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बिलासपुर: सहकारी संस्थाओं का पुनर्गठन हाईकोर्ट के फैसले से बाधित

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Published : Dec 5, 2020, 2:09 PM IST

बिलासपुर में सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन को अदालत ने अपने फैसले से बाधित रखा है. जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने इस मामले में सुनवाई की.

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हाईकोर्ट

बिलासपुर: जिले में सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन को अदालत ने अपने फैसले से बाधित रखा है. जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने इस मामले में नोटिस जारी कर राज्य सरकार और पंचायत सहकारी संस्थाओं से निर्धारित अवधि के भीतर जवाब तलब किया है.

बता दें कि सरकार ने 7 मार्च 2020 को एक अधिसूचना जारी कर सरकारी संस्थाओं के पुनर्गठन की नई प्रक्रिया निर्धारित की थी. इसके साथ ही सहकारी समितियों की सुनवाई के अधिकार पर रोक लगाते हुए प्रत्येक सोसाइटी को नोटिस जारी करने के प्रावधान को भी हटा दिया गया. सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रेम प्रकाश गुप्ता और अन्य समितियों के अध्यक्षों ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

सहकारी संस्थाओं को करना होगा जवाब-तलब

सिंगल बेंच ने मामले में प्रारंभिक सुनवाई करते हुए सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन को अदालत के फैसले से बाधित रखा है. साथ ही नोटिस जारी कर राज्य सरकार और पंजीयक सहकारी संस्थाओं से निर्धारित अवधि के भीतर जवाब तलब किया है.

पढ़ें- नक्सल पीड़ित परिवार के एक सदस्य को मिलेगी अनुकंपा नियुक्ति: बिलासपुर हाईकोर्ट

गुरुवार को हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए नक्सल पीड़ित एक परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश जारी किया था. कबीरधाम जिले के ग्राम बोलदा निवासी केकती बाई शर्मा के पति हेम प्रसाद शर्मा की नक्सलियों ने 25 अगस्त 2018 को पुलिस के मुखबिर होने के शक में हत्या कर दी थी. परिवार के मुख्य सदस्य की मृत्यु हो जाने के बाद से पूरा परिवार पैतृक संपत्ति छोड़ कबीरधाम में किराए के मकान में रहने और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने को मजबूर है. पूरे मामले को लेकर याचिकाकर्ता केकती बाई की ओर से शासन को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने को लेकर आवेदन भी दिया गया, ताकि वे अपना निर्वाह कर सकें, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. तब जाकर न्यायालय में याचिका दायर की और कोर्ट ने परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया.

बिलासपुर: जिले में सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन को अदालत ने अपने फैसले से बाधित रखा है. जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने इस मामले में नोटिस जारी कर राज्य सरकार और पंचायत सहकारी संस्थाओं से निर्धारित अवधि के भीतर जवाब तलब किया है.

बता दें कि सरकार ने 7 मार्च 2020 को एक अधिसूचना जारी कर सरकारी संस्थाओं के पुनर्गठन की नई प्रक्रिया निर्धारित की थी. इसके साथ ही सहकारी समितियों की सुनवाई के अधिकार पर रोक लगाते हुए प्रत्येक सोसाइटी को नोटिस जारी करने के प्रावधान को भी हटा दिया गया. सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रेम प्रकाश गुप्ता और अन्य समितियों के अध्यक्षों ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

सहकारी संस्थाओं को करना होगा जवाब-तलब

सिंगल बेंच ने मामले में प्रारंभिक सुनवाई करते हुए सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन को अदालत के फैसले से बाधित रखा है. साथ ही नोटिस जारी कर राज्य सरकार और पंजीयक सहकारी संस्थाओं से निर्धारित अवधि के भीतर जवाब तलब किया है.

पढ़ें- नक्सल पीड़ित परिवार के एक सदस्य को मिलेगी अनुकंपा नियुक्ति: बिलासपुर हाईकोर्ट

गुरुवार को हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए नक्सल पीड़ित एक परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश जारी किया था. कबीरधाम जिले के ग्राम बोलदा निवासी केकती बाई शर्मा के पति हेम प्रसाद शर्मा की नक्सलियों ने 25 अगस्त 2018 को पुलिस के मुखबिर होने के शक में हत्या कर दी थी. परिवार के मुख्य सदस्य की मृत्यु हो जाने के बाद से पूरा परिवार पैतृक संपत्ति छोड़ कबीरधाम में किराए के मकान में रहने और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने को मजबूर है. पूरे मामले को लेकर याचिकाकर्ता केकती बाई की ओर से शासन को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने को लेकर आवेदन भी दिया गया, ताकि वे अपना निर्वाह कर सकें, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. तब जाकर न्यायालय में याचिका दायर की और कोर्ट ने परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया.

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