कांकेर: छत्तीसगढ़ में हाथियों ने फिर से उत्पात मचाना शुरू कर दिया है. इन दिनों हाथियों का झुंड प्रदेश के अलग-अलग जिलों में घूम रहा (group of chanda elephants creating chaos in Kanker ) है. इस बार कांकेर में हाथियों ने कई लोगों के घर को तोड़ दिया है. कई किसानों की फसलों को भी चौपट कर दिया है. जिले के जंगलों में 22 हाथियों ने डेरा डाल रखा है. जिसके कारण ग्रामीण अब दहशत में हैं.
चरामा वन परिक्षेत्र में हाथियों का दल मौजूद: बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात को इस झुंड के कुछ हाथी ग्राम पंचायत जेपरा से लगे टिकरापारा और खालेपारा पहुंचे. हाथियों ने 4 से 5 लोगों के घर को तोड़ दिया. इसके अलावा बाड़ी में भी हाथी पहुंच गए थे. बाड़ी में पहुंचने के बाद वहां लगे पेड़ों को भी तोड़ दिया. इन सब के अलावा सुबह-सुबह हाथियों ने इन गांवों के खेतों में जाकर वहां लगी फसलों को भी चौपट कर दिया. बताया जा रहा है कि सुबह के वक्त कुछ हाथी खेतों में ही घूम रहे थे, जिसे ग्रामीणों और वन विभाग की टीम ने खदेड़ा है. इधर इस बात की सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम एक बार फिर से एक्टिव हो गई है.
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वन अमला सतर्क : उत्पाती हाथियों के आने की खबर मिलते ही वन विभाग सतर्क हो गया है. लगातार हाथियों की निगरानी की जा रही है. जिस इलाके में हाथी बढ़ रहे हैं, उस इलाके में पहुंचकर लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है. वनमंडल अधिकारी आलोक वाजपेयी ने कहा कि ''क्षेत्र में हाथियों को अनुकूल माहौल मिल रहा है. यह हाथियों की प्रवृत्ति भी होती है कि जहां से एक बार विचरण कर चुके हैं, अगर वहां स्थिति ठीक हो, उनके खाने-पीने के स्रोत पर्याप्त हों तो वे उस इलाके में दोबारा लौट कर जरूर आते हैं. उनकी मेमोरी लॉन्ग टर्म होती है. उनकी याददाश्त कई सालों तक रहती है. वे उसी रास्ते पर दोबारा आ भी जाते हैं. बालोद, धमतरी, कांकेर क्षेत्र में बार-बार आने की वजह भी यही है. वे एक जगह लंबे समय तक ठहर कर पूरे स्रोत को खत्म भी नहीं करते. कुछ दिन ठहरते हैं फिर दूसरी जगह चले आते हैं. फिर कुछ समय अंतराल पर वापस उन्हीं इलाकों में आ जाते हैं, जहां उन्हें बेहतर लगा था.''