रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को इन दिनों पबजी गेम खेलने का रोग लग गया है. इसकी वजह से से जवान अपने काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं.
पबजी खेलने के आदि हुए जवान
छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों मे तैनात जवानों की नींद इन दिनों उड़ी हुई है. इसके पीछे न तो नक्सलियों की ओर से की गई कोई साजिश है और न ही किसी घोर मुसीबत ने इन्हें घेरा है. दरअसल ये जवान पब्जी गेम खेलने के आदी हो गए हैं.
CRPF की बिहार रेंज ने किया बैन
मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, सीआरपीएफ के बिहार रेंज ने सभी डीआरजी को पत्र लिखकर उनके इलाकों में तैनात जवानों के मोबाइल फोन से पबजी गेम को हटाने का फरमान जारी कर दिया है.
हो सकता है ये नुकसान
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के अलावा फोर्स के जवान तैनात हैं. इन जवानों के लिए मोबाइल गेम पब्जी मुसीबत का कारण बन गया है. जवानों में इसे लेकर दीवानगी लगातार बढ़ती जा रही है और कई जगह पर तो यह लत में तब्दील हो रही है. अफसरों का कहना है कि इसकी वजह से जवानों की एकाग्रता में कमी आ सकती है.
एक्सपर्ट्स का ये है कहना
छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि अभी तक उन्हें जवानों के मोबाइल फोन से पबजी हटाने को लेकर कोई आदेश नहीं आया है. साइकोलॉजिस्ट डॉ अर्चना बावनगड़े कहती हैं कि जंगलों में तैनात जवानों के पास मनोरंजन को लेकर व्यवस्था नहीं होती है. ऐसे में मोबाइल और वीडियो मनोरंजन का साधन होता है, लेकिन किसी भी चीज की लत नुकसानदायक होती है ऐसे में इस तरह के गेम्स कहीं ना कहीं एकाग्रता भंग जरूर करते हैं.
बच्चों के लिए खतरनाक है पबजी
मोबाइल और वीडियो गेम्स न केवल मोर्चे पर तैनात जवानों बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं और इस दिशा में जिस तरह से सीआरपीएफ के अफसर गंभीर लग रहे हैं, ठीक वैसे ही समाज को भी इस बारे में सोचने की जरूरत है.