कैमूर : देश के प्राचीन मंदिर में शुमार मां मुंडेश्वरी का धाम भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर है. मां मुंडेश्वरी का मंदिर धरातल से लगभग 608 फीट की ऊंचाई पर है. वैसे तो मां के दर्शन करने के लिए भक्तों का तादाद सालों भर लगा रहता है. लेकिन नवरात्रि में मां का दर्शन करने लोग दूसरे राज्यों से भी आते हैं. देश के प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी धाम के मुख्य मंदिर परिसर में मां के समक्ष प्राचीन चतुर्भुज शिवलिंग का अपना ही विशेष महत्व है. इस शिवलिंग पर रूद्राभिषेक और मां मुंडेश्वरी की सच्चे मन से पूजा आराधना करने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.
रक्तहीन बलि के लिए प्रख्यात है मुंडेश्वरी धाम
मां मुंडेश्वरी में बलि की अनूठी प्रथा है. यहां बिना एक बूंद खून गिरे सिर्फ अक्षत और मंत्र से बकरे की बलि दी जाती है. मां के भक्त मन्नत पूरी होने के बाद यहां मन्नत उतारने के लिए आते हैं और मां के समक्ष रक्तहीन बलि दी जाती है. मान्यता यह है कि इस मंदिर में पूजा की परंपरा 1900 सालों से चली आ रही है और आज भी यह मंदिर जीवंत रूप के लिए जाना जाता है. यही नहीं यह मंदिर भारत का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता हैं. मंदिर का एक शिलालेख कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में रखा गया है. जिसे 349 ई से 636 ई के बीच का बताया जाता है.
साल में तीन बार लगता है मेला
मां मुंडेश्वरी धाम में साल भर में 3 बार मेला लगता है. यहां शारदीय नवरात्र, चैत्र नवरात्र और माघ माह में मेला लगता है. इसके अलावा धर्मिक न्याय परिषद के तरफ से भी साल में एक बार मुंडेश्वरी महोत्सव का आयोजन किया जाता है.
तांदूळ प्रसाद का चढ़ता है चढ़ावा
जिला प्रशासन की तरफ से एक नई पहल शुरू कर दी गयी है. मां के भक्त यदि इस मंदिर में आने में समर्थ नहीं है, तो तांदूळ प्रसाद की बुकिंग ऑनलाइन मुंडेश्वरी ट्रस्ट के साइट से कर सकते हैं. भक्त अपने चयनित दिन और समय पर मां को प्रसाद चढ़ा सकते हैं. जिसके बाद कूरियर से भक्त को मां का प्रसाद भेज दिया जाएगा.
ऑनलाइन कर सकते है मां की पूजा
कैमूर जिला प्रशासन और धार्मिक न्याय समिति ने मां मुंडेश्वरी के महत्व को देखते हुए और पर्यटक के दृष्टिकोण से मां के भक्तों के लिए वेबसाइट लांच की है. वेबसाइट पर ऑनलाइन पूजा की भी सुविधा उपलब्ध है. यही नहीं भक्त अपने घर बैठे मां को प्रसाद अर्पण कर उसे ग्रहण भी कर सकते हैं. इसके लिए भक्तों को मां मुंडेश्वरी के साइट पर आर्डर करना होगा. जिसके बाद प्रसाद कूरियर से भक्तों को भेजा जाता है.