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समस्तीपुर: डॉक्टर ने जुड़वा जिंदा बच्चों को कार्टन में पैककर परिजनों को सौंपा, मौत

परिजन आनन-फानन में दोनों बच्चों को शिशु रोग विशेषज्ञ के पास लेकर गए. वहां डॉक्टर ने बताया कि दोनों की हालत गंभीर है. सांसे उल्टी चल रही हैं बच्चों को बचाना मुश्किल है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बच्चे का इलाज जन्म के समय ही किया जाता तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती.

samastipur
मृतक के परिजन
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Published : Dec 22, 2019, 4:14 PM IST

समस्तीपुर: जिले के मोहनपुर स्थित निजी क्लीनिक में प्रसव के दौरान एक महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था और बच्चों को कार्टन में बंद कर परिजनों को सौंप दिया था. लेकिन परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने कार्टन खोलकर देखा तो दोनों बच्चे जिंदा थे. हालांकि शिशु विशेषज्ञ के पास पहुंचने तक दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी.

डॉक्टरों ने जिंदा बच्चों को किया कार्टन में बंद
बता दें कि गंडक कॉलोनी बांध में रहने वाली मुन्नी देवी को प्रसव के लिए निजी क्लनिक में भर्ती कराया गया था. जहां उन्होंने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. लेकिन डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर कार्टन में बंद कर दिया था. जिसके बाद परिजन दोनों बच्चों को दाह संस्कार के लिए ले जा रहे थे. तभी उन्होंने कार्टन को खोला तो देखा दोनों बच्चे जिंदा थे.

डॉक्टर ने जिंदा बच्चों को कार्टन में बंद किया

'जन्म के समय इलाज होता तो बच सकते थे बच्चे'
वहीं, परिजन आनन-फानन में दोनों बच्चों को शिशु रोग विशेषज्ञ के पास लेकर गए. जहां डॉक्टर ने बताया कि दोनों की हालत गंभीर है. सांसे उल्टी चल रही है बच्चों का बचाना मुश्किल है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बच्चे का इलाज जन्म के समय ही किया जाता तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती. लेकिन डॉक्टर ने दोनों बच्चों का इलाज शुरू किया पर 3 घंटे के अंदर दोनों की मौत हो गई.

समस्तीपुर: जिले के मोहनपुर स्थित निजी क्लीनिक में प्रसव के दौरान एक महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था और बच्चों को कार्टन में बंद कर परिजनों को सौंप दिया था. लेकिन परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने कार्टन खोलकर देखा तो दोनों बच्चे जिंदा थे. हालांकि शिशु विशेषज्ञ के पास पहुंचने तक दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी.

डॉक्टरों ने जिंदा बच्चों को किया कार्टन में बंद
बता दें कि गंडक कॉलोनी बांध में रहने वाली मुन्नी देवी को प्रसव के लिए निजी क्लनिक में भर्ती कराया गया था. जहां उन्होंने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. लेकिन डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर कार्टन में बंद कर दिया था. जिसके बाद परिजन दोनों बच्चों को दाह संस्कार के लिए ले जा रहे थे. तभी उन्होंने कार्टन को खोला तो देखा दोनों बच्चे जिंदा थे.

डॉक्टर ने जिंदा बच्चों को कार्टन में बंद किया

'जन्म के समय इलाज होता तो बच सकते थे बच्चे'
वहीं, परिजन आनन-फानन में दोनों बच्चों को शिशु रोग विशेषज्ञ के पास लेकर गए. जहां डॉक्टर ने बताया कि दोनों की हालत गंभीर है. सांसे उल्टी चल रही है बच्चों का बचाना मुश्किल है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बच्चे का इलाज जन्म के समय ही किया जाता तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती. लेकिन डॉक्टर ने दोनों बच्चों का इलाज शुरू किया पर 3 घंटे के अंदर दोनों की मौत हो गई.

Intro:डॉक्टर ने किया मानवता को शर्मसार जिंदा बच्चे को मृत घोषित कर कार्टून में बंद कर सौंपा परिजन को।
समस्तीपुर शहर के मोहनपुर स्थित एक निजी क्लीनिक में प्रसव के दौरान एक महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। डॉक्टर के द्वारा परिजनों को बताया गया कि दोनों बच्चो की हालत गंभीर है उसके बाद शुरू किया उसका इलाज कुछ ही देर बाद डॉक्टर द्वारा परिजनों को बताया गया कि दोनों बच्चो की मौत हो गई है। उक्त क्लीनिक के कर्मियों ने दोनों बच्चो को कार्टून में पैक कर परिजन को सौंप दिया।Body:परिजन दाह संस्कार के लिए बच्चो को घर ले जा रहे थे टेम्पो पर कार्टून खोलते ही बच्चे को जिंदा पा कर परिजन अचंभित हो गए। आनन फानन में परिजन बच्चे को लेकर एक शिशु रोग विशेषज्ञ के ले गए वहां के डॉक्टर ने बताया दोनों की हालत गंभीर है सांसे उल्टी चल रहा है बच्चे का बचना मस्किल है।Conclusion:अगर बच्चे की इलाज जन्म के समय से ही कि होती तो बच्चे की स्थिति गंभीर नहीं होती बच्चे की जान बचाने के लेकर इलाज शुरू किया गया। इसी बीच 3 घंटे इलाज रत दोनों बच्चे की मौत हो गई।
बता दें कि समस्तीपुर शहर के गंडक क्लोनी बांध पर स्थित संदेश सहनी की पत्नी मुन्नी देवी प्रसव पीड़ा के बाद मोहनपुर स्थित एक निजी क्लनिक में भर्तीकराया गया था। जहां महिला में जुड़वा बच्चों को जन्म दी थी ।
बाईट : रीता देवी रिस्तेदार
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