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पबजी के 'जाल' में जकड़े नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान, CRPF ने दिया डिलीट करने का फरमान

पबजी की वजह से जवान अपने काम पर फोकस नहीं कर रहे हैं.

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Published : May 16, 2019, 5:29 PM IST

Updated : May 16, 2019, 6:17 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को इन दिनों पबजी गेम खेलने का रोग लग गया है. इसकी वजह से से जवान अपने काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं.

स्पेशल पैकेज.

पबजी खेलने के आदि हुए जवान
छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों मे तैनात जवानों की नींद इन दिनों उड़ी हुई है. इसके पीछे न तो नक्सलियों की ओर से की गई कोई साजिश है और न ही किसी घोर मुसीबत ने इन्हें घेरा है. दरअसल ये जवान पब्जी गेम खेलने के आदी हो गए हैं.

CRPF की बिहार रेंज ने किया बैन
मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, सीआरपीएफ के बिहार रेंज ने सभी डीआरजी को पत्र लिखकर उनके इलाकों में तैनात जवानों के मोबाइल फोन से पबजी गेम को हटाने का फरमान जारी कर दिया है.

हो सकता है ये नुकसान
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के अलावा फोर्स के जवान तैनात हैं. इन जवानों के लिए मोबाइल गेम पब्जी मुसीबत का कारण बन गया है. जवानों में इसे लेकर दीवानगी लगातार बढ़ती जा रही है और कई जगह पर तो यह लत में तब्दील हो रही है. अफसरों का कहना है कि इसकी वजह से जवानों की एकाग्रता में कमी आ सकती है.

एक्सपर्ट्स का ये है कहना
छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि अभी तक उन्हें जवानों के मोबाइल फोन से पबजी हटाने को लेकर कोई आदेश नहीं आया है. साइकोलॉजिस्ट डॉ अर्चना बावनगड़े कहती हैं कि जंगलों में तैनात जवानों के पास मनोरंजन को लेकर व्यवस्था नहीं होती है. ऐसे में मोबाइल और वीडियो मनोरंजन का साधन होता है, लेकिन किसी भी चीज की लत नुकसानदायक होती है ऐसे में इस तरह के गेम्स कहीं ना कहीं एकाग्रता भंग जरूर करते हैं.

बच्चों के लिए खतरनाक है पबजी
मोबाइल और वीडियो गेम्स न केवल मोर्चे पर तैनात जवानों बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं और इस दिशा में जिस तरह से सीआरपीएफ के अफसर गंभीर लग रहे हैं, ठीक वैसे ही समाज को भी इस बारे में सोचने की जरूरत है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को इन दिनों पबजी गेम खेलने का रोग लग गया है. इसकी वजह से से जवान अपने काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं.

स्पेशल पैकेज.

पबजी खेलने के आदि हुए जवान
छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों मे तैनात जवानों की नींद इन दिनों उड़ी हुई है. इसके पीछे न तो नक्सलियों की ओर से की गई कोई साजिश है और न ही किसी घोर मुसीबत ने इन्हें घेरा है. दरअसल ये जवान पब्जी गेम खेलने के आदी हो गए हैं.

CRPF की बिहार रेंज ने किया बैन
मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, सीआरपीएफ के बिहार रेंज ने सभी डीआरजी को पत्र लिखकर उनके इलाकों में तैनात जवानों के मोबाइल फोन से पबजी गेम को हटाने का फरमान जारी कर दिया है.

हो सकता है ये नुकसान
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के अलावा फोर्स के जवान तैनात हैं. इन जवानों के लिए मोबाइल गेम पब्जी मुसीबत का कारण बन गया है. जवानों में इसे लेकर दीवानगी लगातार बढ़ती जा रही है और कई जगह पर तो यह लत में तब्दील हो रही है. अफसरों का कहना है कि इसकी वजह से जवानों की एकाग्रता में कमी आ सकती है.

एक्सपर्ट्स का ये है कहना
छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि अभी तक उन्हें जवानों के मोबाइल फोन से पबजी हटाने को लेकर कोई आदेश नहीं आया है. साइकोलॉजिस्ट डॉ अर्चना बावनगड़े कहती हैं कि जंगलों में तैनात जवानों के पास मनोरंजन को लेकर व्यवस्था नहीं होती है. ऐसे में मोबाइल और वीडियो मनोरंजन का साधन होता है, लेकिन किसी भी चीज की लत नुकसानदायक होती है ऐसे में इस तरह के गेम्स कहीं ना कहीं एकाग्रता भंग जरूर करते हैं.

बच्चों के लिए खतरनाक है पबजी
मोबाइल और वीडियो गेम्स न केवल मोर्चे पर तैनात जवानों बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं और इस दिशा में जिस तरह से सीआरपीएफ के अफसर गंभीर लग रहे हैं, ठीक वैसे ही समाज को भी इस बारे में सोचने की जरूरत है.

Intro:1405 RPR CRPF JAWAN ON PUBJI GAMES

छत्तीसगढ़ के नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की वीडियो गेम पबजी ने नींद उड़ा कर रख दी है। हाल यह है कि नक्सल क्षेत्र में तैनात जवानों का आपस में संवाद तक बंद हो गया है और इसके कारण सीआरपीएफ ने जवानों को सोशल गेमिंग साइट पब जी को अपने फोन से हटाने का फरमान भी जारी कर दिया है। सीआरपीएफ की बिहार रेंज ने सभी डीआईजी को पत्र लिखकर जवानों के मोबाइल से पब्जी गेम को बंद कराने का फरमान जारी किया है।छत्तीसगढ़ में भी पबजी को बंद करने की भी तैयारी चल रही है। अधिकारी भी मान रहे हैं कि सोशल नेटवर्किंग कही ना कहीं एकाग्रता को भटकाता है।
Body:
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के अलावा फोर्स के जवान तैनात है, इन जवानों के सामने अब मोबाइल गेम पब्जी मुसीबत का कारण बन गया है। वीडियो गेम पब्जी के लत ने जवानों की नींद उड़ा दी है इसे लेकर सीआरपीएफ ने गंभीरता दिखाई है। सीआरपीएफ के बिहार रेंज के अधिकारियों ने सभी डीआईजी को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में काम कर रहे जवानों के मोबाइल से पब्जी गेम हटाने के फरमान भी जारी किए हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ के पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें फिलहाल इस तरह का कोई आदेश नहीं मिला है। लेकिन वह भी स्वीकार करते हैं कि मोबाइल गेम्स की लत कहीं ना कहीं जवानों की एकाग्रता में कमी लाता है और इसके लिए कड़े कदम उठाने जरूरी है । खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों के सामने ऐसे हालात और भी चिंताजनक हो सकते हैं क्योंकि उन्हें और अधिक लेट होने की जरूरत होती है।

बाईट- पी सुंदर राज, डीआईजी, नक्सल ऑपरेशन

वहीं से लेकर साइकोलॉजिस्ट का भी मानना है कि दुरंचल
इलाकों में तैनात जवानों मोबाइल गेम्स के कई दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ अर्चना बावनगड़े कहती हैं कि जंगलों में तैनात जवानों के सामने मनोरंजन जैसी कोई व्यवस्था नहीं होती है, ऐसे में मोबाइल और वीडियो गेम चाहिए उनके मनोरंजन का साधन होता है। लेकिन किसी भी चीज की लत नुकसानदायक होती है ऐसे में इस तरह के गेम्स कहीं ना कहीं एकाग्रता भंग जरूर करते हैं।

बाईट- डॉ अर्चना बावनगड़े, साइकोलॉजिस्ट

मोबाइल गेम्स और वीडियो गेम्स ना केवल मोर्चे में तैनात जवानों बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी बेहद खतरनाक वाली लाइफ है इसीलिए कर जिस तरह से आप सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने गंभीरता दिखाई दे वह कहीं ना कहीं और भी समाज के तमाम वर्गों के लिए एक बड़ी सोचने वाली बात है।
मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुरConclusion:
Last Updated : May 16, 2019, 6:17 PM IST
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