ETV Bharat / state

मधुबनी: तीन दशकों से बंद पड़ा हैं पेपर मिल, सरकार की उदासीनता से खंडहर में हो गया है तब्दील

मधुबनी के झंझारपुर में 1980 में पेपर मिल के शिलान्यास के बाद जोर-शोर से काम होना शुरू हुआ था. पेपर मिल के स्थापना से झंझारपुर नगर पंचायत से लेकर आस-पास गांव के युवाओं में रोजगार के अवसर दिखने लगा था. लेकिन बेरोजगार और किसानों के स्वर्णिम सपने को साकार करने वाला यह पेपर मिल स्थापना के साथ हीं बिखरने लगा. आज यह खंडहर में तब्दील हो चुका है.

खंडहर बना पेपर मिल
author img

By

Published : Sep 18, 2019, 11:54 PM IST

मधुबनी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही विकास के तमाम वादे करते हो लेकिन जिले में विकास तो दूर यहां एक भी उद्योग धंधा नहीं है. जो औद्योगिक कारखाने थे वो भी वर्षों पहले बंद हो गए. वहीं, बात करें यहां की करोड़ों रुपए की लागत से बने पेपर मिल की की, तो सरकार की उदासीनता के कारण वो भी बंद पड़ी हुई है.

मधुबनी न्यूज
पेपर मिल के बारे में जानकारी देते समाजसेवी

स्थानीय समाजसेवी जाहिर की चिंता
जिले के समाजसेवी राजकुमार झा ने बताया कि 1980 के दशक में झंझारपुर औद्योगिक प्रांगण में लाखों की लागत से पेपर मिल का निर्माण शुरू किया गया था. पेपर मिल के लिए जपान से मशीनें मंगाई गई थी. लेकिन मशीन चालू नहीं हो सकी. 80 के दशक के बाद जो भी सरकार आई, उसने इस मिल की तरफ नहीं देखा. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पिछले कई सालों से सरकार चला रहें हैं. लेकिन उनकी तरफ से भी मिल को शुरु करने का कोई प्रयास नहीं किया गया. वर्तमान में इस मिल की हालात बहुत खराब बनी हुई है. मिल के अंदर जो भी सामान है, उसे चोर चोरी कर के ले जा रहा है.

तीन दशकों से पेपर मिल बंद पड़ा हैं

खंडहर में तब्दील हो गया है पेपर मिल
झंझारपुर थाना क्षेत्र में दरभंगा राज घराने के करीब पांच एकड़ जमीन पर औद्योगिक प्रांगण है. जहां साल1980 में पेपर मिल के शिलान्यास के बाद जोर-शोर से काम होना शुरू हुआ था. बड़ी-बड़ी मशीन से लेकर बड़ा भवन का निर्माण कराया गया था. पेपर मिल के स्थापना से झंझारपुर नगर पंचायत से लेकर आस-पास गांव के युवाओं में रोजगार के अवसर दिखने लगा था. लेकिन बेरोजगार और किसानों के स्वर्णिम सपने को साकार करने वाला यह पेपर मिल स्थापना के साथ हीं बिखरने लगा. आज यह खंडहर में तब्दील हो चुका है.

मधुबनी
खंडहर बना पेपर मिल

विधानसभा में भी उठाया गया था सवाल
झंझापुर के राजद के विधायक गुलाव यादव ने झंझारपुर पेपर मिल को लेकर कुछ महीनें पहले विधानसभा में तारांकित प्रश्न उठाया था. उन्होंने कहा कि साढ़े तीन दशक से यह पेपर मिल उद्धारक की बाट जोह रहा है. विधायक ने विधानसभा के चालू सत्र में तारांकित प्रश्न डाल बिहार सरकार के उद्योग मंत्री से पूछा था कि क्या झंझारपुर पेपर मिल को जीवित किया जायेगा.

मधुबनी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही विकास के तमाम वादे करते हो लेकिन जिले में विकास तो दूर यहां एक भी उद्योग धंधा नहीं है. जो औद्योगिक कारखाने थे वो भी वर्षों पहले बंद हो गए. वहीं, बात करें यहां की करोड़ों रुपए की लागत से बने पेपर मिल की की, तो सरकार की उदासीनता के कारण वो भी बंद पड़ी हुई है.

मधुबनी न्यूज
पेपर मिल के बारे में जानकारी देते समाजसेवी

स्थानीय समाजसेवी जाहिर की चिंता
जिले के समाजसेवी राजकुमार झा ने बताया कि 1980 के दशक में झंझारपुर औद्योगिक प्रांगण में लाखों की लागत से पेपर मिल का निर्माण शुरू किया गया था. पेपर मिल के लिए जपान से मशीनें मंगाई गई थी. लेकिन मशीन चालू नहीं हो सकी. 80 के दशक के बाद जो भी सरकार आई, उसने इस मिल की तरफ नहीं देखा. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पिछले कई सालों से सरकार चला रहें हैं. लेकिन उनकी तरफ से भी मिल को शुरु करने का कोई प्रयास नहीं किया गया. वर्तमान में इस मिल की हालात बहुत खराब बनी हुई है. मिल के अंदर जो भी सामान है, उसे चोर चोरी कर के ले जा रहा है.

तीन दशकों से पेपर मिल बंद पड़ा हैं

खंडहर में तब्दील हो गया है पेपर मिल
झंझारपुर थाना क्षेत्र में दरभंगा राज घराने के करीब पांच एकड़ जमीन पर औद्योगिक प्रांगण है. जहां साल1980 में पेपर मिल के शिलान्यास के बाद जोर-शोर से काम होना शुरू हुआ था. बड़ी-बड़ी मशीन से लेकर बड़ा भवन का निर्माण कराया गया था. पेपर मिल के स्थापना से झंझारपुर नगर पंचायत से लेकर आस-पास गांव के युवाओं में रोजगार के अवसर दिखने लगा था. लेकिन बेरोजगार और किसानों के स्वर्णिम सपने को साकार करने वाला यह पेपर मिल स्थापना के साथ हीं बिखरने लगा. आज यह खंडहर में तब्दील हो चुका है.

मधुबनी
खंडहर बना पेपर मिल

विधानसभा में भी उठाया गया था सवाल
झंझापुर के राजद के विधायक गुलाव यादव ने झंझारपुर पेपर मिल को लेकर कुछ महीनें पहले विधानसभा में तारांकित प्रश्न उठाया था. उन्होंने कहा कि साढ़े तीन दशक से यह पेपर मिल उद्धारक की बाट जोह रहा है. विधायक ने विधानसभा के चालू सत्र में तारांकित प्रश्न डाल बिहार सरकार के उद्योग मंत्री से पूछा था कि क्या झंझारपुर पेपर मिल को जीवित किया जायेगा.

Intro:राजनीति के बलि चढ़ गई औधोगिक क्षेत्र की पेपर मिल ,मधुबनी


Body:मधुबनी
सूबे के मुखिया नीतीश कुमार सूबे में विकास की बात कर नही थकते लेकिन सूबे में विकास कोशो दूर नजर आती है।नीतीश कुमार विकासशील पुरुष का महारत हासिल करने से पीठ थपथपाते नहीं थकते लेकिन सुबे के मधुबनीमें विकास कोसों दूर है किसी भी तरह का उद्योग जिले में क्रियान्वित नहीं है सारे उद्योग धंधे बंद पड़ा हुआ है ।चीनी मिल हो,जुट मिल हो , या साबुन की मिल हो,जूस मिल हो या अधूरे पेपर मिल सारे के सारे बंद पड़ा हुआ है।1950 ईस्वी में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा ने झंझारपुर प्रखंड के नगर पंचायत झंझारपुर के औद्योगिक प्रांगण में पेपर मिल का शिलान्यास रखी थी शिलान्यास के बाद करोड़ों रुपए की लागत से पेपर मशीन भी खरीद की गयी।काफी तेजी से पेपर मिल की तैयारियां शुरू हुई थी लेकिन राजनीतिक षड्यंत्र के कारण 1990 में लालू प्रसाद की सरकार बने उन्होंने इसे अधूरा छोड़ दिया उसके बाद नीतीश कुमार जी की सरकार बनी लेकिन किसी का ध्यानइस पेपर मिल पर। नही गया। अगर यह पेपर मिल चालू हो गया होता तो 5000 लोगों को रोजगार मिलने की बात कही गई थी बेरोजगारी चरम सीमा पर है जिसमें काफी हद तक सहूलियत होता लेकिन राजनीति के कारण पेपर मिल राजीतिज्ञ ओ की बली चडगया पेपर मिल की स्थापना की गई थी लोगों को आस जगी थी जो रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा गांव में ही रोजगार उपलब्ध हो जाएगी हैं। नीतीश कुमार जी बंदपरे उधोग को पुनर्जीवित करने के प्रयास करते हैं।
बाइट अरुण पोद्दार स्थानीय निवासी
बाइट समाजसेवी
राजकुमार झा
मधुबनी


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.