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पारंपरिक खेती छोड़ तफेजुल ने उपजाए शिमला मिर्च, दूसरे किसानों के लिए बने प्रेरणा

अररिया जिले में एक किसान ने बिना ग्रीन हाउस के शिमला मिर्च की खेती कर रहा है. किसान का मानना है कि बाजार में इसकी डिमांड भी अधिक है और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है.

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Published : Feb 2, 2019, 3:35 PM IST

अररियाः खेती के दौरान पड़ने वाली महंगाई की मार के चलते किसान पारंपरिक खेती से तौबा करते जा रहे हैं. खेती में आने वाले खर्च से किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो परंपारिक खेती को भूल कर फसली विभिन्नता को अपना कर फायदा उठा रहे हैं.

अररिया प्रखंड के संदलपुर गांव इन दिनों शिमला मिर्च की खेती काफी चर्चा में है. यहां के एक अनपढ़ किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ शिमला मिर्च की खेती सफलता पूर्वक कर रहा है. किसान तफेजुल अपनी खेती में कई तरह के प्रयोग करता रहता है. वो भी बिना किसी वैज्ञानिक के सलाह के लिहाजा आज उसकी शिमला मिर्च की खेती दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है.

खेती की जानकारी देता किसान तफेजुल
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तफेजुल ने शिमला मिर्च की खेती के प्रयोग लिए एक नेट हाउस भी बनाया है. उसका मानना है कि इस नेट हाउस में पौधे सुरक्षित हैं इसलिए पैदावार भी अच्छी होती है. कृषि विज्ञान केंद्र अररिया के वैज्ञानिक प्रमुख डॉ अरविंद सिन्हा भी तफेजुल की खेती के लिए उदहारण मानते हैं. इस तरह की खेती किसानों को प्रेरित करती है.

तफेजुल के अनुसार एक एकड़ में शिमला मिर्च की उपज 40 से 45 टन होती है. शिमला मिर्च का प्रति पौधा पूरे काल में 13 किलोग्राम उपज देता है. शिमलामिर्च की खेती सितंबर माह से शुरू होकर अप्रैल तक की जा सकती है. किसान का मानना है कि बाजार में इसकी डिमांड भी अधिक है और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है.

अररियाः खेती के दौरान पड़ने वाली महंगाई की मार के चलते किसान पारंपरिक खेती से तौबा करते जा रहे हैं. खेती में आने वाले खर्च से किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो परंपारिक खेती को भूल कर फसली विभिन्नता को अपना कर फायदा उठा रहे हैं.

अररिया प्रखंड के संदलपुर गांव इन दिनों शिमला मिर्च की खेती काफी चर्चा में है. यहां के एक अनपढ़ किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ शिमला मिर्च की खेती सफलता पूर्वक कर रहा है. किसान तफेजुल अपनी खेती में कई तरह के प्रयोग करता रहता है. वो भी बिना किसी वैज्ञानिक के सलाह के लिहाजा आज उसकी शिमला मिर्च की खेती दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है.

खेती की जानकारी देता किसान तफेजुल
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तफेजुल ने शिमला मिर्च की खेती के प्रयोग लिए एक नेट हाउस भी बनाया है. उसका मानना है कि इस नेट हाउस में पौधे सुरक्षित हैं इसलिए पैदावार भी अच्छी होती है. कृषि विज्ञान केंद्र अररिया के वैज्ञानिक प्रमुख डॉ अरविंद सिन्हा भी तफेजुल की खेती के लिए उदहारण मानते हैं. इस तरह की खेती किसानों को प्रेरित करती है.

तफेजुल के अनुसार एक एकड़ में शिमला मिर्च की उपज 40 से 45 टन होती है. शिमला मिर्च का प्रति पौधा पूरे काल में 13 किलोग्राम उपज देता है. शिमलामिर्च की खेती सितंबर माह से शुरू होकर अप्रैल तक की जा सकती है. किसान का मानना है कि बाजार में इसकी डिमांड भी अधिक है और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है.

Intro:डे प्लान स्टोरी
अररिया का एक किसान पारंपारीक खेती छोड़ बिना ग्रीन हाउस के सफलता पूर्वक कर रहा है शिमला मिर्च की खेती और होरहा है मालामाल । कृषि वैज्ञानिक भी इस किसान से दूसरों को प्रेरणा लेने की बात कर रहे हैं ।


Body:अररिया प्रखंड के संदलपुर गांव इनदिनों शिमला मिर्च की खेती के लिए काफी चर्चा में है । इस गांव के एक अनपढ़ किसान तफेजुल ने ग्रीन हाउस और वैज्ञानिक के सलाह के बिना खुले खेत मे सफलता पूर्वक शिमला मिर्च की खेती कर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बना हुआ है । तफेजुल ने शिमला मिर्च की खेती के प्रयोग लिए एक नेट हाउस भी बनाया है । उसका मानना है कि इस नेट हाउस में पौधे सुरक्षित और रोगरहित हैं इसलिए पैदावार भी अच्छा है ।
बाइट - तफेजुल, किसान ।
कृषि विज्ञान केंद्र अररिया के वैज्ञानिक प्रमुख डॉ अरविंद सिन्हा भी तफेजुल को सब्ज़ी और शिमला मिर्च की खेती के लिए उदहारण सरूप मानते हैं । किसानों को इस तरह की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं ।
बाइट - अरविंद सिन्हा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र अररिया ।


Conclusion:तफेजुल के अनुसार एक एकड़ में शिमला मिर्च की उपज 40 से 45 टन होता है । शिमला मिर्च का प्रति पौधा पूरे काल में 13 किलोग्राम उपज देता है । शिमलामिर्च की खेती सितंबर माह से शुरू होकर अप्रैल तक कि जासकती है । बाजार में इसकी डिमांड भी अधिक है कीमत भी अच्छा मिलता है । संदलपुर के किसान अलग अलग किस्म के सब्ज़ी की खेती कर पूरे जिले में अपनी अलग पहचान बनाई है ।
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