पटना: राजधानी पटना के पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में अब कोयला से संचालित उद्योग नहीं चलेंगे. कोयला से संचालित उद्योगों को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने फाइनल नोटिस भेजा है. जिसमें कहा गया है कि 15 दिन के अंदर अपने उद्योगों को नेचुरल गैस में शिफ्ट कर लें या तो पीएनजी का इस्तेमाल करें. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने 11 फैक्ट्रियों को नोटिस भेजा है. अगर कोई ऐसा नहीं करते हैं तो फैक्ट्रियों को बंद कर दी जाएगी.
ये भी पढ़ें: Patna News: प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण पर निबंध प्रतियोगिता, 20 हजार का इनाम जीतने का मौका
11 फैक्ट्रियों को नोटिस: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डॉक्टर डीके शुक्ला ने बताया कि प्रदूषण पटना में एक बार फिर से बढ़ने लगा है. ठंड के मौसम में राजधानी पटना की स्थिति प्रदूषण के मामले में काफी गंभीर हो जाती है. सरकार का भी यह स्पष्ट निर्देश है कि जिन इलाकों में पीएनजी अथवा सीएनजी गैस की पाइपलाइन पूरी तरह पहुंच चुकी है. वहां इंडस्ट्री को नेचुरल गैस में शिफ्ट करना है. साल 2022 में ही तमाम उद्योगों को निर्देशित किया गया था कि वह अपने इंडस्ट्रीज को नेचुरल गैस में शिफ्ट करें और ईंधन के रूप में नेचुरल गैस का ही उपयोग करें.
राजधानी में बढ़ने लगा है प्रदूषण: डॉ डीके शुक्ला ने बताया कि पाटलिपुत्र इंडस्ट्रियल एरिया में पीएनजी का पाइपलाइन पूरी तरह बिछ गई है.उन्होंने कहा कि कोयले से संचालित इन फैक्ट्रियों में एक फैक्ट्री 5 से 10 टन कोयला का प्रतिदिन उपयोग करते हैं. इससे धूलकण में पीएम 10 काफी फैल जाता है. यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है. डॉ डीके शुक्ला ने कहा कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद का स्पष्ट मानना है कि राजधानी वासियों को हानिकारक प्रदूषण से बचाना है.
"बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में कोयले से चलने वाली 11 फैक्ट्रियों को नोटिस भेजा है. फैक्ट्रियों के मालिकों को ईंधन के रूप में नेचुरल गैस का उपयोग करने का निर्देश दिया है. इसके लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है. ऐसा नहीं करने पर फैक्ट्रियों को बंद कर दिया जाएगा." - डॉक्टर डीके शुक्ला, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
15 दिन का अल्टीमेटम: उन्होंने कहा कि इसके लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा और 15 दिन के अंदर कोई फैक्ट्री अपने प्लांट को ईंधन के रूप में नेचुरल गैस के तरफ शिफ्ट नहीं करते हैं तो उसे बंद भी किया जाएगा. पटना में ठंड के मौसम में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है. ठंड के मौसम में हवा का प्रवाह काफी कम हो जाता है. इससे प्रदूषण इकट्ठे हो जाते हैं. ऐसे में प्रयास है कि धूलकण के अलावा प्रदूषण में हार्मफुल गैस जितना कम से कम हो सके वह किया जाए और कोयला काफी अधिक हानिकारक गैस वातावरण में फैलाता है.