पटना: विधानसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में घमासान छिड़ता दिखाई दे रहा है. लोक जनशक्ति पार्टी ने बीजेपी और जेडीयू की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इस बार लोजपा पिछले चुनाव के मुकाबले कम सीटों पर समझौते के लिए तैयार नहीं दिख रही है.
2015 के विधानसभा चुनाव में लोकपाल और भाजपा गठबंधन था. लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जदयू एनडीए का हिस्सा नहीं थी. लोक जनशक्ति पार्टी 2015 में 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. अब जब 2020 में विधानसभा चुनाव होने हैं. वैसे में लोजपा पहले के मुकाबले कम सीटों पर समझौते के लिए तैयार नहीं है. हालांकि भाजपा और जदयू नेताओं को उम्मीद है कि समय आने पर रास्ता निकाल लिया जाएगा.
चिराग पासवान लेंगे अंतिम फैसला
लोजपा प्रवक्ता श्रवण कुमार ने कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. 2015 के विधानसभा चुनाव में 42 सीटों पर हमने अपने उम्मीदवार उतारे थे. 2019 में भी 6 लोकसभा सीट और 1 राज्य सभा सीट हमारे खाते में गए. उस हिसाब से 2020 के विधानसभा चुनाव में भी हमारा 42 सीटों पर दावा बनता है. इससे कम पर मेरी पार्टी समझौता नहीं करेगी.
बीजेपी की राय
वहीं, भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि भाजपा, जदयू और लोजपा गठबंधन में चुनाव लड़ेगी. तीनों दलों के बीच आपसी सामंजस्य है. सीटों को लेकर जो भी विवाद है वह सुलझा लिया जाएगा. तीनों दलों के शीर्ष नेता जब बैठेंगे तो सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझ जाएगा. भाजपा नेता ने कहा कि बतासे के लिए कोई मंदिर नहीं तोड़ेगा.