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नये शिक्षण सत्र के पहले दिन बच्चों का ऐसे हुआ स्वागत, ढुलवाया गया लोहे का बोर्ड

धमतरी में 8वीं के बच्चों से लोहे का बोर्ड ढुलवाया गया है. जिसका वीडियो सामने आने के बाद मामला गरमा गया है. शिक्षा विभाग ने मामले में संज्ञान लेते हुए हेड मास्टर से इसकी पूरी जानकारी मांगी गई है.

लोहे का बोर्ड ढोते बच्चे
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Published : Jun 25, 2019, 10:03 PM IST

धमतरी: गर्मी की छुट्टी के बाद छत्तीसगढ़ में 24 जून से नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हो गई. नये सत्र के पहले दिन स्कूल पहुंचे बच्चों में एक और जहां उत्साह और रौनक दिखी, वहीं धमतरी के गोकुलपुर सरकारी स्कूल के बच्चों से पढ़ाई की जगह काम कराया गया.

नये शिक्षण सत्र के पहले दिन बच्चों का ऐसे हुआ स्वागत

यहां स्कूल के 8वीं के बच्चों से लोहे का बोर्ड ढुलवाया गया. जिसका वीडियो सामने आने के बाद मामला गरमा गया है. शिक्षा विभाग ने मामले में संज्ञान लेते हुए हेड मास्टर से इसकी पूरी जानकारी मांगी गई है.

प्रधान पाठिका ने दिया था काम
दरअसल, यहां प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी तक की पढ़ाई होती थी. नए सत्र में यहां अंग्रेजी माध्यम में भी पड़ाई शुरू की गई है. इसके लिए लोहे का साइन बोर्ड बनवाया गया था. उस साइन बोर्ड को वर्कशॉप से स्कूल तक लाने का काम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से कराया गया. बताते हैं, स्कूल में मध्याह्न भोजन के लिए काम करने वाली सहायिका के साथ बच्चों को बोर्ड को लाने का काम सौंप दिया गया था.

वर्कशॉप से लोहे का बोर्ड उठाकर लाये बच्चे
60 से 70 किलो वजनी लोहे के बोर्ड को छोटे-छोटे बच्चे कंधों पर उठा कर मजदूरों की तरह वर्कशॉप से स्कूल तक लेकर आये. गनीमत रहा किसी को कोई चोट नहीं आई. लगी लेकिन ये तस्वीरें इस स्कूल के जिम्मेदार लोगों की लापरवाही और संवेदनहीनता से पर्दा हटा रही है और सवाल खड़े कर रही है कि क्या बच्चे स्कूल में शिक्षा हासिल करने आते है या मजदूरी करने. मामले में स्कूल की प्रधान पाठिका और प्राचार्य ने घटना को गलत तो माना, लेकिन जिम्मेदारी से भी बचती नजर आई.

दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
सहायिका का कहना है कि प्रधान पाठिका के निर्देश पर बच्चों से काम कराया गया है. इधर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये स्कूल प्रबंधन की गंभीर चूक है और मामले में जांच के बाद दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

धमतरी: गर्मी की छुट्टी के बाद छत्तीसगढ़ में 24 जून से नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हो गई. नये सत्र के पहले दिन स्कूल पहुंचे बच्चों में एक और जहां उत्साह और रौनक दिखी, वहीं धमतरी के गोकुलपुर सरकारी स्कूल के बच्चों से पढ़ाई की जगह काम कराया गया.

नये शिक्षण सत्र के पहले दिन बच्चों का ऐसे हुआ स्वागत

यहां स्कूल के 8वीं के बच्चों से लोहे का बोर्ड ढुलवाया गया. जिसका वीडियो सामने आने के बाद मामला गरमा गया है. शिक्षा विभाग ने मामले में संज्ञान लेते हुए हेड मास्टर से इसकी पूरी जानकारी मांगी गई है.

प्रधान पाठिका ने दिया था काम
दरअसल, यहां प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी तक की पढ़ाई होती थी. नए सत्र में यहां अंग्रेजी माध्यम में भी पड़ाई शुरू की गई है. इसके लिए लोहे का साइन बोर्ड बनवाया गया था. उस साइन बोर्ड को वर्कशॉप से स्कूल तक लाने का काम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से कराया गया. बताते हैं, स्कूल में मध्याह्न भोजन के लिए काम करने वाली सहायिका के साथ बच्चों को बोर्ड को लाने का काम सौंप दिया गया था.

वर्कशॉप से लोहे का बोर्ड उठाकर लाये बच्चे
60 से 70 किलो वजनी लोहे के बोर्ड को छोटे-छोटे बच्चे कंधों पर उठा कर मजदूरों की तरह वर्कशॉप से स्कूल तक लेकर आये. गनीमत रहा किसी को कोई चोट नहीं आई. लगी लेकिन ये तस्वीरें इस स्कूल के जिम्मेदार लोगों की लापरवाही और संवेदनहीनता से पर्दा हटा रही है और सवाल खड़े कर रही है कि क्या बच्चे स्कूल में शिक्षा हासिल करने आते है या मजदूरी करने. मामले में स्कूल की प्रधान पाठिका और प्राचार्य ने घटना को गलत तो माना, लेकिन जिम्मेदारी से भी बचती नजर आई.

दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
सहायिका का कहना है कि प्रधान पाठिका के निर्देश पर बच्चों से काम कराया गया है. इधर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये स्कूल प्रबंधन की गंभीर चूक है और मामले में जांच के बाद दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Intro:धमतरी के गोकुलपुर सरकारी स्कूल में छोटे बच्चों से लोहे का बोर्ड उठवाने का मामला तूल पकड़ चुका है.इस मामले में स्कूल की हेड मास्टर और सहायिका पर कार्रवाई संभव है.फिलहाल शिक्षा विभाग ने संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है.Body:धमतरी शहर के गोकुलपुर वार्ड में स्थित सरकारी स्कूल नए शिक्षा सत्र के दूसरे ही दिन विवादों में आ गया.यहाँ प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी तक शाला लगती है.नए सत्र में यहाँ अंग्रेजी माध्यम का स्कूल भी शुरू हो रहा है जिसके लिए एक नया लोहे का साइन बोर्ड बनवाया गया था.उस साइन बोर्ड को वेल्डिंग वर्कशॉप से स्कूल तक लाया गया लेकिन लाने का काम इसी स्कूल में पढ़ने वाले 8वी कक्षा के बच्चों से करवाया गया.कायदे से इस बोर्ड को किसी रिक्शा या ठेले से लाया जाना था लेकिन न हेड मास्टर को इसकी परवाह थी न प्राचार्य को.स्कूल के मध्यान्ह भोजन का काम सँभालने वाली सहायिका को बच्चों के साथ जाकर बोर्ड को लाने का काम सौप दिया गया.60 से 70 किलो वजनी लोहे के बोर्ड को छोटे-छोटे बच्चे अपने कंधों पर उठा कर मजदूरो की तरह स्कूल तक लेकर आये.इसे गनीमत ही समझिए कि किसी को कोई चोट नही लगी लेकिन ये तस्वीरें इस स्कूल के जिम्मेदार लोगों की लापरवाही और संवेदनहीनता से पर्दा हटा रही है और सवाल खड़े कर रही है कि क्या बच्चे स्कूल में शिक्षा हासिल करने आते है या मजदूरी करने.
वही इस मामले में शाला की प्रधानपाठिका और प्राचार्य ने घटना को गलत तो माना लेकिन अपनी जिम्मेदारी नही कबूली.इधर सहायिका ने साफ कहा कि प्रधान पाठिका के निर्देश पर बच्चों से मजदूरी का काम लिया गया है.





Conclusion:इधर शिक्षा विभाग ने माना है कि ये गंभीर चूक है और जांच के बाद दोषी पर कार्रवाई की जाएगी.सरकारी शिक्षक सिर्फ सरकारी पगार के आलावा अगर वो बाकी बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह शिक्षा देने की मानसिकता रखते तो ये नही होता.

बाइट...ओंकार साहू, इंद्रजीत देवांगन छात्र 8 वी
बाइट...कृष्णा यादव, सहायिका (लाल साड़ी में )
बाइट...नविता तिवारी, प्रधान पाठिका(काली साड़ी में )
बाइट...डी आर गजेंद्र ,बीईओ धमतरी(कुर्सी पर बैठा हुआ)

रामेश्वर मरकाम धमतरी




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