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लोकसभा चुनाव 2019: तीसरे चरण का चुनाव है खास, मधेपुरा और सुपौल पर है सबकी नजर

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 9 अप्रैल से ही लगातार 21 अप्रैल तक मधेपुरा में डेरा जमाए हुए थे. यही से उन्होंने सभी क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया.

मनोज झा और अजीत चौधरी
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Published : Apr 22, 2019, 11:42 PM IST

पटना : बिहार में तीसरे चरण में 5 सीटों पर मतदान होना है. इसमें अररिया, खगड़िया, मधेपुरा, सुपौल और झंझारपुर शामिल हैं. हालांकि इन पांचों में से लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा मधेपुरा और सुपौल पर है. जहां शरद यादव, पप्पू यादव और रंजीता रंजन के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.

बता दें कि मधेपुरा में इस बार वर्तमान सांसद पप्पू यादव के साथ महागठबंधन उम्मीदवार शरद यादव और जदयू से दिनेश चंद्र यादव मैदान में हैं. तीनों यादवों के मैदान में उतरने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

बयान देते मनोज झा और अजीत चौधरी

मुस्लिम और यादव वोटरों से पड़ेगा फर्क
मुस्लिम और यादव बहुल क्षेत्रों का वोट बैंक पर काफी असर पड़ता है. सुपौल में महागठबंधन के प्रत्याशी कांग्रेस की रंजीत रंजन का मुकाबला जदयू के दिलेश्वर कामत से है. सुपौल में कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत रंजन का राजद के कार्यकर्ताओं ने पुरजोर विरोध किया है. सुपौल जब राहुल गांधी प्रचार के लिए आए तो तेजस्वी यादव वहां उनके साथ शामिल नहीं हुए. ऐसे में लोगों के बीच कहीं न कहीं यह संदेश गया है कि राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन नहीं दे रहा है.

सभी दल कर रहे जीत का दावा
इससे पहले जब टिकट बंटवारा नहीं हुआ था तब सुपौल सीट को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच काफी तनातनी हुई थी. हालांकि आखिरकार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई और वर्तमान सांसद रंजीत रंजन को यहां से उम्मीदवार बनाया गया. हालांकि राजद के नेता इस बात से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि महागठबंधन के प्रत्याशी को राजद के वोटर्स पूरी इमानदारी से वोट करेंगे. मधेपुरा में शरद यादव और दिनेश चंद्र यादव के मुकाबले में वर्तमान सांसद पप्पू यादव के आने से चुनाव दिलचस्प हो गया है. वहीं एनडीए नेता मानते हैं कि चुनाव के बाद शरद यादव का करियर खत्म हो जाएगा. आगामी 23 अप्रैल को यहां वोटिंग होगी. राजद के साथ-साथ एनडीए नेता भी अपनी अपनी जीत के दावा कर रहे हैं.

CM डाले हुए थे डेरा
बहरहाल, सीमांचल के अररिया और भारत नेपाल सीमा के पास स्थित सुपौल के साथ मधेपुरा, खगड़िया और झंझारपुर लोकसभा सीटों का महत्व तो इसी बात से समझा जा सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 9 अप्रैल से ही लगातार 21 अप्रैल तक मधेपुरा में डेरा जमाए हुए थे. यही से उन्होंने सभी क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया.

पटना : बिहार में तीसरे चरण में 5 सीटों पर मतदान होना है. इसमें अररिया, खगड़िया, मधेपुरा, सुपौल और झंझारपुर शामिल हैं. हालांकि इन पांचों में से लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा मधेपुरा और सुपौल पर है. जहां शरद यादव, पप्पू यादव और रंजीता रंजन के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.

बता दें कि मधेपुरा में इस बार वर्तमान सांसद पप्पू यादव के साथ महागठबंधन उम्मीदवार शरद यादव और जदयू से दिनेश चंद्र यादव मैदान में हैं. तीनों यादवों के मैदान में उतरने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

बयान देते मनोज झा और अजीत चौधरी

मुस्लिम और यादव वोटरों से पड़ेगा फर्क
मुस्लिम और यादव बहुल क्षेत्रों का वोट बैंक पर काफी असर पड़ता है. सुपौल में महागठबंधन के प्रत्याशी कांग्रेस की रंजीत रंजन का मुकाबला जदयू के दिलेश्वर कामत से है. सुपौल में कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत रंजन का राजद के कार्यकर्ताओं ने पुरजोर विरोध किया है. सुपौल जब राहुल गांधी प्रचार के लिए आए तो तेजस्वी यादव वहां उनके साथ शामिल नहीं हुए. ऐसे में लोगों के बीच कहीं न कहीं यह संदेश गया है कि राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन नहीं दे रहा है.

सभी दल कर रहे जीत का दावा
इससे पहले जब टिकट बंटवारा नहीं हुआ था तब सुपौल सीट को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच काफी तनातनी हुई थी. हालांकि आखिरकार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई और वर्तमान सांसद रंजीत रंजन को यहां से उम्मीदवार बनाया गया. हालांकि राजद के नेता इस बात से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि महागठबंधन के प्रत्याशी को राजद के वोटर्स पूरी इमानदारी से वोट करेंगे. मधेपुरा में शरद यादव और दिनेश चंद्र यादव के मुकाबले में वर्तमान सांसद पप्पू यादव के आने से चुनाव दिलचस्प हो गया है. वहीं एनडीए नेता मानते हैं कि चुनाव के बाद शरद यादव का करियर खत्म हो जाएगा. आगामी 23 अप्रैल को यहां वोटिंग होगी. राजद के साथ-साथ एनडीए नेता भी अपनी अपनी जीत के दावा कर रहे हैं.

CM डाले हुए थे डेरा
बहरहाल, सीमांचल के अररिया और भारत नेपाल सीमा के पास स्थित सुपौल के साथ मधेपुरा, खगड़िया और झंझारपुर लोकसभा सीटों का महत्व तो इसी बात से समझा जा सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 9 अप्रैल से ही लगातार 21 अप्रैल तक मधेपुरा में डेरा जमाए हुए थे. यही से उन्होंने सभी क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया.

Intro:बिहार में तीसरे चरण में 5 सीटों पर मतदान हो रहे हैं उनमें अररिया खगड़िया मधेपुरा सुपौल और झंझारपुर शामिल है हालांकि इन पांचों में से लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा मधेपुरा और सुपौल पर है जहां शरद यादव, पप्पू यादव और रंजीता रंजन के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।


Body:मधेपुरा में इस बार वर्तमान सांसद पप्पू यादव के साथ महागठबंधन उम्मीदवार शरद यादव और जदयू से दिनेश चंद्र यादव मैदान में हैं। 3 यादवों के मैदान में उतरने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। मुस्लिम और यादव बहुल क्षेत्र में इन दोनों के वोट बैंक का बड़ा फर्क चुनाव पर पड़ता है। अभी सुपौल में महा गठबंधन की प्रत्याशी कांग्रेस की रंजीत रंजन का मुकाबला जदयू के दिलेश्वर कामत से है। सुपौल में कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत रंजन का राजद के कार्यकर्ताओं ने पुरजोर विरोध किया। सुपौल जब राहुल गांधी प्रचार के लिए आए तो तेजस्वी यादव यहां उनके साथ शामिल नहीं हुए। ऐसे में लोगों के बीच यह संदेश गया कि कहीं ना कहीं राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन नहीं दे रहा। इससे पहले, जब टिकट बंटवारा नहीं हुआ था तब सुपौल सीट को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच काफी तनातनी हुई थी। हालांकि आखिरकार कांग्रेस के खाते में सीट गई और वर्तमान सांसद रंजीत रंजन को यहां से उम्मीदवार बनाया गया। हालांकि राजद के नेता इस बात से इनकार करते हैं। उनका कहना है कि महा गठबंधन के प्रत्याशी को राजद के वोटर्स पूरी इमानदारी से वोट करेंगे। मधेपुरा में शरद यादव और दिनेश चंद्र यादव के मुकाबले में वर्तमान सांसद पप्पू यादव के आने से चुनाव दिलचस्प हो गया है। हालांकि एनडीए नेता मानते हैं कि चुनाव के बाद शरद यादव का करियर खत्म हो जाएगा। 23 अप्रैल को यहां वोटिंग हो रही है और राजद के साथ-साथ एनडीए नेता भी अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।


Conclusion:सीमांचल के अररिया और भारत नेपाल सीमा के पास स्थित सुपौल के साथ मधेपुरा, खगड़िया और झंझारपुर का महत्व तो इसी बात से समझा जा सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 9 अप्रैल से ही लगातार 21 अप्रैल तक मधेपुरा में डेरा जमाए रहे। यही से उन्होंने सभी क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया। अब देखना है कि उनकी मेहनत क्या रंग लाती है। यादव और मुस्लिम बहुल सुपौल और मधेपुरा के वोटर्स के क्या मिजाज हैं इस पर सब की नजरें टिकी हैं। बाइट मनोज झा, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राजद अजीत कुमार चौधरी, प्रवक्ता, बीजेपी पीटीसी
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