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पटना: शिक्षा का अधिकार अधिनियम 'अभी तक का सफर और बिहार' विषय पर कार्यशाला का आयोजन

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 'अभी तक का सफर और बिहार' विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई. कई गणमान्य लोग शामिल हुए.

कार्यशाला में मौजूद लोग
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Published : Mar 30, 2019, 2:54 PM IST

पटना: राजधानी में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 'अभी तक का सफर और बिहार'विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी, शिक्षक संघ के अध्यक्ष विधान पार्षद केदारनाथ पांडे और शिक्षा जगत से जुड़े नागरिक शामिल रहे.

कानूनन जिम्मेदारी तय हो
इस दौरान पटना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डेजी नारायण ने अपनी राय जाहिर की. उन्होंने कहा कि शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय को कम से कम 6% तक बढ़ाना जरूरी है. इसके लिए कानूनन स्पष्ट रूप से सभी की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. राज्य सरकारों को अपने कुल बजट का 20 से 25% शिक्षा पर खर्च करना चाहिए.

शिक्षा का अधिकार पर कार्यशाला

राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी स्वीकारे
हालांकि प्रोफेसर नारायण ने कहा कि इन सबों के लिए जरुरी है कि केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर अलग शैक्षिक कोष का निर्माण हो. साथ ही प्रारंभिक शिक्षा को पूरी तरह से व्यवसायिक ऋण से मुक्त रखा जाना चाहिए और उच्च शिक्षा को विदेशी कंपनियों का उपनिवेश नहीं बनने देना चाहिए. राज्य सरकारों को इस मुहिम में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए.

पटना: राजधानी में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 'अभी तक का सफर और बिहार'विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी, शिक्षक संघ के अध्यक्ष विधान पार्षद केदारनाथ पांडे और शिक्षा जगत से जुड़े नागरिक शामिल रहे.

कानूनन जिम्मेदारी तय हो
इस दौरान पटना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डेजी नारायण ने अपनी राय जाहिर की. उन्होंने कहा कि शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय को कम से कम 6% तक बढ़ाना जरूरी है. इसके लिए कानूनन स्पष्ट रूप से सभी की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. राज्य सरकारों को अपने कुल बजट का 20 से 25% शिक्षा पर खर्च करना चाहिए.

शिक्षा का अधिकार पर कार्यशाला

राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी स्वीकारे
हालांकि प्रोफेसर नारायण ने कहा कि इन सबों के लिए जरुरी है कि केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर अलग शैक्षिक कोष का निर्माण हो. साथ ही प्रारंभिक शिक्षा को पूरी तरह से व्यवसायिक ऋण से मुक्त रखा जाना चाहिए और उच्च शिक्षा को विदेशी कंपनियों का उपनिवेश नहीं बनने देना चाहिए. राज्य सरकारों को इस मुहिम में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए.

Intro:शिक्षा का अधिकार अधिनियम "अभी तक का सफर और बिहार" पर कार्यशाला । शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय को कम से कम 6% तक बढ़ाना जरूरी है और कानूनन स्पष्ट रूप से सभी की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए राज्य सरकारों को अपनी कुल बजट का 20 से 25% शिक्षा पर खर्च करनी चाहिए कुल ब्यय का कम से कम आधा प्रारंभिक शिक्षा पर खर्च होना चाहिए इन सबों के लिए वांछनीय है कि केंद्र राज्य और जिला स्तर पर अलग शैक्षिक कोष का निर्माण हो एवं प्रारंभिक शिक्षा को पूरे तौर पर व्यावसायिक ऋण से मुक्त रखा जाए और उच्च शिक्षा को विदेशी कंपनियों का उपनिवेश नहीं बनाया जाए राज्य अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करें मौका था आज शिक्षा का अधिकार अधिनियम अभी तक का सफर और बिहार विषय पर कार्यशाला का आयोजन का बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ कार्यालय के सभागार में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां वोलियंट्री फॉर्म फॉर एजुकेशन और आरटीआई फोरम के संयुक्त तत्वधान में केरितास इंडिया के सहयोग से कार्यक्रम किया गया


Body:कार्यक्रम कहां के भारत के वर्तमान शिक्षा प्रणाली कई समस्याओं से गिर गई है भले ही दस्तावेज भी इसका समाधान अधूरा और भ्रामक है शिक्षा में गुणवत्ता का अभाव है व्यवसायिक शिक्षा की अपनी कमियां हैं पढ़ाने की नई प्रणालियां की खोज नहीं की जा रही है और परीक्षा प्रणाली में भी काफी दोषपूर्ण हैं अगर उनके निराकरण की जगह वस्तुतः प्रस्तावित नई नीति का समाधान समस्याओं को और बढ़ाएगा शिक्षा के संदर्भ में पलिया समझना जरूरी है कि व्यक्ति समाज और राज्य के लिए उसको क्या मायने हैं आगामी नीति के बारे में या साफ लगता है कि व्यक्ति को मूल्य तह का अर्थ मानव या आर्थिक संसाधन के रूप में देखा जा रहा है यही वजह है कि इस दस्तावेज में संवैधानिक मूल्य शिक्षा के बड़े बड़े उद्देश्य को कोई हवाला तक नहीं है इस संभावना की कोई तलाश नहीं की बिहार में पठन-पाठन प्रारंभिक शिक्षा से लेकर माध्यमिक शिक्षक तक सभी की स्थिति दयनीय पूर्ण है स्कूलों में पठन-पाठन काफी गंभीर विषय बन गई है बालक बालिका की परिभाषा जिसकी उम्र 18 वर्ष तक की है के अनुसार शिक्षा अधिकार अधिनियम को बढ़ाकर इसमें 2 साल के प्राप्त विद्यालय एवं 4 साल की माध्यमिक शिक्षा को शामिल करना जरूरी है बच्चों को बौद्धिक विकास सबसे तेजी से आरंभिक वर्षों में होता है वहां की कमी की भरपाई बाद में संभव नहीं और आंगनवाड़ी के शिक्षा बौद्धिक विकास के लिए आप पर्याप्त है दूसरी ओर काम की दुनिया में प्रवेश हेतु कौशल विकास की सही उम्र 14 वर्ष के बाद है संसद द्वारा पारित बाल श्रम अधिनियम 2016 शिक्षा के मौलिक अधिकार को चिंता है और बच्चों को पुनः बाल मजदूर में तब्दील करता है उसे निरस्त करना कई विचार को ने विद्यालय की शिक्षा शिक्षकों के सवाल उच्च शिक्षा चिकित्सा शिक्षा व्यवसायिक शिक्षा आदि पर जोर दिया और कहा कि चिकित्सा अर्थ चिकित्सा शिक्षा एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में व्यापक विस्तार के साथ व्यवसायिक शिक्षा के संदर्भ में गुणवता बढ़ाना जरूरी है शिक्षा अधिकार अधिनियम से आगे की और रणनीति बनाना है शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 से शुरू कर सकते हैं और यह सिर्फ एक अधिनियम नहीं बल्कि का अधिकार देने वाला कानून है जिसका दावा किया जा सकता है और आगे ले जाने का प्रयास भी


Conclusion:बाहर हाल आज के कार्यशाला में शिक्षा का विजन व्यापक उद्देश्य की मांग की गई उन्होंने कहा कि हम सुब्रह्मण्यम समिति की सिफारिशों से असहमति दर्ज करते हैं और हमारा सुझाव है कि केंद्र और राज्य सर स्तर पर किसी शिक्षाविद की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया जाए जिसमें मान्यता प्राप्त शिक्षक संगठनों छात्र संगठन स्थानीय निकाय एवं शिक्षा के प्रति रुचि रखने वाले जनप्रतिनिधियों जिस के संयोजक सचिव केंद्र और राज्य के प्रधान सचिव रहे उसी प्रकार जिला स्तर पर भी एक शिक्षा अधिकार का गठन किया जाना चाहिए जिला सचिव शिक्षा का प्रधान पदाधिकारी हो आज के कार्यक्रम में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी गण शिक्षक संघ के अध्यक्ष विधान पार्षद केदारनाथ पांडे एमवी फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक और व्यक्ति रेडी पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रोफेसर डीजे नारायण के अलावा कई शिक्षा में शिक्षक और प्रबुद्ध नागरिक शामिल रहे बाईट--प्रोफेसर डेजी नारायण, पटना विश्वविद्यालय
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