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दशकों से पुलिस के लिए सिर दर्द रहे कुख्यात बंशी यादव ने किया आत्मसमर्पण

नेपाल में नाम बदलकर रह रहे बंशी यादव उर्फ पतरु चौधरी ने पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में आकर सरेंडर किया है. अपहरण, लूट और हत्या के दर्जनों मामलों में लम्बे समय से पुलिस को इसकी तलाश थी.

पुलिस ने बंशी यादव का किया आत्मसमर्पण
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Published : Jul 17, 2019, 10:11 AM IST

पश्चिमी चंपारण: दशकों से आतंक के दुनिया में कुख्यात बंशी चौधरी ने बगहा पुलिस अधिक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. वंशी यादव की अपहरण, लूट और हत्या के दर्जनों मामलों में लम्बे समय से पुलिस को तलाश थी. ये ध्रुव चौधरी गैंग का भी सदस्य रहा है.

बंशी यादव ने किया आत्मसमर्पण

80 के दशक में थी खौफ
मिनी चम्बल के नाम से मशहूर चम्पारण में बंसी चौधरी का खौफ था. वर्ष 1983 से लगतार दो दशक तक अपराध की दुनिया में सक्रिय रहा था. बेतिया और बगहा जिले की पुलिस के लिए यह डकैत सिरदर्द बना हुआ था. वर्ष 1987 में बगहा पुलिस और डकैतों के मुठभेड़ में ध्रुव मल्लाह मारा गया था, जो बंसी चौधरी का दायां हाथ था.

नेपाल में ले रखी थी शरण
वंशी चौधरी, वंशी यादव और पतरु चौधरी के नाम से एक समय में कुख्यात बंसी चौधरी नेपाल में नाम बदलकर रह रहा था. पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन ने बताया कि इसने पुलिस की दबिश की वजह से सरेंडर किया है. अपहरण, लूट और हत्या के दर्जनों मामलों में इसकी संलिप्तता रही है. काफी लंबे समय से पुलिस को इसकी तलाश थी.

पश्चिमी चंपारण: दशकों से आतंक के दुनिया में कुख्यात बंशी चौधरी ने बगहा पुलिस अधिक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. वंशी यादव की अपहरण, लूट और हत्या के दर्जनों मामलों में लम्बे समय से पुलिस को तलाश थी. ये ध्रुव चौधरी गैंग का भी सदस्य रहा है.

बंशी यादव ने किया आत्मसमर्पण

80 के दशक में थी खौफ
मिनी चम्बल के नाम से मशहूर चम्पारण में बंसी चौधरी का खौफ था. वर्ष 1983 से लगतार दो दशक तक अपराध की दुनिया में सक्रिय रहा था. बेतिया और बगहा जिले की पुलिस के लिए यह डकैत सिरदर्द बना हुआ था. वर्ष 1987 में बगहा पुलिस और डकैतों के मुठभेड़ में ध्रुव मल्लाह मारा गया था, जो बंसी चौधरी का दायां हाथ था.

नेपाल में ले रखी थी शरण
वंशी चौधरी, वंशी यादव और पतरु चौधरी के नाम से एक समय में कुख्यात बंसी चौधरी नेपाल में नाम बदलकर रह रहा था. पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन ने बताया कि इसने पुलिस की दबिश की वजह से सरेंडर किया है. अपहरण, लूट और हत्या के दर्जनों मामलों में इसकी संलिप्तता रही है. काफी लंबे समय से पुलिस को इसकी तलाश थी.

Intro:दशकों से जरायम की दुनिया मे आतंक का पर्याय बने बंशी चौधरी ने आज बगहा पुलिस अधिक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। हत्या, अपहरण, व आर्म्स एक्ट जैसे मामलों में पुलिस को इसकी लम्बे समय से तलाश थी। उमाशंकर यादव के सरेंडर के तुरंत बाद बंशी यादव का आत्मसमर्पण बगहा पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।Body:वर्ष 1983 से अपराध की दुनिया मे दशको तक सक्रिय रहे वंशी यादव की अपहरण, लूट और हत्या के दर्जनों मामलों में लम्बे समय से पुलिस को तलाश थी। बगहा और बेतिया की पुलिस को चकमा देकर वंशी नेपाल में नाम बदलकर शरण ले रखा था।
बाईट-राजीव रंजन,एसपी,बगहा

वंशी चौधरी, वंशी यादव व पतरु चौधरी के नाम से 80 के दशक में इलाके के लोग कांप जाते थे। मिनी चम्बल के नाम से मशहूर चम्पारण में बेतिया व बगहा दोनों पुलिस जिले के लिए यह डकैत सरदर्द बना हुआ था। वर्ष 1987 में बगहा पुलिस जिला के गोवर्धना थाना अंतर्गत पुलिस और डकैतों में फायरिंग भी हुई थी जिसमे इसका दाहिना हाथ माने जाने वाला ध्रुव मल्लाह मारा गया था और उस समय भी यह पुलिस की आंख में धूल झोंक फरार हो गया था।
Conclusion:बहरहाल, नवागत पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन के प्रयासों का हीं नतीजा है कि नेपाल में नाम बदलकर रह रहे बंशी यादव उर्फ पतरु चौधरी ने पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में आकर सरेंडर किया है। पिछले ही सप्ताह उमाशंकर यादव ने भी आत्मसमर्पण किया था। इसलिए इस सरेंडर को बगहा पुलिस की एक अहम उपलब्धि मानी जा रही है।
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