कवर्धा: छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिला अंतर्गत पिटारी गांव में 16 हाथियों के दल ने जमकर उत्पात मचाया (Terror of elephants of Pitari village) है. ग्रामीणों के कई मकान बर्बाद हो गए हैं. बीती रात गांव के कई मकानों में तोड़-फोड़ करने के बाद हाथियों का दल सोमवार सुबह कवर्धा जिले की ओर बढ़ा है. ये वही हाथी हैं, जो 3 महीने पहले कवर्धा जिले के पंडरिया विकासखंड के कई गांव में फसलों को बर्बाद करने के बाद मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क की ओर चले गए थे. अब ये वापस लौट रहे हैं.
इन हाथियों का लोकेशन पाना है मुश्किल
हाथियों के दल ने पिटारी गांव में जमकर उत्पात मचाया. कई मकानों में तोड़-फोड़ की. अब कवर्धा वन अमला हाथियों पर नजर बनाए हुए है. यह जंगली हाथी बगैर रेडियो कॉलर आईडी वाले हैं, जिसके कारण इनका लोकेशन मिल पाना मुश्किल होता है. हाथियों के दल का नजरों से ओझल होते ही इनका लोकेशन ढूंढ पाना मुश्किल हो जाता है.
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भोजन के लालच में शहर के अंदर दाखिल हो सकते हैं हाथी
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह 11:00 बजे हाथियों का दल पिटारी के जंगल में मौजूद था. यह इलाका कवर्धा जिला के पंडरिया विकासखंड अंतर्गत ढुरसी गांव से सटा है. हाथियों का दल किसी भी वक्त ढुरसी गांव में दाखिल हो सकता है. इसलिए ग्रामीण के साथ वन अमला भी अलर्ट है. अगर हाथियों का दल ढुरसी गांव पहुंच जाता है तो गांव से लगा हुआ रुखमीदादर गांव भी है, जहां गन्ना और बाजरे की फसल ज्यादा क्षेत्र में फैली हुई है. हाथियों का दल अगर गन्ना, बाजरा के फसल तक पहुंच जाता है तो मुश्किलें और भी बढ़ सकती है. ये दल भोजन के लालच में कवर्धा जिले के काफी अंदर तक दाखिल हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो इन्हें भगा पाना मुश्किल हो जाएगा. वन विभाग के साथ-साथ ग्रामीणों के लिए भी हाथियों की दस्तक मुसीबत खड़ी कर सकती है.
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पूरा क्षेत्र नक्सल प्रभावित
वन विभाग के सामने बड़ी समस्या यह भी है कि ये पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है. वन अमले के सामने हाथियों का दल और नक्सलियों की मूवमेंट दोनों के बीच काम करना चुनौतियों से भरा होगा.