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नहीं खत्म हो रहा खगड़िया के बाढ़ पीड़ितों का दर्द, सरकारी उदासीनता के आगे फेल हुआ सिस्टम

खगड़िया के गोगरी प्रखंड के रामपुर पंचायत में भीषण बाढ़ आई थी. यूं कह सकते है कि पूरे खगड़िया जिले में सब से ज्यादा प्रभावित पंचायत और नुकसान झेलने वाली जो पंचायतें हैं उसमें रामपुर भी शामिल है.

खगड़िया से ईटीवी भारत की रिपोर्ट
खगड़िया से ईटीवी भारत की रिपोर्ट
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Published : Mar 3, 2020, 9:42 PM IST

खगड़िया: जिले में आई बाढ़ अपना प्रचंड रूप दिखा कर चली गई. लेकिन इस बाढ़ की चपेट में आए परिवारों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है. जिले के आसपास की सारी नदियों बूढ़ी गंडक, कमला, बागमती और गंगा ने मिलकर गांवों को उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

खगड़िया के चार प्रखंडों की 22 पंचायतें पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी थी. लोगों ने अपना आशियाना छोड़ दिया था और ऊंचे स्थानों पर जाकर रहने को मजबूर हो गए थे. जिला सात नदियों से घिरा हुआ है. इसके चलते हल्की बारिश भी नदियों में उफान ला देती है. यहां की श्रापित नदियां कई गांवों को अपने आगोश में ले लेती हैं.

खगड़िया से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नहीं कम हुआ बाढ़ पीड़ितों का दर्द
ईटीवी भारत आज उन बाढ़ पीड़तों के बीच पहुंचा, जो अभी भी नदियों के कहर का दर्द अपने जहन में लिये हुए हैं. ताकि जिला प्रशासन और बिहार सरकार उनके दर्द पर मरहम लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए.

रामपुर पंचायत के लोगो ने अपने दर्द को बयां करते कहा कि गंडक नदी और बिचली धार का पानी बढ़ने के कारण बाढ़ आई थी. उस समय गांव के बीचों बीच से धारा निकली और उसके रास्ते में जितने घर आये. वो बाढ़ के पानी में बहते चले गए. कम से कम 25 से 30 घर इस पंचायत में बहे हैं. घर भी वैसे लोगो के बहे है, जो अपनाे पूरे जीवन मे सिर्फ एक घर बना सके यही काफी है. ग्रामीणों ने बताया गया कि इंद्रा आवास के मिल हुए पैसों से घर बनाये थे. लेकिन वो भी भगवान से देखा नहीं गया.

उजड़ गई सड़कें
उजड़ गई सड़कें

मां ने खो दिए अपने बेटे
गांव की ही एक महिला ने दर्द भरी आवाज में कहा कि उन्होंने घर के साथ-साथ अपने दो बेटों को खो दिया. ग्रामीणों में आज भी इस बात का आक्रोश है कि जो विपदा आई थी. वो तो हम सभी झेल लिए. लेकिन जिला प्रसाशन और सरकार की तरफ से अब तक कोई लाभ नहीं मिला. खेत कट कर बालू हो चुके हैं. फसल उगाने के लिए एक मुट्ठी जमीन नहीं बची है. बावजूद इसके, अब तक सरकार का कोई अधिकारी इनके हालातों का जायजा लेने नहीं पहुंचा है. पीड़ितों का आरोप है कि सरकार ने 6 हजार रुपया देने का ऐलान किया था. वो भी अब तक इन्हें नहीं मिला है.

कच्चे मकान में रहने को मजबूर है ग्रामीण
कच्चे मकान में रहने को मजबूर है ग्रामीण

बाढ़ प्रभावित खगड़िया के 4 प्रखंड

  • खगड़िया प्रखंड
  • गोगरी प्रखंड
  • परबत्ता प्रखंड
  • मानशी प्रखंड

बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन

  1. बाढ़ ग्रषित 21 ग्राम पंचायत हैं, जिनमें एक नगर पंचायत और एक नगर परिषद भी शामिल है.
  2. जिला में तकरीबन 9 लाख 68 हजार रुपयों की फसल का नुकसान हुआ.
  3. पब्लिक प्रॉपर्टी (सड़क) का नुकसान 9 लाख रुपये
  4. बाढ़ आपदा के दौरान 26 हजार 781 राशन के पैकेट बांटे गए.
  5. बाढ़ राहत के लिए राज्य सरकार के पास 27 हजार 733 लोगों के नाम भेजे गए. अन्य पीड़ितों के लिए प्रक्रिया चल रही है.
  6. पीड़तों की लिस्ट में से 24 हजार 817 लोगों के खाते में राज्य सरकार ने प्रति परिवार 6 हजार रुपये भेजे.

(उक्त आंकड़ा आपदा विभाग खगड़िया से दिया गया है)

पंचायत के सरपंच का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों के खाते में तकनीकी कमी थी, इस वजह से रुपये नहीं आ रहे थे. कुछ दिनों पहले ही जिलाधिकारी से मिल इस बाबत उन्हें अवगत कराया जा चुका है. जिलाधिकारी ने आश्वासन देते हुए समस्या के निराकरण की बात कही है.

खगड़िया: जिले में आई बाढ़ अपना प्रचंड रूप दिखा कर चली गई. लेकिन इस बाढ़ की चपेट में आए परिवारों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है. जिले के आसपास की सारी नदियों बूढ़ी गंडक, कमला, बागमती और गंगा ने मिलकर गांवों को उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

खगड़िया के चार प्रखंडों की 22 पंचायतें पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी थी. लोगों ने अपना आशियाना छोड़ दिया था और ऊंचे स्थानों पर जाकर रहने को मजबूर हो गए थे. जिला सात नदियों से घिरा हुआ है. इसके चलते हल्की बारिश भी नदियों में उफान ला देती है. यहां की श्रापित नदियां कई गांवों को अपने आगोश में ले लेती हैं.

खगड़िया से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नहीं कम हुआ बाढ़ पीड़ितों का दर्द
ईटीवी भारत आज उन बाढ़ पीड़तों के बीच पहुंचा, जो अभी भी नदियों के कहर का दर्द अपने जहन में लिये हुए हैं. ताकि जिला प्रशासन और बिहार सरकार उनके दर्द पर मरहम लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए.

रामपुर पंचायत के लोगो ने अपने दर्द को बयां करते कहा कि गंडक नदी और बिचली धार का पानी बढ़ने के कारण बाढ़ आई थी. उस समय गांव के बीचों बीच से धारा निकली और उसके रास्ते में जितने घर आये. वो बाढ़ के पानी में बहते चले गए. कम से कम 25 से 30 घर इस पंचायत में बहे हैं. घर भी वैसे लोगो के बहे है, जो अपनाे पूरे जीवन मे सिर्फ एक घर बना सके यही काफी है. ग्रामीणों ने बताया गया कि इंद्रा आवास के मिल हुए पैसों से घर बनाये थे. लेकिन वो भी भगवान से देखा नहीं गया.

उजड़ गई सड़कें
उजड़ गई सड़कें

मां ने खो दिए अपने बेटे
गांव की ही एक महिला ने दर्द भरी आवाज में कहा कि उन्होंने घर के साथ-साथ अपने दो बेटों को खो दिया. ग्रामीणों में आज भी इस बात का आक्रोश है कि जो विपदा आई थी. वो तो हम सभी झेल लिए. लेकिन जिला प्रसाशन और सरकार की तरफ से अब तक कोई लाभ नहीं मिला. खेत कट कर बालू हो चुके हैं. फसल उगाने के लिए एक मुट्ठी जमीन नहीं बची है. बावजूद इसके, अब तक सरकार का कोई अधिकारी इनके हालातों का जायजा लेने नहीं पहुंचा है. पीड़ितों का आरोप है कि सरकार ने 6 हजार रुपया देने का ऐलान किया था. वो भी अब तक इन्हें नहीं मिला है.

कच्चे मकान में रहने को मजबूर है ग्रामीण
कच्चे मकान में रहने को मजबूर है ग्रामीण

बाढ़ प्रभावित खगड़िया के 4 प्रखंड

  • खगड़िया प्रखंड
  • गोगरी प्रखंड
  • परबत्ता प्रखंड
  • मानशी प्रखंड

बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन

  1. बाढ़ ग्रषित 21 ग्राम पंचायत हैं, जिनमें एक नगर पंचायत और एक नगर परिषद भी शामिल है.
  2. जिला में तकरीबन 9 लाख 68 हजार रुपयों की फसल का नुकसान हुआ.
  3. पब्लिक प्रॉपर्टी (सड़क) का नुकसान 9 लाख रुपये
  4. बाढ़ आपदा के दौरान 26 हजार 781 राशन के पैकेट बांटे गए.
  5. बाढ़ राहत के लिए राज्य सरकार के पास 27 हजार 733 लोगों के नाम भेजे गए. अन्य पीड़ितों के लिए प्रक्रिया चल रही है.
  6. पीड़तों की लिस्ट में से 24 हजार 817 लोगों के खाते में राज्य सरकार ने प्रति परिवार 6 हजार रुपये भेजे.

(उक्त आंकड़ा आपदा विभाग खगड़िया से दिया गया है)

पंचायत के सरपंच का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों के खाते में तकनीकी कमी थी, इस वजह से रुपये नहीं आ रहे थे. कुछ दिनों पहले ही जिलाधिकारी से मिल इस बाबत उन्हें अवगत कराया जा चुका है. जिलाधिकारी ने आश्वासन देते हुए समस्या के निराकरण की बात कही है.

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