वैशाली: पीपीएम अवार्ड यानी राष्ट्रपति पुलिस पदक अवार्ड मिलना बेहद गौरव की बात है. 2023 के गणतंत्र दिवस पर वैशाली के हाजीपुर स्थित पूर्व मध्य रेलवे जोनल ऑफिस में कार्यरत आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा आयुक्त शरद चंद्र पारहि को मिलने की घोषणा हुई. पुलिस सेवा में लंबे समय तक लगातार बेहतरीन काम करने के बाद पीपीएम अवार्ड दिया जाता है. वैसे तो पूर्व मध्य रेलवे के खाते में 15 मे से तीन राष्ट्रपति अवार्ड आया है. वहीं हाजीपुर में ही पोस्टेड शारद चंद्र पारहि को पीपीएम अवार्ड मिलने से पूर्व मध्य रेलवे गदगद है.
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रेलवे के लिए गर्व की बात: पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने कहा है कि यह गौरव की बात है कि दो अधिकारी दानापुर डिवीजन में पोस्टेड है. जबकि प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त शरद चंद्र पारहि हाजीपुर में पोस्टेड है. पूरा रेल परिवार इससे काफी खुश है. बताया गया कि स्वतंत्रता दिवस 2023 के अवसर पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने आरपीएफ और आरपीएसएफ (रेलवे बोर्ड सहित) के अधिकारियों और कर्मचारियों को विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया है. जिसमें कुल 15 लोग शामिल है और पहला नाम शारद चंद्र पारहि का है.
26/11 कैरियर का सबसे बड़ा चैलेंज: अवार्ड मिलने की घोषणा के बाद शारद चंद्र पारहि बेहद खुश नजर आए उन्होंने कहा कि आपने जो अच्छा काम किया था उसका कोई न कोई हिसाब लगा रहा था. जिसका फल यह अवार्ड है. उन्होंने अपने कैरियर के उतार-चढ़ाव के बारे में भी खुलकर बातचीत की और बताया कि 2008 के 26/11 उनके कैरियर का सबसे चैलेंजिंग मामला था. उनके करीब 34 साल का सफर है और यह सफर तो बहुत सुहाना रहा लेकिन इसमें उताड़-चढ़ाव आए. काफी डिफिकल्ट जगह पर पोस्टिंग भी मिली और ऐसी जगह थे कि जहां पर माओवादियों की समस्या और कुछ जगह तो ऐसी थी जहां बच्चों को पढ़ा भी नहीं सकते थे.
26/11 के दौरान कैसे किया काम: किसी के भी सर्विस करियर में उताड़ चढ़ाव होते रहते हैं ऐसा कोई बड़ा उताड़ आया नहीं जो भी चैलेंज आए हैं उनको पूरा किया. सबसे बड़ा चैलेंज 2008 में जो 26/11 था उस समय वो सीनियर डीएससी हुआ करते थे. इधर टेररिस्ट अटैक हुआ और स्टेशन बंद हो गया था, डेड बॉडी पड़ी हुई थी, रेसकिउ भी करना था और इधर स्टेशन पर चेक कर ट्रेन को फिर से चालू करना था. इतने सारे चैलेंज एक साथ आ गए थे जिसको इन लोगों ने कर लिया. दूसरी एजेंसी भी उनके साथ थी और मिलकर उन्होंने वह सब कर लिया. 10:00 बजे करीब यह घटना हुई और और रात को 2:00 बजे ट्रेन सर्विस रिस्टोर हो गई थी.
1989 में ज्वाइन की सर्विस: उन्होंने आगे बताया कि स्टेशन पर ही 58 लोगों की मौत हुई थी और दूसरे जगह पर भी दूसरे चैलेंज आते जाते रहे थे. मैं ओडिसा का रहने वाला हूं. मैंने 1989 में ज्वाइन किया था. मुझे तीन से चार बार रेलवे का अवार्ड मिल चुका है. 2001 और दो में भी अवार्ड मिला. 2010 में इंडियन पुलिस मेडल मिला इसके बीच में बहुत सारे प्रस्सति पत्र और अवार्ड मिले. मुझे प्रेसिडेंट पुलिस मेडल मिलने की घोषणा हुई है अभी अनाउंस हुआ है उसका जब पैरेड होता तो उसमें दिया जाएगा.
"सबसे बड़ा चैलेंज हमको 2008 में जो 26/11 था उस समय में सीनियर डीएससी हुआ करता था जब यह घटना हुई थी रात को 9:45 बजे मैं पोस्ट के नजदीक रहता हूं ताकि मैं 5 से 7 मिनट में वहां पहुंच सकूं. मैं पहला सीनियर ऑफिसर था जो पहुंचा था और हमारे दो तीन ऑफिसर को हमने तुरंत हथियार निकालवाकर एनकाउंटर करने के लिए बोला उन दोनों को भी गैलंट्री अवॉर्ड मिला है. एक को प्रेसिडेंट से गैलंट्री अवॉर्ड मिला. यह सबसे बड़ा चैलेंज था उस समय दोनों क्राइसिस एक ही साथ हुए थे. इधर टेररिस्ट अटैक हुआ और स्टेशन बंद हो गया था, डेड बॉडी पड़ी हुई थी, रेसकिउ भी करना था और इधर स्टेशन पर पूरा चेक कर ट्रेन को फिर से चालू करना था. स्टेशन पर ही 58 लोगों की मौत हुई थी और दूसरे जगह पर भी दूसरे चैलेंज आते जा रहे थे." - शरद चंद्र पारहि, प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, पूमरे, हाजीपुर