मधुबनी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही विकास के तमाम वादे करते हो लेकिन जिले में विकास तो दूर यहां एक भी उद्योग धंधा नहीं है. जो औद्योगिक कारखाने थे वो भी वर्षों पहले बंद हो गए. वहीं, बात करें यहां की करोड़ों रुपए की लागत से बने पेपर मिल की की, तो सरकार की उदासीनता के कारण वो भी बंद पड़ी हुई है.
स्थानीय समाजसेवी जाहिर की चिंता
जिले के समाजसेवी राजकुमार झा ने बताया कि 1980 के दशक में झंझारपुर औद्योगिक प्रांगण में लाखों की लागत से पेपर मिल का निर्माण शुरू किया गया था. पेपर मिल के लिए जपान से मशीनें मंगाई गई थी. लेकिन मशीन चालू नहीं हो सकी. 80 के दशक के बाद जो भी सरकार आई, उसने इस मिल की तरफ नहीं देखा. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पिछले कई सालों से सरकार चला रहें हैं. लेकिन उनकी तरफ से भी मिल को शुरु करने का कोई प्रयास नहीं किया गया. वर्तमान में इस मिल की हालात बहुत खराब बनी हुई है. मिल के अंदर जो भी सामान है, उसे चोर चोरी कर के ले जा रहा है.
खंडहर में तब्दील हो गया है पेपर मिल
झंझारपुर थाना क्षेत्र में दरभंगा राज घराने के करीब पांच एकड़ जमीन पर औद्योगिक प्रांगण है. जहां साल1980 में पेपर मिल के शिलान्यास के बाद जोर-शोर से काम होना शुरू हुआ था. बड़ी-बड़ी मशीन से लेकर बड़ा भवन का निर्माण कराया गया था. पेपर मिल के स्थापना से झंझारपुर नगर पंचायत से लेकर आस-पास गांव के युवाओं में रोजगार के अवसर दिखने लगा था. लेकिन बेरोजगार और किसानों के स्वर्णिम सपने को साकार करने वाला यह पेपर मिल स्थापना के साथ हीं बिखरने लगा. आज यह खंडहर में तब्दील हो चुका है.
विधानसभा में भी उठाया गया था सवाल
झंझापुर के राजद के विधायक गुलाव यादव ने झंझारपुर पेपर मिल को लेकर कुछ महीनें पहले विधानसभा में तारांकित प्रश्न उठाया था. उन्होंने कहा कि साढ़े तीन दशक से यह पेपर मिल उद्धारक की बाट जोह रहा है. विधायक ने विधानसभा के चालू सत्र में तारांकित प्रश्न डाल बिहार सरकार के उद्योग मंत्री से पूछा था कि क्या झंझारपुर पेपर मिल को जीवित किया जायेगा.