बेतिया: जिले की महिला पुलिसकर्मी महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश रही हैं. इन महिलाओं के नाम सुनते ही यहां बड़े-बड़े अपराधियों की रूह कांप उठती है. ये वो महिलाएं हैं जिन्होंने और लोगों से हटकर समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है. इनके माता-पिता और समाज भी इन पर गर्व करते हैं. बता दें कि बेतिया में एसपी से लेकर थाना प्रभारी तक सभी पदों पर महिलाएं कार्यरत हैं.
2008 बैच की आईपीएस एसपी निताशा गुड़िया
एसपी निताशा गुड़िया 2008 बैच की आईपीएस हैं. झारखंड के रांची की रहने वाली निताशा गुड़िया अपनी मां के सपनों को पूरा करने के लिए आईपीएस बनी. बेहद सख्त और ईमानदार छवि की आईपीएस महिलाओं की आईकॉन हैं. शिवहर, गोपालगंज के बाद बेतिया में इनके नाम से आपराधी कांप उठते हैं. एसपी ने बताया कि महिला ही समाज की असली वास्तविक वास्तुकार हैं. इसके लिए महिलाओं को पढ़ना जरूरी है. महिलाओं को अपनी ताकत को समझने की जरूरत है. निताशा गुड़िया ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को आगे आने की अपील भी की.
'महिलाओं को डरना नहीं चाहिए'
महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी कई कुख्यात अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी हैं. इन्हें शुरुआती दिनों में परिजनों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. लेकिन आज वही परिवार इन पर गर्व करता है. बेहतर कार्य के लिए कई सम्मान इनके नाम हैं. थानाध्यक्ष पूनम का कहना है कि हम महिलाओं को सिर्फ महिला दिवस पर याद किया जाता है. जो महिलाओं को महिला दिवस पर सम्मान मिलता है. वह सम्मान की उपेक्षा हर महिला हर दिन चाहती हैं. उन्होंने महिलाओं को संदेश दिया कि महिलाओं को डरना नहीं चाहिए. अपने अधिकार के लिए लड़ते रहना चाहिए.
समाज और गांव के लोग कर रहे गर्व
अब इन महिला सिपाहियों से मिलिए कोई राइफल के साथ है तो कोई कार्यालय में फाइल ठीक कर रही हैं. वहीं, किसी की उंगलियां कंप्यूटर के की-बोर्ड पर चल रही है. यह महिला सिपाही चाहती हैं कि लड़कियों को पुलिस में आना चाहिए. यह एक अवसर है अपने आप को साबित करने का. जमुई की रहने वाली कविता कहती है कि जब मैं पुलिस में आई तो समाज के लोग मना कर रहे थे. पुलिस की नौकरी लड़कियों के लिए ठीक नहीं है. लेकिन आज वही समाज और गांव के लोग मुझ पर गर्व करते हैं.