अररियाः खेती के दौरान पड़ने वाली महंगाई की मार के चलते किसान पारंपरिक खेती से तौबा करते जा रहे हैं. खेती में आने वाले खर्च से किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो परंपारिक खेती को भूल कर फसली विभिन्नता को अपना कर फायदा उठा रहे हैं.
अररिया प्रखंड के संदलपुर गांव इन दिनों शिमला मिर्च की खेती काफी चर्चा में है. यहां के एक अनपढ़ किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ शिमला मिर्च की खेती सफलता पूर्वक कर रहा है. किसान तफेजुल अपनी खेती में कई तरह के प्रयोग करता रहता है. वो भी बिना किसी वैज्ञानिक के सलाह के लिहाजा आज उसकी शिमला मिर्च की खेती दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है.
तफेजुल ने शिमला मिर्च की खेती के प्रयोग लिए एक नेट हाउस भी बनाया है. उसका मानना है कि इस नेट हाउस में पौधे सुरक्षित हैं इसलिए पैदावार भी अच्छी होती है. कृषि विज्ञान केंद्र अररिया के वैज्ञानिक प्रमुख डॉ अरविंद सिन्हा भी तफेजुल की खेती के लिए उदहारण मानते हैं. इस तरह की खेती किसानों को प्रेरित करती है.
तफेजुल के अनुसार एक एकड़ में शिमला मिर्च की उपज 40 से 45 टन होती है. शिमला मिर्च का प्रति पौधा पूरे काल में 13 किलोग्राम उपज देता है. शिमलामिर्च की खेती सितंबर माह से शुरू होकर अप्रैल तक की जा सकती है. किसान का मानना है कि बाजार में इसकी डिमांड भी अधिक है और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है.