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नीतीश और लालू को राजनेता बनाने वाला PU बदहाल, शिक्षकों की भारी कमी

नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद समेत न जाने कितने अधिकारी, जज, प्रतिष्ठित बिजनेसमैन ने इस विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की. लेकिन आज शिक्षा का ये केंद्र बदहाली की मार झेल रहा है.

पटना विवि
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Published : Jul 29, 2019, 6:37 PM IST

पटना: 1917 में स्थापित पटना यूनिवर्सिटी का इतिहास काफी स्वर्णिम रहा है. 100 साल के अपने इस सफर में विवि ने कई उतार-चढ़ाव देखे. बिहार के सबसे प्रमुख विवि के रूप में देखे जाने वाले पीयू ने असंख्य अधिकारी, राजनेता और बिजनेसमैन पैदा किये. लेकिन वर्तमान में सीमित संसाधनों और शिक्षकों की भारी कमी के कारण पटना विश्वविद्यालय भारी फजीहत झेल रहा है.

नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद समेत न जाने कितने अधिकारी, जज, प्रतिष्ठित बिजनेसमैन ने इस विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की. इन सब के बावजूद शिक्षा का ये केंद्र बदहाली की मार झेल रहा है.

पेश है शशि तुलस्यिान की रिपोर्ट

प्रोफेसर्स की कमी के कारण रिसर्च का काम ठप्प
शिक्षकों की कमी की बात करें तो पटना यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट में कभी 24 से 26 प्रोफेसर हुआ करते थे. मगर अब यह सिर्फ 4 शिक्षकों के दम पर चल रहा है. वहीं जिओ केमिस्ट्री विभाग में पढ़ाने वाला कोई प्रोफेसर ही नहीं रहा. लिहाजा इसे बंद कर दिया गया है. एक प्रोफेसर को कई विषय पढ़ाने पड़ते हैं. प्रोफेसर्स की कमी के कारण रिसर्च का काम भी ठप्प हो गया है. 2003 के बाद से यहां शिक्षकों की बहाली नहीं हुई.

420 पोस्ट खाली पड़े हैं
जानकारों के मुताबिक पटना यूनिवर्सिटी में छात्रों की संख्या के अनुसार 2000 शिक्षक होने चाहिए. लेकिन, यहां 420 पोस्ट खाली पड़े हैं. सिर्फ 320 प्रोफेसर्स के दम पर यूनिवर्सिटी चल रही है. जितने पढ़ा रहे हैं उससे तो ज्यादा पोस्ट खाली हैं. इस बार 150 पदों का ही विज्ञापन निकाला गया. गेस्ट टीचर्स की बहाली की जा रही है, जो कमी पूरी करने में नाकाफी है.

1 प्रोफेसर के भरोसे चल रहा विभाग
पटना साइंस कॉलेज में 112 पद हैं. लेकिन ये कॉलेज 28 प्रोफेसर्स के भरोसे चल रहा है. जीव विज्ञान विभाग में 2, गणित विभाग में 3 और वनस्पति विज्ञान विभाग में 6 शिक्षक हैं. अंग्रेजी में 1 और हिंदी में 2 ही शिक्षक हैं. पटना लॉ कॉलेज में 14 टीचर के पद हैं, मगर 9 पद खाली हैं. सिर्फ 5 प्रोफेसर्स के दम पर पटना लॉ कॉलेज चल रहा है.

हर विभाग में है शिक्षकों की कमी
वहीं पटना कॉलेज में ढाई हजार छात्र हैं और पढ़ाने के लिए मात्र 30 शिक्षक हैं. पटना कॉलेज के हिंदी विभाग में 6 की जगह 2 ही शिक्षक पढ़ा रहे हैं. यहां के इतिहास विभाग में 6 की जगह एक ही प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं. पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में 25 प्रोफेसर्स हुआ करते थे. लेकिन अब सिर्फ 6 शिक्षक रह गये हैं. मगध महिला कॉलेज में कभी 100 प्रोफेसर थे, आज 32 प्रोफेसर हैं. मगध महिला कॉलेज में 5000 लड़कियां पढ़ती हैं. हिंदी, इतिहास और जीव विज्ञान में पढ़ाने के लिए सिर्फ एक प्रोफेसर ही हैं. इन तीनों विभाग में कम से कम 5 शिक्षकों की जरूरत है.

पटना: 1917 में स्थापित पटना यूनिवर्सिटी का इतिहास काफी स्वर्णिम रहा है. 100 साल के अपने इस सफर में विवि ने कई उतार-चढ़ाव देखे. बिहार के सबसे प्रमुख विवि के रूप में देखे जाने वाले पीयू ने असंख्य अधिकारी, राजनेता और बिजनेसमैन पैदा किये. लेकिन वर्तमान में सीमित संसाधनों और शिक्षकों की भारी कमी के कारण पटना विश्वविद्यालय भारी फजीहत झेल रहा है.

नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद समेत न जाने कितने अधिकारी, जज, प्रतिष्ठित बिजनेसमैन ने इस विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की. इन सब के बावजूद शिक्षा का ये केंद्र बदहाली की मार झेल रहा है.

पेश है शशि तुलस्यिान की रिपोर्ट

प्रोफेसर्स की कमी के कारण रिसर्च का काम ठप्प
शिक्षकों की कमी की बात करें तो पटना यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट में कभी 24 से 26 प्रोफेसर हुआ करते थे. मगर अब यह सिर्फ 4 शिक्षकों के दम पर चल रहा है. वहीं जिओ केमिस्ट्री विभाग में पढ़ाने वाला कोई प्रोफेसर ही नहीं रहा. लिहाजा इसे बंद कर दिया गया है. एक प्रोफेसर को कई विषय पढ़ाने पड़ते हैं. प्रोफेसर्स की कमी के कारण रिसर्च का काम भी ठप्प हो गया है. 2003 के बाद से यहां शिक्षकों की बहाली नहीं हुई.

420 पोस्ट खाली पड़े हैं
जानकारों के मुताबिक पटना यूनिवर्सिटी में छात्रों की संख्या के अनुसार 2000 शिक्षक होने चाहिए. लेकिन, यहां 420 पोस्ट खाली पड़े हैं. सिर्फ 320 प्रोफेसर्स के दम पर यूनिवर्सिटी चल रही है. जितने पढ़ा रहे हैं उससे तो ज्यादा पोस्ट खाली हैं. इस बार 150 पदों का ही विज्ञापन निकाला गया. गेस्ट टीचर्स की बहाली की जा रही है, जो कमी पूरी करने में नाकाफी है.

1 प्रोफेसर के भरोसे चल रहा विभाग
पटना साइंस कॉलेज में 112 पद हैं. लेकिन ये कॉलेज 28 प्रोफेसर्स के भरोसे चल रहा है. जीव विज्ञान विभाग में 2, गणित विभाग में 3 और वनस्पति विज्ञान विभाग में 6 शिक्षक हैं. अंग्रेजी में 1 और हिंदी में 2 ही शिक्षक हैं. पटना लॉ कॉलेज में 14 टीचर के पद हैं, मगर 9 पद खाली हैं. सिर्फ 5 प्रोफेसर्स के दम पर पटना लॉ कॉलेज चल रहा है.

हर विभाग में है शिक्षकों की कमी
वहीं पटना कॉलेज में ढाई हजार छात्र हैं और पढ़ाने के लिए मात्र 30 शिक्षक हैं. पटना कॉलेज के हिंदी विभाग में 6 की जगह 2 ही शिक्षक पढ़ा रहे हैं. यहां के इतिहास विभाग में 6 की जगह एक ही प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं. पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में 25 प्रोफेसर्स हुआ करते थे. लेकिन अब सिर्फ 6 शिक्षक रह गये हैं. मगध महिला कॉलेज में कभी 100 प्रोफेसर थे, आज 32 प्रोफेसर हैं. मगध महिला कॉलेज में 5000 लड़कियां पढ़ती हैं. हिंदी, इतिहास और जीव विज्ञान में पढ़ाने के लिए सिर्फ एक प्रोफेसर ही हैं. इन तीनों विभाग में कम से कम 5 शिक्षकों की जरूरत है.

Intro:शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहा है गौरवशाली पटना विश्वविद्यालय


Body:पूरब का ऑक्सफोर्ड के नाम से विख्यात पटना विश्वविद्यालय जिसका 100 साल का स्वर्णिम इतिहास रहा है, जहां से न जाने कितने छात्र-छात्राएं पूरे दुनिया भर में बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान हालात में सीमित संसाधन एवं शिक्षकों की भारी कमी से पटना विश्वविद्यालय भारी फजीहत झेल रहा है।
यह वही विश्वविद्यालय है जहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, सुशील मोदी, मंत्री रविशंकर प्रसाद समेत न जाने कितने जज एवं प्रतिष्ठित बिजनेस मैन यहीं से पढ़े हुए हैं बावजूद पटना विश्वविद्यालय आज की स्थिति में हालात ठीक नहीं दिख रहे हैं


पटना यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट कभी यहां 24 से 26 प्रोफेसर हुआ करते थे मगर अब यह सिर्फ 4 शिक्षकों के दम पर चल रहा है, जिओ केमिस्ट्री का विभाग तो काफी फेमस रहा है मगर अब इस विषय को पढ़ाने वाला कोई प्रोफ़ेसर ही नहीं लिहाजा इसे बंद कर दिया गया है, एक प्रोफेसर को कई कई पेपर पढ़ाने पढ़ रहे हैं, प्रोफेसर नहीं होने से रिसर्च का काम भी ठप हो गया है, 2003 के बाद आज तक बहाली नहीं हुई कुछ पदों का विज्ञापन तो निकला है मगर बहुत कम और वह भी बहाली की रफ्तार काफी धीमी है


जानकार के मुताबिक पटना यूनिवर्सिटी में छात्रों की संख्या को देखते हुए 2000 शिक्षक होने चाहिए मगर 420 पोस्ट खाली है 320 प्रोफेसरों के दम पर यूनिवर्सिटी चल रही है, जितने पढ़ा रहे हैं उससे तो ज्यादा पोस्ट खाली हैं, इस बार 150 पदों का ही विज्ञापन निकला है गेस्ट टीचर की बहाली हो रही है, जो काफी नहीं है, 150 की बहाली के बाद भी 170 पद ही खाली रह जाएंगे
पटना विश्वविद्यालय के कई कॉलेज में कई विभाग ऐसे हैं जो 1-1 प्रोफेसरों के भरोसे चल रहा है,
पटना साइंस कॉलेज में 112 पद मंजूर है मगर यह कॉलेज में 28 प्रोफेसरों के भरोसे चल रहा है, जीव विज्ञान में 2 गणित में 3 और वनस्पति विज्ञान में 6 शिक्षक हैं अंग्रेजी में एक और हिंदी में दो ही शिक्षक हैं पटना लॉ कॉलेज में 14 टीचर के पद है मगर 9 पद खाली हैं 5 प्रोफेसरों के दम पर पटना लॉ कॉलेज चल रहा है पटना कॉलेज में ढाई हजार छात्र हैं और पढ़ाने के लिए मात्र 30 शिक्षक हैं पटना कॉलेज के हिंदी विभाग में 6 की जगह 2 ही पढ़ा रहे हैं यहां के इतिहास विभाग में 6 की जगह एक ही प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में 25 प्रोफेसरों हुआ करते थे अब सिर्फ 6 का है मगध महिला कॉलेज में कभी 100 प्रोफेसर थे आज 32 प्रोफेसर है मगध महिला कॉलेज में 5000 लड़कियां पढ़ती है हिंदी इतिहास और जीव विज्ञान में पढ़ाने के लिए सिर्फ एक प्रोफ़ेसर ही बचे हैं इन तीनों विभाग में कम से कम 5 होने चाहिए


Conclusion:पटना विश्वविद्यालय के सीमित संसाधन और शिक्षकों की कमी पर सुबह के शिक्षा मंत्री का नफा तो लाजवाब है सरकार उच्च शिक्षा में बढ़ावा के लिए प्रयासरत है उस दिशा में प्रयत्नशील है सरकार जल्द ही शिक्षकों की कमी को पूरा करें

बाईट- प्रोफेसर रणवीर प्रसाद प्रदेश अध्यक्ष पटना विश्वविद्यालय शिक्षक संघ
बाईट- प्रोफेसर डॉ डॉली सिन्हा, प्रति कुलपती, पटना विश्वविद्यालय
बाईट-कृष्नंदन वर्मा, शिक्षा मंत्री ,बिहार सरकार
पी टू सी

शशि तुलस्यान, पटना
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