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भाई की विरासत को बखूबी संभालूंगा, नहीं लगने दूंगा राजनीतिक कुर्ते पर दाग : पशुपति पारस

हाजीपुर से एनडीए प्रत्याशी पशुपति पारस ने बड़े भाई रामविलास पासवान की सीट हाजीपुर से लड़ने की चुनौती स्वीकार कर ली है. इस बारे में उन्होंने ईटीवी संवाददाता से खास बातचीत की.

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Published : Apr 16, 2019, 5:55 PM IST

Updated : Apr 16, 2019, 7:44 PM IST

वैशाली: हाजीपुर लोकसभा सीट पूरे देश में चर्चित लोकसभा क्षेत्रों में शुमार है. इसका प्रमुख कारण रामविलास पासवान का यहां से सांसद बनना है, लेकिन अब रामविलास पासवान की इस परंपरागत सीट पर उनके छोटे भाई व लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति पारस चुनावी मैदान में है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पारस कहते हैं हाजीपुर की जनता को कभी निराशा हाथ नहीं लगेगी.

पशुपति पारस से ईटीवी संवाददाता की खास बातचीत

पहली बार रामविलास पासवान 1977 में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से ही सांसद बन दिल्ली गए थे. तकरीबन 42 साल से इस इलाके पर रामविलास पासवान का कब्जा माना जाता है. अब उनकी जगह इस सीट पर उनके छोटे भाई पशुपति पारस चुनाव लड़ रहे हैं.

भाई की विरासत को संभालने की चुनैती स्वीकार
वे अपने बड़े भाई रामविलास पासवान की विरासत को बखूबी संभालने की चुनौती को स्वीकार करते हैं. ईटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता राजनीतिक कुर्ते पर किसी तरह का दाग नहीं लगने देने की होगी. हालांकि, पशुपति पारस खुद भी 7 बार बिहार विधान मंडल के सदस्य रह चुके हैं.

जनता से उम्मीद
हाजीपुर की सीट से उम्मीदवारी के बाद पारस कहते हैं कि वहां की जनता से हमारा पारिवारिक संबंध है. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी वहां की जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा.

राष्ट्र रक्षा महत्वपूर्ण मुद्दा
पारस हाजीपुर की चुनौती और मुद्दे पर कहते हैं कि हाजीपुर में पिछले 40 वर्षों में राष्ट्र स्तरीय कई काम हुए हैं जिससे हाजीपुर का नाम पूरे देश में जाना जाता है. हालांकि, मुद्दे पर वे कहते हैं कि आज देश में सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्र रक्षा का मुद्दा है.

रामविलास ने छोड़ी सीट
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद उनके बेटे चिराग पासवान के यहां से चुनाव लड़ने की बात जोरों पर थी, लेकिन चिराग ने जमुई सीट नहीं छोड़ने का निर्णय लिया. इसके बाद लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष व बिहार सरकार में मंत्री पशुपति पारस को यहां से चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है.

वैशाली: हाजीपुर लोकसभा सीट पूरे देश में चर्चित लोकसभा क्षेत्रों में शुमार है. इसका प्रमुख कारण रामविलास पासवान का यहां से सांसद बनना है, लेकिन अब रामविलास पासवान की इस परंपरागत सीट पर उनके छोटे भाई व लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति पारस चुनावी मैदान में है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पारस कहते हैं हाजीपुर की जनता को कभी निराशा हाथ नहीं लगेगी.

पशुपति पारस से ईटीवी संवाददाता की खास बातचीत

पहली बार रामविलास पासवान 1977 में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से ही सांसद बन दिल्ली गए थे. तकरीबन 42 साल से इस इलाके पर रामविलास पासवान का कब्जा माना जाता है. अब उनकी जगह इस सीट पर उनके छोटे भाई पशुपति पारस चुनाव लड़ रहे हैं.

भाई की विरासत को संभालने की चुनैती स्वीकार
वे अपने बड़े भाई रामविलास पासवान की विरासत को बखूबी संभालने की चुनौती को स्वीकार करते हैं. ईटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता राजनीतिक कुर्ते पर किसी तरह का दाग नहीं लगने देने की होगी. हालांकि, पशुपति पारस खुद भी 7 बार बिहार विधान मंडल के सदस्य रह चुके हैं.

जनता से उम्मीद
हाजीपुर की सीट से उम्मीदवारी के बाद पारस कहते हैं कि वहां की जनता से हमारा पारिवारिक संबंध है. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी वहां की जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा.

राष्ट्र रक्षा महत्वपूर्ण मुद्दा
पारस हाजीपुर की चुनौती और मुद्दे पर कहते हैं कि हाजीपुर में पिछले 40 वर्षों में राष्ट्र स्तरीय कई काम हुए हैं जिससे हाजीपुर का नाम पूरे देश में जाना जाता है. हालांकि, मुद्दे पर वे कहते हैं कि आज देश में सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्र रक्षा का मुद्दा है.

रामविलास ने छोड़ी सीट
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद उनके बेटे चिराग पासवान के यहां से चुनाव लड़ने की बात जोरों पर थी, लेकिन चिराग ने जमुई सीट नहीं छोड़ने का निर्णय लिया. इसके बाद लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष व बिहार सरकार में मंत्री पशुपति पारस को यहां से चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है.

Intro:हाजीपुर लोकसभा सीट पूरे देश में चर्चित लोकसभा क्षेत्रों में शुमार है । इसका प्रमुख कारण रामविलास पासवान का यहां से सांसद बनना है। पहली बार रामविलास पासवान 1977 में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से ही सांसद बन दिल्ली गए थे। तकरीबन 42 साल से इस इला के ऊपर रामविलास पासवान का कब्जा माना जाता है। अब राम विलास पासवान का यह परंपरागत सीट पर उनके छोटे भाई व लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति पारस चुनावी मैदान में है। ईटीवी भारत से खास बातचीत में पारस कहते हैं हाजीपुर की जनता को कभी निराशा हाथ नहीं लगेगी।


Body:वे अपने बड़े भाई राम विलास पासवान की विरासत को बखूबी संभालने की चुनौती को स्वीकार करते है। पारस कहते हैं कि उनका पहली प्राथमिकता राजनीतिक कुर्ते पर किसी तरह का दाग नहीं लगने देना होगा। हालांकि पशुपति पारस खुद भी 7 बार बिहार विधान मंडल के सदस्य रह चुके हैं।
हाजीपुर किस सीट से उम्मीदवारी के बाद पारस कहते हैं कि वहां की जनता से हमारा पारिवारिक संबंध है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी वहां के जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा।

पारस हाजीपुर की चुनौती और मुद्दे पर कहते हैं कि हाजीपुर में पिछले 40 वर्षों में राष्ट्र स्तरीय कई काम हुए हैं। जिससे हाजीपुर का नाम पूरे देश में जाना जाता है। हालांकि मुद्दे पर वे कहते हैं कि आज देश में सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्र रक्षा का मुद्दा है।


Conclusion:गौरतलब है कि रामविलास पासवान के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद उनके बेटे चिराग पासवान को यहां से चुनाव लड़ने की बात जोरों पर थी । लेकिन चिराग ने जमुई सीट नही छोड़ने का निर्णय लिया । इसके बाद लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष व बिहार सरकार में मंत्री पशुपति पारस को यहां से चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है।
Last Updated : Apr 16, 2019, 7:44 PM IST
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