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संविधान में दर्ज अधिकार के लिए मोहताज आदिवासी महिला, इंटर पास होने के बावजूद नहीं मिली कोई नौकरी

जिले के झाझा प्रखंड स्थित 12 टोला पंचायत की ताजी गांव में मुन्नी नाम की आदिवासी महिला इंटर पास है. बावजूद उसे ना तो अब तक किसी तरह का रोजगार मिला है. और ना ही जिला प्रशासन की नजर उस गांव पर पड़ी है.

घर से दूर पानी लेने आई महिलाएं और बच्चे
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Published : Jun 19, 2019, 10:37 PM IST

जमुई: भारतीय संविधान में आदिवासियों के विकास और संवर्धन के लिए अलग से जगह दी गई है. संविधान के अनुच्छेद 5 में आदिवासियों के विकास और उनके संवर्धन की बात कही गई है. लेकिन जिले के झाझा प्रखंड स्थित 12 कोला पंचायत के ताजी गांव में एक आदिवासी महिला इंटर पास है और बेरोजगार भटकने को विवश है.

जिले के झाझा प्रखंड स्थित 12 टोला पंचायत की ताजी गांव में मुन्नी नाम की आदिवासी महिला इंटर पास है. बावजूद उसे ना तो अब तक किसी तरह का रोजगार मिला है. और ना ही जिला प्रशासन की नजर उस गांव पर पड़ी है. हालत यह है कि उस गांव में ना तो आंगनवाड़ी केंद्र है. और ना ही किसी भी तरह की मूलभूत सुविधा.

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घर से दूर पानी लेने आई महिलाएं और बच्चे

जिला प्रशासन की अबतक नहीं पड़ी नजर
दरअसल यह गांव पहाड़ और जंगलों के बीच बसा हुआ है. इस गांव में कुल 20 परिवार रहते हैं. जिसमें कई बच्चे कुपोषित भी पाए गए. हालांकि इस गांव में एक मात्र महिला इंटर पास है. उससे वहां कुछ काम लिया जा सकता है. बावजूद जिला प्रशासन की नजर उस गांव में और उस महिला पर नहीं पड़ी है. ताकि उस महिला के जरिए गांवों में विकास की बयार बहाई जा सके.

नदी और पहाड़ का वीडियो

गांव में पीने योग्य पानी नहीं है
खास बात यह है कि इस गांव में आज भी पीने का पानी नहीं है. लिहाजा इन लोगों को गांव से दूर तालाब से पानी लेने जाना पड़ता है. दरअसल आदिवासियों में पढ़े लिखे लोगों की घोर कमी है. काफी जिल्लत सहते हुए और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए मुन्नी ने पढ़ाई की. लेकिन इंटर की पढ़ाई करने के बावजूद मुन्नी को अब तक किसी भी तरह की कोई सरकारी नौकरी नहीं मिल पायी है. लिहाजा यह गांव अभी भी उपेक्षा का शिकार है और यह सुदूरवर्ती गांव अभी भी विकास से कोसों दूर है.

जमुई: भारतीय संविधान में आदिवासियों के विकास और संवर्धन के लिए अलग से जगह दी गई है. संविधान के अनुच्छेद 5 में आदिवासियों के विकास और उनके संवर्धन की बात कही गई है. लेकिन जिले के झाझा प्रखंड स्थित 12 कोला पंचायत के ताजी गांव में एक आदिवासी महिला इंटर पास है और बेरोजगार भटकने को विवश है.

जिले के झाझा प्रखंड स्थित 12 टोला पंचायत की ताजी गांव में मुन्नी नाम की आदिवासी महिला इंटर पास है. बावजूद उसे ना तो अब तक किसी तरह का रोजगार मिला है. और ना ही जिला प्रशासन की नजर उस गांव पर पड़ी है. हालत यह है कि उस गांव में ना तो आंगनवाड़ी केंद्र है. और ना ही किसी भी तरह की मूलभूत सुविधा.

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घर से दूर पानी लेने आई महिलाएं और बच्चे

जिला प्रशासन की अबतक नहीं पड़ी नजर
दरअसल यह गांव पहाड़ और जंगलों के बीच बसा हुआ है. इस गांव में कुल 20 परिवार रहते हैं. जिसमें कई बच्चे कुपोषित भी पाए गए. हालांकि इस गांव में एक मात्र महिला इंटर पास है. उससे वहां कुछ काम लिया जा सकता है. बावजूद जिला प्रशासन की नजर उस गांव में और उस महिला पर नहीं पड़ी है. ताकि उस महिला के जरिए गांवों में विकास की बयार बहाई जा सके.

नदी और पहाड़ का वीडियो

गांव में पीने योग्य पानी नहीं है
खास बात यह है कि इस गांव में आज भी पीने का पानी नहीं है. लिहाजा इन लोगों को गांव से दूर तालाब से पानी लेने जाना पड़ता है. दरअसल आदिवासियों में पढ़े लिखे लोगों की घोर कमी है. काफी जिल्लत सहते हुए और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए मुन्नी ने पढ़ाई की. लेकिन इंटर की पढ़ाई करने के बावजूद मुन्नी को अब तक किसी भी तरह की कोई सरकारी नौकरी नहीं मिल पायी है. लिहाजा यह गांव अभी भी उपेक्षा का शिकार है और यह सुदूरवर्ती गांव अभी भी विकास से कोसों दूर है.

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जमुई-नौकरी के लिए भटक रही है बेरोजगार आदिवासी महिला

भारतीय संविधान में आदिवासियों के विकास और संवर्धन के लिए अलग से जगह दी गई है संविधान के अनुच्छेद 5 में कई सारे अधिकारी सारे धाराएं हैं जिसमें आदिवासियों के विकास और उनके संवर्धन की बात कही गई है लेकिन जमुई जिले के झाझा प्रखंड स्थित 12 कोला पंचायत केताकी गांव में एक आदिवासी महिला इंटर पास है लेकिन बेरोजगार भटक रही है


Body:आखिर कब मिलेगी पढ़ी-लिखी आदिवासी महिला को रोजगार

जमुई जिले के झाझा प्रखंड स्थित 12 टोला पंचायत की ताजी गांव में मूल्य नाम की आदिवासी महिला इंटर पास है बावजूद उसे ना तो अब तक इसी तरह का रोजगार मिला है ना ही जिला प्रशासन की नजर उस गांव में पड़ी है। हालत यह है कि उस गांव में ना तो आंगनवाड़ी केंद्र है ना ही किसी भी तरह की मूलभूत सुविधा उस गांव में मुहैया कराया गया है ।

दरअसल यह गांव पहाड़ी और जंगलों के बीच बसा हुआ है इस गांव में कुल 20 परिवार रहते हैं जिसमें कई बच्चे कुपोषित भी पाए गए हालांकि इस गांव में एक मात्र महिला जो इंटर पास है उससे वहां कुछ काम लिया जा सकता है बावजूद जिला प्रशासन की नजर उस गांव में और उस महिला तक नहीं पड़ी है ताकि उस महिला के जरिए गांवों में विकास की बयार बढ़ाया जा सके।


Conclusion:गांव में पीने योग्य पानी नहीं है

मुन्नी प्रतिदिन झरने से पानी लाकर बुझाती है गले की प्यास

दरअसल आदिवासियों में पढ़े लिखे लोगों की घोर कमी है , काफी जिल्लत सहते हुए और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए नींबू में अंतर तक किसी भी तरह पढ़ाई की लेकिन इंटर की पढ़ाई करने के बावजूद मुन्नी को अब तक किसी भी तरह की कोई सरकारी नौकरी नहीं मिल पायी है और ना ही इस गांव में शासन हो या प्रशासन या फिर जनप्रतिनिधि जिनकी नजर इस गांव में पड़ा हो, लिहाजा यह गांव अभी भी उपेक्षा का शिकार दंश झेल रहा है और यह सुदूरवर्ती गांव अभी भी विकास से कोसों दूर है ईटीवी भारत के लिए जमुई से ब्रजेंद्र नाथ झा
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