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ये है 'बिहारी पंजाबी' की दिलचस्प दास्तां, राजधानी में है पंजाबी कॉलोनी पार्क

आजादी के समय देश विभाजन के साथ ही यह लोग शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे. सालों फुलवारी कैंप जेल परिसर में सपरिवार रह कर बिताने के बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश के बाद बिहार सरकार ने चितकोहरा में इन लोगों के रहने की व्यवस्था की.

ये है 'बिहारी पंजाबी' की दिलचस्प दास्तां
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Published : Nov 13, 2019, 12:02 AM IST

Updated : Nov 13, 2019, 7:23 PM IST

पटना: राजधानी के चितकोहरा में मौजूद पंजाबी कॉलोनी के निवासी खुद को बिहारी पंजाबी कहने में गर्व महसूस करते हैं. आजादी के वक्त शरणार्थी के तौर पर पटना आए इस बिरादरी के लोगों ने यहां ही अपनी दुनिया बसा ली. ये अपने परिजनों का शादी विवाह भी बिहार के विभिन्न जिलों में बसे पंजाबी बिरादरी के लोगों के साथ ही करते हैं

शरणार्थी के रूप में पहुंचे थे पटना
दरअसल आजादी के समय देश विभाजन के साथ ही यह लोग शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे. सालों फुलवारी कैंप जेल परिसर में सपरिवार रह कर बिताने के बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश के बाद बिहार सरकार ने चितकोहरा में इन लोगों के रहने की व्यवस्था की गई. इनके लिए अलग से पंजाबी कॉलोनी के नाम से एक कॉलोनी बसाई गई. उस समय में बिहार सरकार ने 139 परिवारों को यहां पर बसाया था. कुल 4 एकड़ 57 डिसमिल जमीन इन्हें मुहैया करवायी गयी.

ये है 'बिहारी पंजाबी' की दिलचस्प दास्तां

बिहार के हैं स्थाई निवासी
स्थानीय निवासी सरदार महेंद्र सिंह का कहना है कि राष्ट्रपति ने स्पेशल आदेश जारी कर हमें यहां पर जमीन दी. पंजाब से अब हमारा कोई रिश्ता नाता नहीं रहा. हालांकि उन्होंने माना कि 1984 के दंगों में कुछ परिवार यहां से पंजाब चले गए लेकिन अभी भी सैकड़ों की संख्या में बिहार के स्थाई निवासी के तौर पर यहां रहते हैं. निवासी रंजीत सिंह कहते हैं कि यहां क्लेमेंट और नॉन क्लेमेंट दो तरह के शरणार्थियों के परिवार बसे हैं. तत्कालीन सरकार ने दोनों को अलग-अलग तरह से जमीन मुहैया करवाई. गुरुद्वारे के लिए स्थान भी राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ही आदेश से उपलब्ध कराया गया था.

bihari punjabi community
पंजाबी कॉलोनी पार्क स्थित गुरुद्वारा

गर्व से खुद को मानते हैं बिहारी पंजाबी
यूं तो राजधानी के पटना सिटी में भी पंजाबी बिरादरी के लोग रहते हैं. लेकिन कहीं ना कहीं पंजाब से उनका नाता बरकरार है. वहीं दूसरी ओर पटना के चितकोहरा के पंजाबी कॉलोनी के पंजाबी लोग देश के विभाजन के समय ही शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे और अब खुद को गर्व से बिहारी पंजाबी मानते हैं.

पटना: राजधानी के चितकोहरा में मौजूद पंजाबी कॉलोनी के निवासी खुद को बिहारी पंजाबी कहने में गर्व महसूस करते हैं. आजादी के वक्त शरणार्थी के तौर पर पटना आए इस बिरादरी के लोगों ने यहां ही अपनी दुनिया बसा ली. ये अपने परिजनों का शादी विवाह भी बिहार के विभिन्न जिलों में बसे पंजाबी बिरादरी के लोगों के साथ ही करते हैं

शरणार्थी के रूप में पहुंचे थे पटना
दरअसल आजादी के समय देश विभाजन के साथ ही यह लोग शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे. सालों फुलवारी कैंप जेल परिसर में सपरिवार रह कर बिताने के बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश के बाद बिहार सरकार ने चितकोहरा में इन लोगों के रहने की व्यवस्था की गई. इनके लिए अलग से पंजाबी कॉलोनी के नाम से एक कॉलोनी बसाई गई. उस समय में बिहार सरकार ने 139 परिवारों को यहां पर बसाया था. कुल 4 एकड़ 57 डिसमिल जमीन इन्हें मुहैया करवायी गयी.

ये है 'बिहारी पंजाबी' की दिलचस्प दास्तां

बिहार के हैं स्थाई निवासी
स्थानीय निवासी सरदार महेंद्र सिंह का कहना है कि राष्ट्रपति ने स्पेशल आदेश जारी कर हमें यहां पर जमीन दी. पंजाब से अब हमारा कोई रिश्ता नाता नहीं रहा. हालांकि उन्होंने माना कि 1984 के दंगों में कुछ परिवार यहां से पंजाब चले गए लेकिन अभी भी सैकड़ों की संख्या में बिहार के स्थाई निवासी के तौर पर यहां रहते हैं. निवासी रंजीत सिंह कहते हैं कि यहां क्लेमेंट और नॉन क्लेमेंट दो तरह के शरणार्थियों के परिवार बसे हैं. तत्कालीन सरकार ने दोनों को अलग-अलग तरह से जमीन मुहैया करवाई. गुरुद्वारे के लिए स्थान भी राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ही आदेश से उपलब्ध कराया गया था.

bihari punjabi community
पंजाबी कॉलोनी पार्क स्थित गुरुद्वारा

गर्व से खुद को मानते हैं बिहारी पंजाबी
यूं तो राजधानी के पटना सिटी में भी पंजाबी बिरादरी के लोग रहते हैं. लेकिन कहीं ना कहीं पंजाब से उनका नाता बरकरार है. वहीं दूसरी ओर पटना के चितकोहरा के पंजाबी कॉलोनी के पंजाबी लोग देश के विभाजन के समय ही शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे और अब खुद को गर्व से बिहारी पंजाबी मानते हैं.

Intro:एंकर पटना के चितकोहरा में अवस्थित पंजाबी कॉलोनी के लोग अपने आपको बिहारी पंजाबी कहने में गर्व महसूस करते हैं क्योंकि अभी भी इनका पंजाब से कोई रिश्ता नहीं है यह लोग अपने शादी विवाह भी बिहार के विभिन्न जिलों में बसे पंजाबी बिरादरी के लोगों से करते हैं आजादी के समय देश विभाजन के साथ ही यह लोग शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे और सालों फुलबारी कैंप जेल में सपरिवार रहा करते थे तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के आदेश के बाद बिहार सरकार ने चितकोहरा में इन लोगों के रहने की व्यवस्था की और अलग से कॉलोनी बसाया गया उस समय में बिहार सरकार ने 139 परिवारों को यहां पर बसाया था कुल 4 एकड़ 57 डिसमिल जमीन इन लोगों को मुहैया करवाया गया था शरणार्थी के रूप में आए इन पंजाबी बिरादरी के लोगों के लिए अलग से पंजाबी कॉलोनी बनवाया गया था आज भी वह पंजाबी कॉलोनी मौजूद है और वहां के लोग अपने आपको बिहारी पंजाबी कहने में गर्व महसूस करते हैं


Body:पंजाबी कॉलोनी में रहने वाले सरदार महेंद्र सिंह का कहना है कि राष्ट्रपति ने स्पेशल आदेश जारी करके हम लोगों को यहां पर जमीन दी थी निश्चित तौर पर हम लोगों को पंजाब से कोई रिश्ता नाता नहीं रहा बिहार में ही जो पंजाबी बिरादरी के लोग हैं उन्हीं के यहां हमारा शादी विवाह रिश्ता नाता है उन्होंने इतना जरूर कहा कि 1984 के दंगे में कुछ परिवार यहां से पंजाब चले गए लेकिन अभी भी सैकड़ों की संख्या में लोगों के मकान यहां पर हैं और हम लोग बिहार के स्थाई निवासी हैं आपको बता दें कि पंजाबी कॉलोनी में बजाप्ता पंजाबी कॉलोनी पार्क है उसके बाद उसी समय में गुरुद्वारा की भी स्थापना किया गया जहां पर पंजाबी बिरादरी के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा भी होते हैं निश्चित तौर पर पटना के बीच बीच बसे चितकोहरा के इस पंजाबी कॉलोनी में जाने के बाद ऐसा एहसास होता है कि हम पंजाब की किसी जगह पर आ गए हैं क्योंकि यहां बनाए गए कॉलोनी के मार्केट से ही यह आभास होता है कि मिनी पंजाब यहां बसता है


Conclusion:इस कॉलोनी के निवासी सरदार रंजीत सिंह बताते हैं कि यहां भी दो तरह के पंजाबी बिरादरी के लोग बसे हैं और सरकार ने दोनों को अलग अलग तरह का जमीन उपलब्ध कराया है साथ ही गुरुद्वारे का स्थान भी वर्तमान राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के ही आदेश से उपलब्ध कराया गया था निश्चित तौर पर मूल रूप से अब हम लोग बिहारी हैं और धीरे-धीरे यहां पंजाबी बिरादरी के लोगों की जनसंख्या भी बढ़ती चली गई है उन्होंने भी यह कहा कि हम लोगों के सारे रिश्ते नाते बिहार में ही है वैसे राजधानी पटना के पटना सिटी में पंजाबी बिरादरी के संख्या ज्यादा है जो लोग अपने व्यवसाय करते हैं लेकिन वह पंजाबी बिरादरी के लोग कहीं ना कहीं पंजाब से आए हुए हैं और उनका रिश्ता नाता भी पंजाब से है लेकिन पटना के चितकोहरा अवस्थित पंजाबी कॉलोनी के पंजाबी देश के विभाजन के समय ही शरणार्थी के रूप में पटना पहुंचे थे निश्चित तौर पर ये लोग अपनेआपको बिहारी पंजाबी मानते है लेकिन सिख धर्म के सभी नियमो को वो वैसे ही मानते है जैसे पंजाब के लोग मानते है बजाप्ता इनके कॉलोनी में सुरु से ही गुरुद्वारा है जहां संगत पंगत और कीर्तन की व्यवस्था भी रोज होती है
Last Updated : Nov 13, 2019, 7:23 PM IST
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