ़ गया. ऐसे ही कुछ मजदूरों से हमने बात की तो उनका कहना था कि लगभग 25 सालों से रोजी-रोटी की तलाश में राजधानी के गांधी मैदान स्थित इस चावड़ी में आकर बैठते हैं. जिसके बाद घरेलू काम के लिए लोग अपनी जरूरत के हिसाब से यहां से मजदूरों को अपने घर काम पर ले जाते हैं. अब इन मजदूरों का ठिकाना ध्वस्त करने के बाद निगम प्रशासन इनको दूसरी जगह देगा या नहीं इस बात को भी लेकर मजदूरों के मन में संशय की स्थिति बनी हुई है. इस चावड़ी को ध्वस्त किए जाने का दुख इन मजदूरों के चेहरों पर देखने को मिला.
नगर निगम आयुक्त ने कही ये बात
राजधानी रायपुर के गांधी मैदान स्थित मजदूरों के इस चावड़ी को ध्वस्त किए जाने के बारे में जब हमने नगर निगम के अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य से बात की तो उनका कहना था कि ट्रैफिक का लोड ज्यादा होने के कारण इसे बाईपास सड़क के रूप में विकसित किया जा रहा है. जिसके कारण चावड़ी को भी ध्वस्त करना पड़ा. उन्होंने कहा कि मजदूरों को चावड़ी के बदले अलग से आश्रय स्थल बना कर दिया जाएगा जहां पर मजदूर बैठकर आराम कर सकेंगे. राजधानी के गांधी चौक पर स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक चावड़ी के बारे में इतिहासकार आचार्य रमेन्द्र नाथ मिश्र का कहना है कि यह अंग्रेजों के समय का बना हुआ है. जिस पर आज चौड़ीकरण के नाम पर निगम प्रशासन द्वारा बुलडोजर चला दिया गया .
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रायपुर में सौंदर्यीकरण करने के साथ ही विकास के नाम पर ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों को सहेजने के बजाए उनको तोड़कर नया भवन बनाया जा रहा है . आने वाले समय में इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया जाता है तो राजधानी के कई प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर केवल इतिहास के पन्नों पर सिमट कर रह जाएंगे.