बालोद : नवरात्रि के अवसर माता के नौ रुपों के साथ भगवान राम की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म चैत्र की नवमी तिथि को हुआ था. इसलिए इस दिन को रामनवमी के तौर पर पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. लेकिन राम की पूजा बिना हनुमान के अधूरी है. लिहाजा प्रभु श्रीराम के साथ हनुमान जी की भी पूजा श्रद्धापूर्वक की जाती है. आज हम आपको छत्तीसगढ़ के ऐसे ही हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जो भूमि फाड़कर स्वयं प्रकट हुए हैं. इस जगह पर हनुमान का आकार साल दर साल बढ़ता जा रहा है.
400 वर्ष पुराना है इस मंदिर का इतिहास: बालोद गुंडरदेही विकासखंड के कमरौद गांव में स्थित भूमिफोड़ बजरंगबली (Balod Bhumiphod Hanuman). जो स्वयं ही भूमि से निकले हैं. इस मूर्ति का आकार हर साल बढ़ता है. अब तक इस मूर्ति का आकार आठ फीट का हो चुका है. मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना (Bhumiphod Hanuman is four hundred years old) है. ऐसी किवदंती है कि, गांव का एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था.लेकिन हल का फाल एक जगह जाकर अटकता और फिर जोर लगाने पर टूट जाता. इसके बाद हनुमान जी ने किसान को सपने में दर्शन देकर उस जगह के बारे में बताया. अगले दिन किसान ने खेत में खुदाई की वहां से बजरंगबली की मूर्ति निकली. किसान ने खेत के उसी हिस्से में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवा दी. तब से लेकर आज तक हनुमानजी लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण कर रहे हैं.
हनुमान जन्मोत्सव पर बन रहे शुभ संयोग, राशि के अनुसार करें मंत्रों का जाप, मिलेगी संकटों से मुक्ति
समय के साथ बढ़ता गया प्रांगण : आज के समय में इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है. बजरंगबली के साथ इस स्थान पर दूसरे देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं.हाल ही में मंदिर के अंदर 17 फीट ऊंची विशाल काली मां की प्रतिमा स्थापित की गई है.मंदिर के विकास के लिए स्थानीय लोगों ने सरकार से गुहार लगाई.लेकिन कोई फंड नहीं मिला.जिसके बाद स्थानीय लोगों, व्यापारियों और आम जनता ने आपसी सहयोग से मंदिर का विकास किया गया.
प्राकृतिक है भगवान हनुमान की मूर्ति : प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त बजरंगबली की मूर्ति कृत्रिम नहीं बल्कि प्राकृतिक है. यह स्थान आस्था का केंद्र है. जहां पिछले 400 साल से लोग बारह महीने दर्शन के लिए आते हैं.