गोपालगंज: किन्नरों के बारे में सोचते ही मन में एक अलग ही सोच उमड़ पड़ती है. ज्यादातर दूसरों की खुशियों पर बधाई मांगने और अश्लील डांस के लिए किन्नरों की जो छवि समाज में बनी हुई है. उससे सभी रूबरू हैं. लेकिन बिहार के गोपालगंज में इन सबके परे किन्नरों का एक ग्रुप आज इज्जत की जिंदगी जी रहा है. ऐसा हम नहीं, खुद किन्नर कह रहे हैं.
गोपालगंज के सिधवलिया प्रखंड के जलालपुर गांव में करीब दस सालों से किन्नरों का समूह मूर्ति बनाकर जीविकोपार्जन कर रहा है. यही नहीं, मूर्तियों से इन किन्नरों की अच्छी खासी आमदनी हो रही है. इज्जत के साथ जी रहे ये किन्नर नाच गाना और बधाई देने वाले काम को अपने जिंदगी के पन्नों से मिटा चुके हैं.
'अब अच्छा लगता है'
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए किन्नर वैशाली और सोना कहते हैं कि पहले की लाइफ के बारे में सोचते हैं तो अब बेहतर लगता है. मेहनत कर मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. लोग हमारी मूर्तियों को खरीदते भी हैं. इससे अच्छी आमदनी हो रही है.
कहां से सीखी ये कला?
इस बाबत वैशाली ने बताया कि उन्होंने यूपी के बलिया में रहने वाले अपने गुरु से मूर्ति बनाने की कला सीखी. अब वो बेहतरीन माटी की मूर्तियों का निर्माण करती है. वहीं, सोना की माने तो वो दिल्ली से बिहार आयी हैं. अगर अन्य किन्नर चाहेंगे तो वो उन्हें भी ये कला सिखाएंगी.
'ऊपर वाले की मर्जी को नकार नहीं सकते'
देवी-देवताओं की मूर्ति बनाने वाली वैशाली कहती है कि दस वर्ष पहले मैंने नाच गाना छोड़ कर मूर्ति बनाने की कला सीखी थी. तब से लेकर आज तक मूर्ति बनाती हूं. जितनी इज्जत मुझे इस काम में मिली, उतनी मुझे नाच-गाने में नहीं मिली. ईश्वर ने मुझे चाहे जैसे बनाया हो, वो उनकी मर्जी थी. लेकिन मैं अपनी जिंदगी कैसे बिताऊं, उसमें मेरी मर्जी है. इसलिए मैं चाहती हूं कि मैं अपनी जिंदगी इज्जत से बिताऊं.
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गांव वाले करते हैं सपोर्ट
किन्नरों के इस काम को देखते हुए स्थानीय काफी खुश नजर आते हैं. वहीं, जललापुर गांव के लोग भी इनका काफी सपोर्ट कर रहे हैं. जमीन की जरूरत हो या इनके काम में आने वाली मुसीबतों की. स्थानीय लोग इनका काफी सहयोग करते हैं. इस बाबत इरफान बताते हैं कि सीजन के अनुसार मूर्तियां बनाकर ये लोग अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं. इनकी मदद कर, अच्छा लगता है.
- देश में सरस्वती पूजा धूमधाम से मनायी जाती है. इस वक्त किन्नरों का समूह सरस्वती पूजा के लिये मां सरस्वती की मूर्ति बनाने की तैयारी कर रहा है. इनके हाथ से बनी मूर्तियों की डिमांड बढ़ गई है.