नई दिल्ली: 13 साल तक लिव इन रिलेशन में रहने के बाद एक महिला ने मुस्लिम युवक पर लव जिहाद और दुष्कर्म का आरोप लगा दिया. उसने आरोप लगाया कि युवक ने बॉबी बनकर उसके साथ मंदिर में विवाह किया. 12 साल बाद महिला ने इस रिलेशन में एक बच्चे को भी जन्म दिया. लेकिन अदालत के समक्ष जब यह मामला पहुंचा तो युवती के आरोप से संबंधित साक्ष्य सामने नहीं आये. अदालत ने दुष्कर्म के आरोप से युवक को बरी कर दिया है.
जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 में महिला ने उत्तम नगर थाने में दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें बताया गया कि पहले विवाह से उसके दो बच्चे हैं. उसके पति का देहांत हो चुका है.
2008 में पता चला जिससे शादी की वह मुस्लिम है
वह आरोपी से 2005 में एक मोबाइल की दुकान पर मिली थी. वहां उनके बीच दोस्ती हो गई. कुछ समय बाद युवक ने बॉबी बनकर उससे मंदिर में शादी कर ली. 2008 में उसे पता चला कि यह शख्स मुस्लिम है. साल 2017 में उसने एक बच्चे को जन्म दिया. महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उसका मकान बेचकर 7 लाख रुपये युवक ने हड़प लिए हैं. महिला के आरोप पर दुष्कर्म, शादी छुपाने एवं ठगी का मामला दर्ज कर आरोपी गिरफ्तार किया गया था. लेकिन कुछ समय बाद उसे अदालत से जमानत मिल गई थी. द्वारका अदालत में इस मामले की सुनवाई चली.
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अदालत के समक्ष आरोपी के अधिवक्ता रवि दराल ने शिकायतकर्ता द्वारा दिये गए बयान को लेकर उससे सवाल पूछे. रवि ने बताया कि इस दौरान महिला यह नहीं बता पाई कि किस तारीख को मंदिर में उसका विवाह हुआ. इस शादी की कोई तस्वीर या सर्टिफिकेट भी वह नहीं दिखा सकी. दोनों का धर्म अलग होने के चलते केवल स्पेशल मैरिज एक्ट से ही उनकी शादी हो सकती थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं था.
हकीकत पता चलने के 10 साल तक नहीं की शिकायत
उसे दो साल बाद पता चला कि आरोपी मुस्लिम है और पहले से विवाहित है. लेकिन उसने इसे लेकर कोई शिकायत अगले दस साल तक दर्ज नहीं करवाई. महिला ने कहीं भी यह आरोप नहीं लगाया था कि उसके साथ आरोपी ने जबरन शारीरिक संबंध बनाएं. मेडिकल में इस बात की पुष्टि हुई कि महिला का छोटा बच्चा आरोपी का ही है.
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अधिवक्ता रवि दराल ने अदालत के समक्ष आरोपी की पत्नी को पेश किया. उसने अदालत को बताया कि शिकायत करने वाली महिला उसके पति के साथ पत्नी की तरह रहती थी. उसने अपने परिवार के साथ उस महिला एवं उसके दो बच्चों (शिकायतकर्ता के पहले पति के बच्चे) की तस्वीर भी दिखाई. जांच अधिकारी ने भी अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता आरोपी के साथ पत्नी की तरह रहती थी.
अदालत ने भी महिला से पूछा कि 13 साल तक साथ रहने के दौरान उसने कभी कोई शिकायत पुलिस में की. लेकिन वह इसका जवाब नहीं दे सकी. महिला द्वारा प्रॉपर्टी के रुपये हड़पने के आरोप से सबंधित कोई दस्तावेज महिला पेश नहीं कर सकी.
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अधिवक्ता रवि दराल ने बताया कि इस मामले में अदालत ने पाया कि 13 साल में एक बार भी शिकायतकर्ता ने आरोपी के खिलाफ शिकायत नहीं दी है. उसने यह भी नहीं बताया कि इतने लंबे समय तक वह चुप क्यों रही. इसके अलावा वह बार-बार अपने बयान को भी बदल रही थी. वह न तो शादी का कोई दस्तावेज दिखा सकी और ना ही लाखों रुपये की ठगी का कोई साक्ष्य सामने आया. इसलिए अदालत ने सुनवाई के बाद आरोपी को बरी कर दिया है.