किशनगंज: बिहार में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नेपाल के तराई इलाके और जिले में लगातार बारिश हो रही बारिश से नदियों ने रौद्र रूप ले लिया है. किशनगंज में महानंदा, मेची, कनकई नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. वहीं, इन नदियों के तटों पर बसे कई गांव में नदी का पानी प्रवेश कर गया है. जिससे दर्जनों गांव टापू में बदल गए.
गांवों में नदियों का पानी घुसने के बाद जन जीवन अस्त व्यवस्त नजर आया. गांवों में बाढ़ जैसे हालात दिखने शुरू हो गए. इलाकों में रहने वाले लोग सुरक्षित स्थानों में पलायन करने लगे हैं. इन लोगों को गांवो में पहुचने के लिए एकमात्र नाव का ही सहारा बना हुआ है.
सबसे प्रभावित क्षेत्र
जिले के किशनगंज प्रखंड, दिघलबैंक प्रखंड, टेढ़ागाछ प्रखंड के कई गांव इन नदियों के तटों पर बसे हैं. इन निचले इलाको में महानंदा और मेची और कनकई का पानी प्रवेश कर गया है. वहीं जिला मुख्यालय से सटे दौला पंचायत के पोरलाबाडी, मंझोक में दर्ज़नो गांव में पानी घुस गया है. प्रशासन ने बाढ़ की संभावना को देखते हुए पहले ही अलर्ट घोषित कर अउन्समेन्ट भी कराया. वहीं, हर पंचायत में सेंटर भी बनाया गया है. साथ ही बाढ़ पूर्व ही पूरी तरह की तैयारियां की गई हैं.
- यहां से जो तस्वीरें सामने आईं हैं वो बाढ़ के संभावित कहर को दिखाने के लिए काफी है.
- कोरोना काल के दौरान लोगों को दोहरी मार पड़ रही है.
- बाढ़ के पानी में लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो रहे हैं.
- लोग अपनी मुसीबतों के बारे में बताते हुए कह रहे हैं सबकुछ डूब गया है.
'96 घंटे हो सकती है बारिश'
इस बाबत जदयू विधायक ने कहा कि नेपाल के तराई इलाकों में लगातर 96 घंटे तक बारिश होने की संभावना है. हमारी सभी नदियां नेपाल के तराई होकर आती हैं. प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है. इसके लिए पहले से अलर्ट जारी कर दिया गया है. सभी पंचायतों में सेंटर बनाए गए हैं. लोग वहां शरण ले सकते हैं. कुल मिलाकर दियारा इलाकों का खाली करने को कहा गया है.