पटना (मसौढ़ी): बिहार में थर्ड जेंडर मतदाता विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी बात रख रहे हैं. उनमें जागरूकता दिखाई दे रही है. समाज एक हिस्सा होने का दावा करने वाले थर्ड जेंडरों ने अब चुनाव में भी अपने प्रतिनिधित्व की मांग की है.
थर्ज जेंडर में आने वाले किन्नरों पर समाज की अलग अवधारणा दिखाई देती है. लेकिन बदलते समय में ये अपने हक की लड़ाई और अधिकार की बात करना शुरू कर चुके हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में किन्नर समाज ने अपने प्रतिनिधित्व की मांग की है. इसके लिए बकायदा एक स्लोगन, 'किन्नरों ने ठाना है, विधानसभा जाना है' दिया है .
किन्नर कल्याण बोर्ड
सुप्रीम कोर्ट ने जहा किन्ररों को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया है. तो वहीं देश के कई राज्यों में किन्रर कल्याण बोर्ड का गठन किया जा चुका है. कई राज्यों में किन्नर जनप्रतिनिधि के रूप में अपने क्षेत्र में अच्छी पहचान भी बना चुके हैं. मसौढ़ी की जिया कहती हैं, 'बिहार चुनाव में हम भी चुनाव लड़ना चाहते हैं और ऐसा क्यों नहीं हो सकता. अब चुनाव लड़ना है.'
बिहार में थर्ड जेंडर मतदाता
- चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में थर्ड जेंडर के रूप में कुल मतदाताओं की संख्या 2 हजार 116 थे.
- वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 में थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 2 हजार 406 हो गई.
- दोनों चुनावों में थर्ड जेंडर का मतदान प्रतिशत बेहद कम रहा. यानी इन्होंने वोटिंग की ही नहीं.
चुनाव के समय मतदान में एक-एक वोट काफी मायने रखता है. ऐसे में थर्ड जेंडर का चुनावी मैदान में होना इनके मतदान प्रतिशत को भी बढ़ा सकता है.