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काराकाट: सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सहित 24 उम्मीदवारों की जमानत हो गई जब्त

काराकाट सीट से जदयू के विजयी प्रत्याशी महाबली सिंह और दूसरे स्थान पर रहे उपेन्द्र कुशवाहा ही जमानत बचा सके. यहां से कुल 27 उम्मीदवारों में 25 की जमानत जब्त हो गई.

रोहतास
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Published : May 27, 2019, 8:14 PM IST

रोहतास: बिहार के काराकाट सीट पर इस बार चुनाव बड़ा ही दिलचस्प रहा. इस सीट से कुल 27 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. लेकिन एनडीए की तूफान में 25 उम्मीदवारों की यहां से जमानत जब्त हो गई. वहीं, जदयू प्रत्याशी महाबली सिंह ने यहां से जीत का सेहरा पहना.

काराकाट सीट से कई राजनीतिक दिग्गज भी अपनी किस्मत अजमा रहे थे. यहां से रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा और सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी भी चुनावी मैदान में थे. लेकिन चुनाव के इस परिणाम में घनश्याम तिवारी सहित 24 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई. चुनाव के परिणाम में हारे सभी प्रत्याशियों में दूसरे स्थान पर रहे उपेन्द्र कुशवाहा ही सिर्फ अपनी जमानत बचा सके.

महाबली सिंह का बयान

यहां से उपेंद्र कुशवाहा भी हारे
इस सीट से चुनाव परिणाम की बात करें तो पहला और दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी महाबली सिंह को 375855 और उपेंद्र कुशवाहा को 289497 वोट मिले. वहीं, तीसरे स्थान पर बसपा के राजाराम सिंह को 23652 और सपा से घनश्याम तिवारी को महज 2708 वोट से ही संतोष करना पड़ा.

'यह नफरत पर प्यार की जीत है'
इस सीट से विजयी प्रत्याशी महाबली सिंह का कहना है कि बिहार में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के कार्य सबका साथ और सबका विकास की जीत हुई है. यह काराकाट जनता की जीत है. यह जीत अधर्म पर धर्म, नफरत पर प्यार की जीत है. यहां के लोगों ने जाति और धर्म की राजनीति करने वाले को नकारा है. क्षेत्र में विकास ही मेरी पहली प्राथमिकता है.

रोहतास: बिहार के काराकाट सीट पर इस बार चुनाव बड़ा ही दिलचस्प रहा. इस सीट से कुल 27 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. लेकिन एनडीए की तूफान में 25 उम्मीदवारों की यहां से जमानत जब्त हो गई. वहीं, जदयू प्रत्याशी महाबली सिंह ने यहां से जीत का सेहरा पहना.

काराकाट सीट से कई राजनीतिक दिग्गज भी अपनी किस्मत अजमा रहे थे. यहां से रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा और सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी भी चुनावी मैदान में थे. लेकिन चुनाव के इस परिणाम में घनश्याम तिवारी सहित 24 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई. चुनाव के परिणाम में हारे सभी प्रत्याशियों में दूसरे स्थान पर रहे उपेन्द्र कुशवाहा ही सिर्फ अपनी जमानत बचा सके.

महाबली सिंह का बयान

यहां से उपेंद्र कुशवाहा भी हारे
इस सीट से चुनाव परिणाम की बात करें तो पहला और दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी महाबली सिंह को 375855 और उपेंद्र कुशवाहा को 289497 वोट मिले. वहीं, तीसरे स्थान पर बसपा के राजाराम सिंह को 23652 और सपा से घनश्याम तिवारी को महज 2708 वोट से ही संतोष करना पड़ा.

'यह नफरत पर प्यार की जीत है'
इस सीट से विजयी प्रत्याशी महाबली सिंह का कहना है कि बिहार में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के कार्य सबका साथ और सबका विकास की जीत हुई है. यह काराकाट जनता की जीत है. यह जीत अधर्म पर धर्म, नफरत पर प्यार की जीत है. यहां के लोगों ने जाति और धर्म की राजनीति करने वाले को नकारा है. क्षेत्र में विकास ही मेरी पहली प्राथमिकता है.

Intro:रोहतास। लोकसभा में रिजल्ट आने के बाद मोदी सरकार ने पूरे देश में इतिहास रच दिया। वही काराकाट ने कई दिग्गजों की जमानत जप्त कर ली।


Body:गौरतलब है कि काराकाट लोकसभा क्षेत्र से इस बार कुल 29 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। जहां कई दिग्गज भी अपने किस्मत को दांव पर लगा दिया था। जिनमें जदयू के महाबली सिंह रालोसपा के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी इस चुनावी महाकुम्भ में अपनी किस्मत आजमा रहें थे। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि जीत का ताज महाबली सिंह के सर पर चढ़ा तो वही उपेंद्र कुशवाहा को महाबली सिंह के सामने घुटने टेकने पड़े। वही सबसे महत्वपूर्ण और दिलचस्प बात यह रही कि काराकाट से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी भी चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन परिणाम आने के बाद उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि काराकाट से वे अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। घनश्याम तिवारी की बात करें तो वे महज 2708 वोट लेकर ही सिमट गए। जबकि जीतने वाले उम्मीदवार महाबली सिंह को 375855 वोट मिले। जबकि रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा को 289497 वोट से ही संतोष करना पड़ा। वहीं काराकाट से कुल 27 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। जिसमें 25 उम्मीदवारों की इस चुनाव में जमानत जप्त हो गई। वहीं तीसरे नंबर पर रहने वाले बहुजन समाज पार्टी के राजाराम सिंह को 23652 मत मिले। इस तरह से काराकाट का चुनाव काफी दिलचस्प रहा। क्योंकि काराकाट में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बुआ मायावती का मैजिक भी घनश्याम तिवारी को जमानत बचाने से रोक नहीं पाया। अब सवाल यह है कि इतने उम्मीदवारों की जमानत जप्त होना कहीं ना कहीं इस बात का संकेत जरूर है कि लोगों की चाहत आज भी उन्हीं नेताओं की है जो उनके बीच रहने वाले हैं।


Conclusion:बहरहाल समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता घनश्याम तिवारी की जमानत जप्त होने के बाद सपा पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गया है कि बिहार में सपा का अभी कोई जनाधार नहीं है।
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