बालोद : जिले में हाथियों के झुंड ने प्रवेश कर लिया है. वन अमला पूरी तरह हाथियों पर नजर बनाए हुआ है. हाथी का झुंड गुरूर रेंज से होते हुए दल्ली वन परिक्षेत्र में पहुंचा चुका है. इस वक्त हाथियों का दल डौंडी वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहा है. वन मंडल अधिकारी सतोविशा समाजदार ने बताया कि पूरा वन अमला सक्रिय है. सभी रेंज की ड्यूटी लगाई गई है. पल-पल की मॉनिटरिंग भी की जा रही है. फिलहाल घबराने जैसी कोई बात नहीं है.
वन अधिकारियों ने ग्रामीणों से ये भी कहा कि हाथियों को सही दिशा देने की कोशिश की जा रही है, ताकि वे भटके न. अधिकारियों ने निर्देश देते हुए ये भी कहा कि यदि कहीं महुआ एकत्र किया गया है तो उसे तुरंत सुरक्षित जगह पर रखें. वन मंडल अधिकारी ने बताया कि वन विभाग ने टीम तैयार कर ली गई है. तीनों रेंज के अधिकारी-कर्मचारी काम में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि हाथियों के झुंड ने गुरुर क्षेत्र में खेती को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन उसके बाद से उन्होंने खेतों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. हाथियों के लिए ऐसा रास्ता बना दिया गया है जो जंगल से ही अंदर ही चले जाए. वन विभाग की ओर से तार फेंसिंग की गई है, जरूरत के मुताबिक तार फेसिंग को खोल दिया जा रहा है. इसके साथ ही हाथी को अंदर जाने का रास्ता भी दिया जा रहा है.
वन मंडल अधिकारी ने बताया कि हाथियों का दल ज्यादा से ज्यादा बांस के जंगलों से होकर गुजरेगा, क्योंकि बांस उनका पसंदीदा खाना है. बांस खाने से उनका पेट भरा रहेगा तो वो खेतों की ओर रुख नहीं करेंगे. जंगल के फेंसिंग को खोलकर देखा गया तो विभाग सफल साबित हुआ, यहां हाथी बांस के जंगलों में होकर जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बात का ध्यान रखें कि महुआ का भंडारण न हो. अगर महुआ का भंडारण होगा तो हाथी घरों की ओर रुख करेंगे.
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बालोद में हाथी कर रहे विचरण
इन दिनों प्रदेश के कई हिस्सों में हाथियों ने आतंक मचा रखा है. बालोद के दल्ली राजहरा रेंज में 22 हाथियों का दल पहुंचा था. हाथियों को लेकर ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. गुरुर क्षेत्र के भड़भूम की तरफ से बेलोदा होते हुए मंगलतराई और परकलकसा के जंगलों में हाथियों का दल पहुंचा है. वन विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में मुनादी करा रहा है. लोगों से घरों में रहने की अपील की जा रही है.
पहले और अब की सरकार ने किए उपाय
हाथी रहवासी क्षेत्रों के विकास और प्रोजेक्ट एलीफेंट के नाम पर पिछले 10 साल में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने करीब 64 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. 2018 में सर्वाधिक 1307 करोड़ खर्च किए. इसके बाद भी मौतों की संख्या में कमी होते नहीं दिख रहा है.
कुमकी हाथी रही फेल
जानकारी के मुताबिक खनिज न्यास मद से साल 2018 में 13 लाख रुपए खर्च कर उद्यानिकी विभाग ने 100 ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दी, लेकिन किट की खरीदी नहीं की गई. वन विभाग ने क्रेडा की मदद से साल 2015-16 में 11 लाख खर्चकर 25 किलोमीटर की सोलर फेंसिंग की गई थी. योजना के तहत 7 गांव में संयंत्र लगाने थे और फेसिंग में 72 किलोमीटर कबर होना था. 25 किलोमीटर के बाद यह दायरा आगे नहीं बढ़ सका. हालही में हाथियों की समस्या से निपटने प्रशिक्षित कुमकी हाथी को लाया गया, इस पर लाखों रुपए खर्च किए गए बावजूद इसके यह उपाय भी असफल रहा.
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भूपेश बघेल ने लेमरू एलीफेंट रिजर्व शुरू किए जाने का किया ऐलान
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 को इन हाथियों के लिए एक बड़ी परियोजना लेमरू एलीफेंट रिजर्व शुरू किए जाने का ऐलान किया था. इसके तहत कोरबा में करीब 450 वर्ग किलोमीटर घनघोर जंगल वाले लेमरू वन परिक्षेत्र में एलीफेंट रिजर्व बनाने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन इसका काम अब तक शुरू नहीं हो सका है.
लोकसभा में अगस्त 2019 में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक
हाथी के हमले में इंसानों की मौत
- 2016-17 में 74 लोगों की मौत
- 2017-18 में 74 लोगों की मौत
- 31 मार्च 2019 तक 56 लोगों की मौत
- 2016 से अबतक 200 से ज्यादा लोगों की मौत
- छत्तीसगढ़ में 3 साल में 204 लोगों की मौत
- देश में 3 साल में 1,474 लोगों की मौत
छत्तीसगढ़ चौथे नंबर पर
- 3 साल में असम 274 लोगों की मौत
- ओडिशा में 243 लोगों की मौत
- झारखंड में 230 लोगों की मौत
- छत्तीसगढ़ में 204 लोगों की मौत
- पश्चिम बंगाल में 202 लोगों की मौत