बीजापुर: नए पुलिस अधीक्षक अंजनेय वार्ष्णेय ने कहा कि नक्सल खात्मा के लिए जिले में कैंप खुलना जरूरी है. जिससे अंदरूनी गांव में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा होने से नक्सल समस्या समाप्त हो जाएगी. वहीं, अंदरूनी गांव में सड़क और पुल-पुलियों को लेकर आदिवासियों के आंदोलन को नक्सलियों ने बाधित किया है. नक्सल विरोधी अभियान के लिए कैंप भी खुलेंगे और नक्सल ऑपरेशन भी चलेगा. यही नहीं उनके मुख्य सप्लाई राशन, दवाईयां, उनके ड्रेस और बड़े सामान लाने पर रोक लगाने के लिए पैनी नजर रखी जा रही है.
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नक्सली ग्रमीणों को करते है परेशान: एसपी अंजनेय वार्ष्णेय ने कहा कि "इन दिनों जारी आंदोलन के लिए नक्सली आदिवासियों को बाध्य कर रहे हैं. आंदोलन में नहीं जाने पर लोगों से जुर्माना वसूला जाता है. यही नहीं इसमें शामिल होने आने वाले अपने घरों से चावल-दाल लाते हैंं. नक्सली गांव के लोगों से नियमित रूप से लेवी वसूलते हैं. महुआ, टोरा, इमली, तेन्दूपत्ता के सीजन में कोई भी आदिवासी अपना समय नहीं निकाल पाते और विरोध भी करना चाहते हैं. लेकिन दबाव के चलते आंदोलन में शामिल हो रहे हैं."
कैंप का विस्तार: बीजापुर के एसपी ने कहा कि जहां तक खाने-पीने के सामान की बात है, इसे रोकना मुश्किल है. लेकिन दवा, हथियार, विस्फोटक, वर्दी की सप्लाई को रोकने रूटिन चेकिंग की जा रही है. सीमावर्ती राज्य तेलंगाना और महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ पुलिस का तालमेल है. किसी सामान की सप्लाई इन राज्यों से छत्तीसगढ़ में होने की खबर पर कार्रवाई की जाती है. इसी 26 अप्रैल को विस्फोटक पकड़ा गया था. नक्सलियों के बड़े कैडर बाहर के हैं और स्थानीय लोगों का शोषण कर रहे हैं. इसी वजह से कैम्पों का विस्तार किया जा रहा है.