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सुशील मोदी का दावाः कुढ़नी में पिछड़ा समाज भाजपा के साथ, जदयू ने अतिपिछड़ों का किया अपमान

बीजेपी नेता और सांसद सुशील कुमार मोदी (MP Sushil Kumar Modi) ने दावा किया है कि कुढ़नी उपचुनाव में पूरा पिछड़ा समाज बीजेपी के साथ है. जिस तरह से मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में अतिपिछड़ों ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया, उसी तरह कुढ़नी में भी पार्टी को व्यापक समर्थन मिलेगा. पढ़ें पूरी खबर...

सुशील कुमार मोदी
सुशील कुमार मोदी
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Published : Nov 25, 2022, 7:30 AM IST

पटनाः पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi on Kurhani By Election) ने कहा कि जदयू ने कुढ़नी उपचुनाव (Kurhani Assembly By Election 2022) में अतिपिछड़ा समाज का टिकट काटकर अपमान किया है, जबकि भाजपा ने इसी समाज के केदार गुप्ता को उम्मीदवार बना कर अतिपिछड़ों को सम्मान दिया है. पूरा समाज बीजेपी के साथ है. मोदी ने कहा कि जिस तरह से मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में अतिपिछड़ों ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया, उसी तरह कुढ़नी में भी पार्टी को व्यापक समर्थन मिलेगा.

ये भी पढ़ेंः कुढ़नी उपचुनाव: 2015 के नतीजों को दोहराने की कोशिश में BJP तो JDU भी दिखा रहा दम



2020 में मात्र 700 वोट से चूक गई थी भाजपा: सुशील मोदी ने कहा कि जदयू अनिल सहनी की सदस्यता रद्द होने पर इसी समाज के किसी अन्य व्यक्ति को टिकट दे सकता था, लेकिन उसने अपनी अतिपिछड़ा-विरोधी मानसिकता जाहिर कर दी है. उन्होंने कहा कि 2015 में जब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद मिल कर भाजपा के खिलाफ चुनाव में उतरे थे, तब केदार गुप्ता ने महागठबंधन के मनोज सिंह को 12 हजार वोट से हराया था. 2020 के चुनाव में यहां भाजपा मात्र 700 वोट से चूक गई थी, भूमिहार समाज पूरी तरह भाजपा के साथ है और वह वोट बर्बाद नहीं करेगा. लालू-नीतीश के इशारे पर वोट काटने के लिए मुकेश सहनी ने अपना उम्मीदवार उतारा है.

"सबको साथ लेकर चलने वाली भाजपा का वोट काटने के लिए लालू-नीतीश के इशारे पर मुकेश सहनी की पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है लेकिन प्रबुद्ध भूमिहार समाज अपना वोट बर्बाद नहीं करेगा. जिस तरह से मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में अतिपिछड़ों ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया, उसी तरह कुढ़नी में भी पार्टी को व्यापक समर्थन मिलेगा"- सुशील कुमार मोदी, सांसद, बीजेपी

फूंक-फूंक कर कदम रख रही भाजपाः दरअसल गोपालगंज सीट जीतने के बाद कुढ़नी विधानसभा सीट को लेकर भाजपा पर दबाव है. बोचाहां उपचुनाव में हार के बाद भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. किसी भी सूरत में भाजपा कुढ़नी को जीतकर नीतीश फैक्टर को खारिज करना चाहेगी. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि उपचुनाव तो एक ही सीट पर है लेकिन अग्नि परीक्षा भाजपा और जदयू दोनों की है. गठबंधन का स्वरूप बदलने के बाद दोनों दलों के दावों की लिटमस टेस्ट होनी है. एक तरफ भाजपा यह साबित करने की कोशिश करेगी कि बिहार की राजनीति में नीतीश फैक्टर प्रासांगिक नहीं है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार चुनाव जीतकर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि भाजपा के साथ अलग होने का फैसला सही था.

क्या है जातिगत समीकरणः आपको बता दें कि कुढ़नी में कुल मिलाकर 3 लाख 10 हजार 987 से ज्यादा मतदाता हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति हैं. दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या तकरीबन 33 हजार के आसपास है. इसके अलावा 25 हजार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर है. चौथे नम्बर पर करीब 23 हजार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग हैं. इसके अलावा कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में मौजूद हैं. वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 22 हजार के आसपास है. अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता हैं.

फिर आमने-सामने होंगे केदार-मनोज: उप चुनाव को लेकर बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति ने अपने पुराने कार्यकर्ता केदार गुप्ता के नाम पर मुहर लगाई. वे पहले भी भाजपा से विधायक रह चुके हैं. साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अनिल सहनी ने बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता को बेहद कम अंतर से मात दी थी. साल 2015 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था. केदार गुप्ता ने साल 2015 के चुनाव में जेडीयू के मनोज कुमार कुशवाहा को इस सीट से हराया था. इस बार इस सीट से जेडीयू ने मनोज कुशवाहा को एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है. जेडीयू को जहां आरजेडी-कांग्रेस, हम और वाम दलों का साथ मिल रहा है, वहीं बीजेपी को आरएलजेपी और एलजेपीआर का समर्थन मिल रहा है. मुकेश सहनी ने भी यहां अपना उम्मीदवार उतारा है.

पटनाः पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi on Kurhani By Election) ने कहा कि जदयू ने कुढ़नी उपचुनाव (Kurhani Assembly By Election 2022) में अतिपिछड़ा समाज का टिकट काटकर अपमान किया है, जबकि भाजपा ने इसी समाज के केदार गुप्ता को उम्मीदवार बना कर अतिपिछड़ों को सम्मान दिया है. पूरा समाज बीजेपी के साथ है. मोदी ने कहा कि जिस तरह से मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में अतिपिछड़ों ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया, उसी तरह कुढ़नी में भी पार्टी को व्यापक समर्थन मिलेगा.

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2020 में मात्र 700 वोट से चूक गई थी भाजपा: सुशील मोदी ने कहा कि जदयू अनिल सहनी की सदस्यता रद्द होने पर इसी समाज के किसी अन्य व्यक्ति को टिकट दे सकता था, लेकिन उसने अपनी अतिपिछड़ा-विरोधी मानसिकता जाहिर कर दी है. उन्होंने कहा कि 2015 में जब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद मिल कर भाजपा के खिलाफ चुनाव में उतरे थे, तब केदार गुप्ता ने महागठबंधन के मनोज सिंह को 12 हजार वोट से हराया था. 2020 के चुनाव में यहां भाजपा मात्र 700 वोट से चूक गई थी, भूमिहार समाज पूरी तरह भाजपा के साथ है और वह वोट बर्बाद नहीं करेगा. लालू-नीतीश के इशारे पर वोट काटने के लिए मुकेश सहनी ने अपना उम्मीदवार उतारा है.

"सबको साथ लेकर चलने वाली भाजपा का वोट काटने के लिए लालू-नीतीश के इशारे पर मुकेश सहनी की पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है लेकिन प्रबुद्ध भूमिहार समाज अपना वोट बर्बाद नहीं करेगा. जिस तरह से मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में अतिपिछड़ों ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया, उसी तरह कुढ़नी में भी पार्टी को व्यापक समर्थन मिलेगा"- सुशील कुमार मोदी, सांसद, बीजेपी

फूंक-फूंक कर कदम रख रही भाजपाः दरअसल गोपालगंज सीट जीतने के बाद कुढ़नी विधानसभा सीट को लेकर भाजपा पर दबाव है. बोचाहां उपचुनाव में हार के बाद भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. किसी भी सूरत में भाजपा कुढ़नी को जीतकर नीतीश फैक्टर को खारिज करना चाहेगी. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि उपचुनाव तो एक ही सीट पर है लेकिन अग्नि परीक्षा भाजपा और जदयू दोनों की है. गठबंधन का स्वरूप बदलने के बाद दोनों दलों के दावों की लिटमस टेस्ट होनी है. एक तरफ भाजपा यह साबित करने की कोशिश करेगी कि बिहार की राजनीति में नीतीश फैक्टर प्रासांगिक नहीं है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार चुनाव जीतकर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि भाजपा के साथ अलग होने का फैसला सही था.

क्या है जातिगत समीकरणः आपको बता दें कि कुढ़नी में कुल मिलाकर 3 लाख 10 हजार 987 से ज्यादा मतदाता हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति हैं. दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या तकरीबन 33 हजार के आसपास है. इसके अलावा 25 हजार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर है. चौथे नम्बर पर करीब 23 हजार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग हैं. इसके अलावा कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में मौजूद हैं. वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 22 हजार के आसपास है. अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता हैं.

फिर आमने-सामने होंगे केदार-मनोज: उप चुनाव को लेकर बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति ने अपने पुराने कार्यकर्ता केदार गुप्ता के नाम पर मुहर लगाई. वे पहले भी भाजपा से विधायक रह चुके हैं. साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अनिल सहनी ने बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता को बेहद कम अंतर से मात दी थी. साल 2015 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था. केदार गुप्ता ने साल 2015 के चुनाव में जेडीयू के मनोज कुमार कुशवाहा को इस सीट से हराया था. इस बार इस सीट से जेडीयू ने मनोज कुशवाहा को एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है. जेडीयू को जहां आरजेडी-कांग्रेस, हम और वाम दलों का साथ मिल रहा है, वहीं बीजेपी को आरएलजेपी और एलजेपीआर का समर्थन मिल रहा है. मुकेश सहनी ने भी यहां अपना उम्मीदवार उतारा है.

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