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ब्रेल दिवस विशेष: राजधानी के स्कूलों में ब्रेल लिपि की किताबों की भारी कमी

राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय की प्रिंसिपल रेखा कुमारी बताया कि ब्रेल दिवस के मौके पर हर साल यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि स्कूल में ब्रेल लिपि की किताबों की घोर कमी है. कक्षा 6 से लेकर 10 तक के बच्चों के लिए स्कूल में एक भी ब्रेल लिपि की पुस्तक मौजूद नहीं है. जिसकी वजह से बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होती है.

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राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में मनाया गया ब्रेल दिवस
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Published : Jan 4, 2020, 6:47 PM IST

पटना: राजधानी के कदम कुआं बुद्ध मूर्ति के पास बने राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में लुई ब्रेल जयंती के मौके पर ब्रेल दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मौके पर स्कूल के सभी दृष्टिहीन छात्र और स्कूल के शिक्षक मौजूद रहे. इस मौके पर उपस्थित शिक्षकों ने छात्रों को लुई ब्रेल के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनके प्रयासों की वजह से आज आप सभी छात्र पढ़ लिख पा रहे हैं.

ब्रेल दिवस के मौके पर दृष्टिहीन बच्चों ने लुइस ब्रेल की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें नमन किया. विद्यालय के शिक्षकों ने छात्रों को बेल के योगदान के बारे में बताया और नियमित शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी.

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राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में मनाया गया ब्रेल दिवस

लुई ब्रेल ने तैयार की लिपि
बता दें कि 4 जनवरी 1809 में फ्रांस में लुई ब्रेल का जन्म हुआ था और बचपन में एक दुर्घटना में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसके बाद से उन्होंने पढ़ाई के लिए एक लिपि तैयार की. जिसमें चार्ल्स बार्बियर ने उनकी मदद की. वहीं, बाद में आगे चलकर यही लिपि ब्रेल लिपि से मशहूर हो गई. जो दृष्टिहीन दिव्यांगों की पढ़ाई में कारगर साबित हो रहे हैं. राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में भी ब्रेल लिपि की ही पढ़ाई होती है और इसे पढ़ाने नेत्रहीन और सामान्य शिक्षक विद्यालय में मौजूद रहते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

स्कूल में ब्रेल लिपि की किताबों की घोर कमी
राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय की प्रिंसिपल रेखा कुमारी बताया कि ब्रेल दिवस के मौके पर हर साल यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसमें बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखे गए हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल में ब्रेल लिपि के किताबो की घोर कमी है. कक्षा 6 से लेकर 10 तक के बच्चों के लिए स्कूल में एक भी ब्रेल लिपि की पुस्तक मौजूद नहीं है. जिसकी वजह से बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होती है. रेखा कुमारी ने बताया कि स्कूल की ओर से इसकी उपलब्धता कराने के लिए मांग की गई है. हालांकि विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक के पुस्तक ब्रेल लिपि में कुछ संख्या में मौजूद हैं, उसे ही पढ़कर छात्र ज्ञान प्राप्त करते हैं.

पटना: राजधानी के कदम कुआं बुद्ध मूर्ति के पास बने राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में लुई ब्रेल जयंती के मौके पर ब्रेल दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मौके पर स्कूल के सभी दृष्टिहीन छात्र और स्कूल के शिक्षक मौजूद रहे. इस मौके पर उपस्थित शिक्षकों ने छात्रों को लुई ब्रेल के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनके प्रयासों की वजह से आज आप सभी छात्र पढ़ लिख पा रहे हैं.

ब्रेल दिवस के मौके पर दृष्टिहीन बच्चों ने लुइस ब्रेल की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें नमन किया. विद्यालय के शिक्षकों ने छात्रों को बेल के योगदान के बारे में बताया और नियमित शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी.

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राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में मनाया गया ब्रेल दिवस

लुई ब्रेल ने तैयार की लिपि
बता दें कि 4 जनवरी 1809 में फ्रांस में लुई ब्रेल का जन्म हुआ था और बचपन में एक दुर्घटना में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसके बाद से उन्होंने पढ़ाई के लिए एक लिपि तैयार की. जिसमें चार्ल्स बार्बियर ने उनकी मदद की. वहीं, बाद में आगे चलकर यही लिपि ब्रेल लिपि से मशहूर हो गई. जो दृष्टिहीन दिव्यांगों की पढ़ाई में कारगर साबित हो रहे हैं. राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में भी ब्रेल लिपि की ही पढ़ाई होती है और इसे पढ़ाने नेत्रहीन और सामान्य शिक्षक विद्यालय में मौजूद रहते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

स्कूल में ब्रेल लिपि की किताबों की घोर कमी
राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय की प्रिंसिपल रेखा कुमारी बताया कि ब्रेल दिवस के मौके पर हर साल यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसमें बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखे गए हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल में ब्रेल लिपि के किताबो की घोर कमी है. कक्षा 6 से लेकर 10 तक के बच्चों के लिए स्कूल में एक भी ब्रेल लिपि की पुस्तक मौजूद नहीं है. जिसकी वजह से बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होती है. रेखा कुमारी ने बताया कि स्कूल की ओर से इसकी उपलब्धता कराने के लिए मांग की गई है. हालांकि विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक के पुस्तक ब्रेल लिपि में कुछ संख्या में मौजूद हैं, उसे ही पढ़कर छात्र ज्ञान प्राप्त करते हैं.

Intro:राजधानी पटना के कदम कुआं बुद्ध मूर्ति के पास स्थित राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में लुइस ब्रेल की जयंती के मौके पर ब्रेल दिवस का आयोजन किया गया. इस मौके पर विद्यालय के सभी दृष्टि बाधित छात्र और शिक्षक शिक्षिकाएं मौजूद रहे. इस मौके पर उपस्थित शिक्षकों ने छात्रों को लुईस बेल के बारे में बताया और बताया कि किस प्रकार उनके प्रयासों की वजह से आज आप सभी छात्र पढ़ लिख पा रहे हैं.


Body:आपको बता दें कि 4 जनवरी 1809 में फ्रांस में लुइस ब्रेल का जन्म हुआ था और बचपन में एक दुर्घटना में आंखों की रोशनी चली गई थी जिसके बाद से उन्होंने पढ़ाई लिखाई के लिए के लिए एक लिपि तैयार की जिसमें चार्ल्स बार्बियर ने मदद किया. बाद में आगे चलकर यही लिपि ब्रेल लिपि से मशहूर हुई और दृष्टि बाधित दिव्यांगों की पढ़ाई लिखाई में यह लिपि बहुत कारगर है. राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय में भी ब्रेल लिपि की ही पढ़ाई होती है और इसे पढ़ाने नेत्रहीन और सामान्य शिक्षक विद्यालय में मौजूद रहते हैं. ब्रेल दिवस के मौके पर दृष्टिहीन बच्चों ने लुइस ब्रेल की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें नमन किया. विद्यालय के शिक्षकों ने छात्रों को बेल के योगदान के बारे में बताया और नियमित शिक्षा ग्रहण करने का प्रेरणा दिया.


Conclusion:राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य रेखा कुमारी बताया कि ब्रेल दिवस के मौके पर विद्यालय में यहां कार्यक्रम का आयोजन किया गया है और बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखे गए हैं. उन्होंने बताया कि बच्चों की खाने-पीने की भी व्यवस्था है.
विद्यालय की प्रधानाचार्य रेखा कुमारी ने बताया कि विद्यालय में ब्रेल लिपि के किताबो की घोर कमी है. उन्होंने बताया कि कक्षा 6 से लेकर 10 तक के बच्चों के लिए विद्यालय में एक भी ब्रेल लिपि की पुस्तक मौजूद नहीं है. उन्होंने बताया कि बच्चों को पढ़ाने में बहुत तकलीफ होती है बच्चे सिर्फ सुनकर सीखते हैं और जब पढ़ाई होती है तो उसे रिकॉर्ड करते हैं और बाद में जाकर उसे सुनकर याद रखते हैं. उन्होंने बताया कि ब्रेल लिपि जिस पुस्तिका पर लिखी जाती है वह कॉपी भी नहीं है और विद्यालय की ओर से इसकी उपलब्धता कराने के लिए मांग की गई है. हालांकि विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक के पुस्तक ब्रेल लिपि में कुछ संख्या में मौजूद है जिसे पढ़कर छात्र लाभान्वित होते हैं.
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