नवादा: दूसरे राज्य से प्रवासी लगातार अपने राज्य लौट रहे हैं. इस दौरान उन्हें 21 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा जा रहा है. वहीं, कुछ प्रवासी बिना जांच कराए छुपकर अपने घर पहुंच जा रहे हैं. इससे गांव के लोग परेशान हैं. दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बीमारी को गंभीरता से लेते हुए सेल्फ क्वॉरेंटाइन होकर मिसाल पेश कर रहे हैं.
खुद हुए क्वॉरेंटाइन
नवादा के रोह प्रखंड के कोशी गांव में बुधवार को महाराष्ट्र से लौटे 10 ट्रक चालकों ने सेल्फ क्वॉरेंटाइन होकर लापरवाह लोगों को सीख दी है. सभी चालक महाराष्ट्र के पालघर जिले के तारापुर में रहकर ट्रक ड्राइवर का काम करते थे, लेकिन महाराष्ट्र में दिनों-दिन बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी चालकों ने अपने गांव लौटने का निर्णय लिया. चालकों ने अपने घर में प्रवेश करने की बजाय गांव के बाहर राज्यकीयकृत मध्य विद्यालय में ठहरना बेहतर समझा.
घर वालों से नहीं की मुलाकात
क्वॉरेंटाइन सेंटर में पहुंचते ही सभी ने अपने-अपने घरवालों को खबर दी. खबर सुनते ही घरवाले खुशी के मारे विद्यालय परिसर पहुंचे, लेकिन चालकों ने उन्हें अपने से दूर ही ठहरने को कहा और उनके साथ आए बच्चों को दूर से प्यार-दुलार कर जल्द घर लौटने का दिलासा दिलाकर वापस भेज दिया. इसके साथ ही घरवालों के द्वारा लाए गए समान को भी दूर ही रखकर चले जाने को कहा.
क्या कहते हैं चालक?
चालक संजय यादव का कहना है जब हमने देखा कि महाराष्ट्र में कोरोना तेजी से फैल रहा है हमें भी इसकी चपेट में आने का भय हुआ. यही सोचकर हमलोगों ने घर लौटने की योजना बनाई और वहां से विदा हो गए. गांव पहुंचते ही हमलोग घर जाने की बजाय स्कूल में ठहर गए. फिर मेडिकल चेकअप करवाया और तब से यही रह रहे हैं क्योंकि सभी बाल-बच्चे वाले आदमी हैं.
नहीं मिली सरकारी सुविधा
उन्होंने कहा कि अगर घर जाते तो इससे ज्यादा परेशानी परिवार वालों को होती. यही सोचकर हम लोगों ने यहां पर रुकने का फैसला किया. अभी तक हमलोगों को कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है. हमलोग खुद की व्यवस्था से यहां पर रह रहे हैं. वहीं, चालक रमेश कुमार का कहना है कि हमलोग रास्ते में खुद खाना बनाते और खाते हुए यहां तक आए हैं. रास्ते में कहीं किसी होटल में नहीं गए और न ही कहीं चाय पीने के लिए रुके.