गोपालगंज: जिले के सदर अस्पताल की हालत बद से बदतर है. यहां मरीजों का हाल तो बेहाल है ही मुर्दों की भी दुर्गती यहां किसी से किसी से छिपी नहीं है. इन सब के बीच अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई खोज खबर नहीं है.
बता दें कि यहां के सदर अस्पताल में तीन सौ बेडों वाला अस्पताल है. मगर यहां आजतक एक भी मॉर्चरी रूम का निर्माण नहीं कराया जा सका है, ताकि अज्ञात मरीजों को पहचान के लिए वहां रखा जा
हालत ऐसी है कि सड़क हादसे में किसी अज्ञात की मौत होने के बाद उसके शव को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ही मरीजों के बीच ही रखा जाता है. वहीं, कई ऐसे शव आते हैं, जिन्हें मात्र 5 से 6 घंटे के बाद ही पोस्टमार्टम कर पुलिस को सौंप देते हैं. उसके बाद पुलिस अपने स्तर से उस लावारिस शवों का दाह संस्कार करती है.