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बोले गिरिराज सिंह- नई क्रांति की ओर जा रहा है बिहार - फिशरीज एग्रीकल्चर

देश के युवाओं के लिए रोल मॉडल बने राजीव आज फिशरीज डिपार्टमेंट के लिए भी आइकॉन बन गए हैं. जिसका परिणाम है कि खुद केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह राजीव की उपलब्धियों को देखने उनके गांव आए.

गिरिराज
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Published : Sep 20, 2019, 9:58 PM IST

बेगूसराय: केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह एक कार्यक्रम के सिलसिले में जिले के तेघरा प्रखंड पहुंचे. यहां उन्होंने किसानों की प्रतिभा को देखा. इस दौरान गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार में बहुत संभावनाएं हैं, राज्य अब नई क्रांति की ओर बढ़ चला है. नए युवाओं के फिशरीज में आने से किसानों की आय में दो गुना नहीं 6 गुना आमदनी हो रही है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि यहां के युवा तकनीक के आधार पर नए-नए कीर्तिमान रच रहे हैं. किसान फिशरीज एग्रीकल्चर को तकनीक से जोड़कर दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. जिससे नए-नए रोजगार के अवसर बन रहे हैं.

begusarai
एकुआ फिशरीज का मुआयना करते गिरिराज सिंह

'किसानों के लिए मिसाल हैं राजीव'
दरअसल, पिढ़ौली गांव के राजीव कुमार ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ एकुआ फिशरीज एग्रीकल्चर जैसी तकनीक को अपनाया है. राजीव ने इस तकनीक के माध्यम से सभी किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है. उसकी इस प्रतिभा को लोगों ने खूब सराहा भी है. यहां तक की देश-विदेश से 500 किसानों ने इसकी ट्रेनिंग भी ली. जिसमें 137 किसान इस रोजगार को अपनाकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं.

begusarai
राजीव कुमार, मछली पालक

'फिशरीज डिपार्टमेंट के आइकॉन हैं राजीव'
देश के युवाओं के लिए रोल मॉडल बने राजीव आज फिशरीज डिपार्टमेंट के लिए भी आइकॉन बन गए हैं. जिसका परिणाम है कि खुद केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह राजीव की उपलब्धियों को देखने उनके गांव आए. राजीव की इन उपलब्धियों को देखकर खुद केंद्रीय मंत्री ने भी इन्हें किसानों का आइकॉन घोषित कर दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कौन हैं राजीव?
बता दें कि राजीव एक बेहद सामान्य परिवार से आते हैं. जिन्होंने सीआरपीएफ में अपनी 22 साल की सेवा देकर सिर्फ इसी काम के लिए वोलंटरी रिटायरमेंट ले लिया. उसके बाद राजीव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर एकुआ फिशरीज एग्रीकल्चर जैसी नई तकनीक का इजात कर रहे हैं.

बेगूसराय: केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह एक कार्यक्रम के सिलसिले में जिले के तेघरा प्रखंड पहुंचे. यहां उन्होंने किसानों की प्रतिभा को देखा. इस दौरान गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार में बहुत संभावनाएं हैं, राज्य अब नई क्रांति की ओर बढ़ चला है. नए युवाओं के फिशरीज में आने से किसानों की आय में दो गुना नहीं 6 गुना आमदनी हो रही है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि यहां के युवा तकनीक के आधार पर नए-नए कीर्तिमान रच रहे हैं. किसान फिशरीज एग्रीकल्चर को तकनीक से जोड़कर दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. जिससे नए-नए रोजगार के अवसर बन रहे हैं.

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एकुआ फिशरीज का मुआयना करते गिरिराज सिंह

'किसानों के लिए मिसाल हैं राजीव'
दरअसल, पिढ़ौली गांव के राजीव कुमार ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ एकुआ फिशरीज एग्रीकल्चर जैसी तकनीक को अपनाया है. राजीव ने इस तकनीक के माध्यम से सभी किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है. उसकी इस प्रतिभा को लोगों ने खूब सराहा भी है. यहां तक की देश-विदेश से 500 किसानों ने इसकी ट्रेनिंग भी ली. जिसमें 137 किसान इस रोजगार को अपनाकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं.

begusarai
राजीव कुमार, मछली पालक

'फिशरीज डिपार्टमेंट के आइकॉन हैं राजीव'
देश के युवाओं के लिए रोल मॉडल बने राजीव आज फिशरीज डिपार्टमेंट के लिए भी आइकॉन बन गए हैं. जिसका परिणाम है कि खुद केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह राजीव की उपलब्धियों को देखने उनके गांव आए. राजीव की इन उपलब्धियों को देखकर खुद केंद्रीय मंत्री ने भी इन्हें किसानों का आइकॉन घोषित कर दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कौन हैं राजीव?
बता दें कि राजीव एक बेहद सामान्य परिवार से आते हैं. जिन्होंने सीआरपीएफ में अपनी 22 साल की सेवा देकर सिर्फ इसी काम के लिए वोलंटरी रिटायरमेंट ले लिया. उसके बाद राजीव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर एकुआ फिशरीज एग्रीकल्चर जैसी नई तकनीक का इजात कर रहे हैं.

Intro:प्रतिमा संसाधनों की मोहताज नहीं होती है, जरूरत है इसे सजाने संवारने और निखारने की। विमला की ताजी एक ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने नई टेक्नोलॉजी पर आधारित एकुआ फिसरिज एग्रीकल्चर को तकनीक से जोड़कर एक मिसाल पेश की । राजीव की इन कोशिशों से न सिर्फ राजीव बल्कि बांग्लादेश, नेपाल, किसान और नौजवान स्वाबलंबी बन पाए बल्कि रोजगार के एक नए अवसर को भी जन्म दिया । राजीव आज न सिर्फ बेगुसराय बल्कि देश भर के किसान और फिशरीज डप्पार्टमेंट के रोलमॉडल और आइकॉन बने हुए है । राजीव के इन कोशिशों के बदौलत ही अब उनके इस उपलब्धियों को देखने केंद्रीय मंत्री तृक उनके दरवाजे पर पहुंच रहे है । बताते चले कि उस उपलब्धि को हासिल करने के लिए राजीव ने सरकारी नौकरी छोड़ दी ।
Body:भियो - बेगूसराय के तेघरा प्रखंड के पिढौली गांव के रहने वाले राजीव कुमार आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है । 22 साल तक सीआरपीएफ की नौकरी को छोड़ कर राजीव ने एकुआ फिशरीज एग्रीकल्चर जैसी तकनीक को अपनाया और इसे तकनीक से जोड़कर देश के किसानों के सामने एक मिशाल पेश की । राजीव आज देश ही नही बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के किसानों के बीच खासे चर्चित हैं। और वहां के युवा और किसान इन से ट्रेनिंग लेने के लिए बेगुसराय आते हैं । राजीव ने अब तक देश-विदेश के 500 किसानों को इसकी ट्रेनिंग दी है जिसमें से 137 किसान इस ट्रेनिंग का लाभ उठाकर आज जिंदगी मजे से गुजार रहे है । वही बाकी लोग इसपर काम कर रहे ।देश के युवाओं के लिए नहीं देश के किसानों के लिए रोल मॉडल बने राजीव आज फिशरीज डिपार्टमेंट के लिए भी आइकॉन बने गए हैं । जिसका परिणाम है कि खुद केंद्रीय पशुपालन मंत्री तक को राजीव की उपलब्धियों को देखने आना पड़ा । राजीव की इन उपलब्धियों को देखकर खुद मंत्री ने भी इन्हें किसानों का आइकॉन घोषित कर दिया ।
बाइट - गिररिराज सिंह - केन्दीय मंत्री
विओ - बताते चलेगी राजीव एक बेहद सामान्य परिवार से आते हैं जिन्होंने सीआरपीएफ में अपनी 22 साल की सेवा देकर सिर्फ इसी काम के लिए भोलेन्टरी रिटायरमेंट ले लिया। उसके बाद राजीव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर एकुआ फिशरीज एग्रीकल्चर रोज ब रोज ने नए तकनीक का इजाद करते गए और आज राजीब के पास तकरिवन 36 टैंक है । इसके पहले राजीव ने जैविक खाद का काम शुरू किया और फिर जाकर इसे स्थापित किय्या । राजीव के मुताबिक मछली पालन का ये तकनीक किसानों के लिए काफी फायदेमंद है ।
बाइट - राजीब कुमार
Conclusion:- कुल मिलाकर राजीव की उपलब्धियों ने एक बात तो साबित कर दिया है कि अगर दिल में तमन्ना हो तो कुछ भी असंभाब नही है । राज के पास आज देश भर के किसान ट्रैनिंग लेने आते है और राजीव से प्रेरित होकर एक नए संभावनाओं को जन्म देते है ।
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