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हाल-ए-सदर अस्पताल! मुर्दों का भी है यहां बुरा हाल

गोपालगंज के सदर अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां मरीजों का हाल तो बेहाल है ही मुर्दों की भी स्थिती बद से बदतर है.

सदर अस्पताल, गोपालगंज
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Published : Feb 6, 2019, 3:08 PM IST

गोपालगंज: जिले के सदर अस्पताल की हालत बद से बदतर है. यहां मरीजों का हाल तो बेहाल है ही मुर्दों की भी दुर्गती यहां किसी से किसी से छिपी नहीं है. इन सब के बीच अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई खोज खबर नहीं है.

बता दें कि यहां के सदर अस्पताल में तीन सौ बेडों वाला अस्पताल है. मगर यहां आजतक एक भी मॉर्चरी रूम का निर्माण नहीं कराया जा सका है, ताकि अज्ञात मरीजों को पहचान के लिए वहां रखा जा

सदर अस्पताल, गोपालगंज
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हालत ऐसी है कि सड़क हादसे में किसी अज्ञात की मौत होने के बाद उसके शव को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ही मरीजों के बीच ही रखा जाता है. वहीं, कई ऐसे शव आते हैं, जिन्हें मात्र 5 से 6 घंटे के बाद ही पोस्टमार्टम कर पुलिस को सौंप देते हैं. उसके बाद पुलिस अपने स्तर से उस लावारिस शवों का दाह संस्कार करती है.

गोपालगंज: जिले के सदर अस्पताल की हालत बद से बदतर है. यहां मरीजों का हाल तो बेहाल है ही मुर्दों की भी दुर्गती यहां किसी से किसी से छिपी नहीं है. इन सब के बीच अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई खोज खबर नहीं है.

बता दें कि यहां के सदर अस्पताल में तीन सौ बेडों वाला अस्पताल है. मगर यहां आजतक एक भी मॉर्चरी रूम का निर्माण नहीं कराया जा सका है, ताकि अज्ञात मरीजों को पहचान के लिए वहां रखा जा

सदर अस्पताल, गोपालगंज
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हालत ऐसी है कि सड़क हादसे में किसी अज्ञात की मौत होने के बाद उसके शव को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ही मरीजों के बीच ही रखा जाता है. वहीं, कई ऐसे शव आते हैं, जिन्हें मात्र 5 से 6 घंटे के बाद ही पोस्टमार्टम कर पुलिस को सौंप देते हैं. उसके बाद पुलिस अपने स्तर से उस लावारिस शवों का दाह संस्कार करती है.

Intro:गोपालगंज जिले के सदर अस्पताल में शव के साथ किस तरह दुर्गति होती है यह किसी से छिपा नहीं है, आए दिन शव के साथ दुर्गति होना यहां की नियति साबित हो गई है। लेकिन अस्पताल प्रशासन इस सिस्टम से सबक लेना उचित नहीं समझता या यूं कहें कि सिस्टम के साथ अस्पताल प्रशासन खिलवाड़ करने से भी पीछे नहीं हटता है। कहने को तो यह सदर अस्पताल 3 सौ बेड़ो वाला अस्पताल है लेकिन आश्चर्य की बात है इस सदर अस्पताल में आजादी के बाद भी एक मॉर्चरी रूम का आज तक निर्माण नही हो सका है जिससे अज्ञात मरीजो को 72 घण्टा पहचान के लिए रखा जा सके। वही सड़क हादसे में अज्ञात मौत हो या कही मिला हुआ शव को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजो के बीच ही रखा जाता है वही कई ऐसे शव आते है जिन्हें मात्र 5-6 घण्टे के बाद ही पोस्टमार्टम कर पुलिस को सौप देते है जिसे पुलिस अपने स्तर से लावारिश शवो को दाह संस्कार करती है। वही अगर किसी का कोई नाम पता मालूम नही होने के कारण उसे यथाशिघ्र दाह संस्कार कर देते है।






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