पटना: राजधानी के चितकोहरा में मौजूद पंजाबी कॉलोनी के निवासी खुद को बिहारी पंजाबी कहने में गर्व महसूस करते हैं. आजादी के वक्त शरणार्थी के तौर पर पटना आए इस बिरादरी के लोगों ने यहां ही अपनी दुनिया बसा ली. ये अपने परिजनों का शादी विवाह भी बिहार के विभिन्न जिलों में बसे पंजाबी बिरादरी के लोगों के साथ ही करते हैं
शरणार्थी के रूप में पहुंचे थे पटना
दरअसल आजादी के समय देश विभाजन के साथ ही यह लोग शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे. सालों फुलवारी कैंप जेल परिसर में सपरिवार रह कर बिताने के बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश के बाद बिहार सरकार ने चितकोहरा में इन लोगों के रहने की व्यवस्था की गई. इनके लिए अलग से पंजाबी कॉलोनी के नाम से एक कॉलोनी बसाई गई. उस समय में बिहार सरकार ने 139 परिवारों को यहां पर बसाया था. कुल 4 एकड़ 57 डिसमिल जमीन इन्हें मुहैया करवायी गयी.
बिहार के हैं स्थाई निवासी
स्थानीय निवासी सरदार महेंद्र सिंह का कहना है कि राष्ट्रपति ने स्पेशल आदेश जारी कर हमें यहां पर जमीन दी. पंजाब से अब हमारा कोई रिश्ता नाता नहीं रहा. हालांकि उन्होंने माना कि 1984 के दंगों में कुछ परिवार यहां से पंजाब चले गए लेकिन अभी भी सैकड़ों की संख्या में बिहार के स्थाई निवासी के तौर पर यहां रहते हैं. निवासी रंजीत सिंह कहते हैं कि यहां क्लेमेंट और नॉन क्लेमेंट दो तरह के शरणार्थियों के परिवार बसे हैं. तत्कालीन सरकार ने दोनों को अलग-अलग तरह से जमीन मुहैया करवाई. गुरुद्वारे के लिए स्थान भी राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ही आदेश से उपलब्ध कराया गया था.
गर्व से खुद को मानते हैं बिहारी पंजाबी
यूं तो राजधानी के पटना सिटी में भी पंजाबी बिरादरी के लोग रहते हैं. लेकिन कहीं ना कहीं पंजाब से उनका नाता बरकरार है. वहीं दूसरी ओर पटना के चितकोहरा के पंजाबी कॉलोनी के पंजाबी लोग देश के विभाजन के समय ही शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे और अब खुद को गर्व से बिहारी पंजाबी मानते हैं.