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सावधान! फर्जी विज्ञापन के जरिए हो रहा साइबर क्राइम

छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. लोगों को फर्जी कॉल या फर्जी विज्ञापन के नाम पर ठगा जा रहा है.

cyber crime in chhattisgarh
साइबर क्राइम
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Published : Jan 20, 2021, 9:38 PM IST

Updated : Jan 20, 2021, 10:51 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. लोगों को अपनी मीठी बातों में फंसा कर जालसाज ठगी के मामलों को अंजाम दे रहे हैं. डिजिटल तरीके से ठग लोगों को अपने जाल में फसा रहे हैं. कभी प्रोसेसिंग तो कभी ट्रांजैक्शन के नाम पर छोटी-छोटी किश्तों में रकम ऐंठे जा रहे हैं. हाल ही में ऐसे दो केस प्रदेश के बिलासपुर में आए हैं. जहां लोन के नाम पर लोगों से लाखों रुपये की ठगी हुई है.

साइबर एक्सपर्ट
29 दिसंबर को बिलासपुर के गौरेला थाना क्षेत्र में रिटायर्ड महिला कर्मचारी को झांसा देकर 53 लाखों रुपये की ठगी का मामला आया था. पीड़िता ने न्यूजपेपर में कम ब्याज पर लोन देने का विज्ञापन देखा था और उसी के जरिए लोन के लिए अप्लाई किया था. कंपनी ने पहले तो प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 17 बार अलग-अलग अकाउंट में लाखों रुपये जमा कराएं और फिर लोन पास करने के नाम पर ठगों लाखों की ठगी कर ली.

पढ़ें- आधार और वोटर ID से भी खाली हो सकते हैं बैंक अकाउंट

'हैप्पी न्यू ईयर' का मैसेज भेज कर ठगी

बिलासपुर के पेंड्रा थाना क्षेत्र में 4 जनवरी को एक मामला आया था जहां वकील पुष्पेंद्र कुमार अपने रिश्तेदार से मिलने गौरेला गये थे. जहां उसके रिश्तेदार बेनीराम ने बताया कि उसने लोन लेने के लिए फॉर्म भरा है. वहीं बेनीराम के पास किसी अज्ञात का फोन आया, तभी उसने बेनीराम से पूछा तुम्हारे पास कोई गूगल-पे चलाता हो तो मुझसे उसकी बात करा दो. वकील से गूगल-पे और यूपीआई कोड की जानकारी लेकर जालजासी की वारदात को अंजाम दिया था.

किसी को न दें ओटीपी की जानकारी

साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा ने बताया कि ठग किसी भी व्यक्ति को एजेंट बनकर कॉल करते हैं और कहते हैं कि वह किसी बैंक के अधिकारी हैं या एजेंसी के अधिकारी हैं. वे लोगों को अपने झांसे में लेकर बैंक के पर्सनल डीटेल्स ले लेते हैं और उसके बाद लोगों से ओटीपी की मांग करते है. इसकी जानकारी मिलते ही उनके बैंक एकाउंट को खाली कर दिया जाता है. कई बार वह लोगों को लिंक भेजते हैं और फॉर्म भरने को कहते है, कई बार लोग लिंक को क्लिक करते है, जिसके बाद मोबाइल रिमोट एक्सेस मोड में चला जाता है और ठग आसानी से मोबाइल को कंट्रोल कर लेते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. लोगों को अपनी मीठी बातों में फंसा कर जालसाज ठगी के मामलों को अंजाम दे रहे हैं. डिजिटल तरीके से ठग लोगों को अपने जाल में फसा रहे हैं. कभी प्रोसेसिंग तो कभी ट्रांजैक्शन के नाम पर छोटी-छोटी किश्तों में रकम ऐंठे जा रहे हैं. हाल ही में ऐसे दो केस प्रदेश के बिलासपुर में आए हैं. जहां लोन के नाम पर लोगों से लाखों रुपये की ठगी हुई है.

साइबर एक्सपर्ट
29 दिसंबर को बिलासपुर के गौरेला थाना क्षेत्र में रिटायर्ड महिला कर्मचारी को झांसा देकर 53 लाखों रुपये की ठगी का मामला आया था. पीड़िता ने न्यूजपेपर में कम ब्याज पर लोन देने का विज्ञापन देखा था और उसी के जरिए लोन के लिए अप्लाई किया था. कंपनी ने पहले तो प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 17 बार अलग-अलग अकाउंट में लाखों रुपये जमा कराएं और फिर लोन पास करने के नाम पर ठगों लाखों की ठगी कर ली.

पढ़ें- आधार और वोटर ID से भी खाली हो सकते हैं बैंक अकाउंट

'हैप्पी न्यू ईयर' का मैसेज भेज कर ठगी

बिलासपुर के पेंड्रा थाना क्षेत्र में 4 जनवरी को एक मामला आया था जहां वकील पुष्पेंद्र कुमार अपने रिश्तेदार से मिलने गौरेला गये थे. जहां उसके रिश्तेदार बेनीराम ने बताया कि उसने लोन लेने के लिए फॉर्म भरा है. वहीं बेनीराम के पास किसी अज्ञात का फोन आया, तभी उसने बेनीराम से पूछा तुम्हारे पास कोई गूगल-पे चलाता हो तो मुझसे उसकी बात करा दो. वकील से गूगल-पे और यूपीआई कोड की जानकारी लेकर जालजासी की वारदात को अंजाम दिया था.

किसी को न दें ओटीपी की जानकारी

साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा ने बताया कि ठग किसी भी व्यक्ति को एजेंट बनकर कॉल करते हैं और कहते हैं कि वह किसी बैंक के अधिकारी हैं या एजेंसी के अधिकारी हैं. वे लोगों को अपने झांसे में लेकर बैंक के पर्सनल डीटेल्स ले लेते हैं और उसके बाद लोगों से ओटीपी की मांग करते है. इसकी जानकारी मिलते ही उनके बैंक एकाउंट को खाली कर दिया जाता है. कई बार वह लोगों को लिंक भेजते हैं और फॉर्म भरने को कहते है, कई बार लोग लिंक को क्लिक करते है, जिसके बाद मोबाइल रिमोट एक्सेस मोड में चला जाता है और ठग आसानी से मोबाइल को कंट्रोल कर लेते हैं.

Last Updated : Jan 20, 2021, 10:51 PM IST
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