पटना: 1917 में स्थापित पटना यूनिवर्सिटी का इतिहास काफी स्वर्णिम रहा है. 100 साल के अपने इस सफर में विवि ने कई उतार-चढ़ाव देखे. बिहार के सबसे प्रमुख विवि के रूप में देखे जाने वाले पीयू ने असंख्य अधिकारी, राजनेता और बिजनेसमैन पैदा किये. लेकिन वर्तमान में सीमित संसाधनों और शिक्षकों की भारी कमी के कारण पटना विश्वविद्यालय भारी फजीहत झेल रहा है.
नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद समेत न जाने कितने अधिकारी, जज, प्रतिष्ठित बिजनेसमैन ने इस विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की. इन सब के बावजूद शिक्षा का ये केंद्र बदहाली की मार झेल रहा है.
प्रोफेसर्स की कमी के कारण रिसर्च का काम ठप्प
शिक्षकों की कमी की बात करें तो पटना यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट में कभी 24 से 26 प्रोफेसर हुआ करते थे. मगर अब यह सिर्फ 4 शिक्षकों के दम पर चल रहा है. वहीं जिओ केमिस्ट्री विभाग में पढ़ाने वाला कोई प्रोफेसर ही नहीं रहा. लिहाजा इसे बंद कर दिया गया है. एक प्रोफेसर को कई विषय पढ़ाने पड़ते हैं. प्रोफेसर्स की कमी के कारण रिसर्च का काम भी ठप्प हो गया है. 2003 के बाद से यहां शिक्षकों की बहाली नहीं हुई.
420 पोस्ट खाली पड़े हैं
जानकारों के मुताबिक पटना यूनिवर्सिटी में छात्रों की संख्या के अनुसार 2000 शिक्षक होने चाहिए. लेकिन, यहां 420 पोस्ट खाली पड़े हैं. सिर्फ 320 प्रोफेसर्स के दम पर यूनिवर्सिटी चल रही है. जितने पढ़ा रहे हैं उससे तो ज्यादा पोस्ट खाली हैं. इस बार 150 पदों का ही विज्ञापन निकाला गया. गेस्ट टीचर्स की बहाली की जा रही है, जो कमी पूरी करने में नाकाफी है.
1 प्रोफेसर के भरोसे चल रहा विभाग
पटना साइंस कॉलेज में 112 पद हैं. लेकिन ये कॉलेज 28 प्रोफेसर्स के भरोसे चल रहा है. जीव विज्ञान विभाग में 2, गणित विभाग में 3 और वनस्पति विज्ञान विभाग में 6 शिक्षक हैं. अंग्रेजी में 1 और हिंदी में 2 ही शिक्षक हैं. पटना लॉ कॉलेज में 14 टीचर के पद हैं, मगर 9 पद खाली हैं. सिर्फ 5 प्रोफेसर्स के दम पर पटना लॉ कॉलेज चल रहा है.
हर विभाग में है शिक्षकों की कमी
वहीं पटना कॉलेज में ढाई हजार छात्र हैं और पढ़ाने के लिए मात्र 30 शिक्षक हैं. पटना कॉलेज के हिंदी विभाग में 6 की जगह 2 ही शिक्षक पढ़ा रहे हैं. यहां के इतिहास विभाग में 6 की जगह एक ही प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं. पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में 25 प्रोफेसर्स हुआ करते थे. लेकिन अब सिर्फ 6 शिक्षक रह गये हैं. मगध महिला कॉलेज में कभी 100 प्रोफेसर थे, आज 32 प्रोफेसर हैं. मगध महिला कॉलेज में 5000 लड़कियां पढ़ती हैं. हिंदी, इतिहास और जीव विज्ञान में पढ़ाने के लिए सिर्फ एक प्रोफेसर ही हैं. इन तीनों विभाग में कम से कम 5 शिक्षकों की जरूरत है.