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SC audit EVMs: सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के सॉफ्टवेयर का स्वतंत्र ऑडिट कराने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज की

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 22, 2023, 2:12 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग द्वारा इस्तेमाल की जा रहीं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के सॉफ्टवेयर का ऑडिट कराने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई से इनकार कर दिया.

Disclosure of source code can lead to hacking SC declines plea for audit of EVMs
SC ने ईवीएम के सॉफ्टवेयर का स्वतंत्र ऑडिट कराने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज की

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में इस्तेमाल किए गए सोर्स कोड के ऑडिट की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता सुनील अहिया ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि यह याचिका ईवीएम के सोर्स कोड के ऑडिट से संबंधित एकल मुद्दे के लिए दायर की गई है.

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि अदालत के पास संदेह करने लायक क्या सामग्री है? अहिया ने कहा कि उन्होंने किसी विशेष मानक का पालन नहीं किया है और उन्होंने किसी भी मानक का खुलासा नहीं किया है, और कोई भी ऑडिट मान्यता प्राप्त मानक के अनुसार होना चाहिए और सोर्स कोड ईवीएम का मस्तिष्क है. अहिया ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को तीन बार आवेदन दिया है लेकिन उन्होंने इस पर चुप रहना पसंद किया और दोहराया कि सोर्स ईवीएम का मस्तिष्क है और मामला लोकतंत्र के अस्तित्व के बारे में है.

उन्होंने सोर्स कोड का अर्थ समझाने की भी कोशिश की अदालत से की. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि उसे पता है कि सोर्स कोड क्या है और सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला जा सकता है, क्योंकि इससे ईवीएम हैकिंग के प्रति संवेदनशील हो जाएगा.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब हम शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर कोई आवेदन डालते हैं तो हमें सुरक्षा ऑडिट से गुजरना पड़ता है. अहिया ने कहा कि वे किस मानक का पालन कर रहे हैं यह सार्वजनिक डोमेन में नहीं है, और सवाल किया कि हैश फंक्शन हस्ताक्षर कहां है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आश्वस्त रहें कि इन मानक दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है. जिस क्षण इसे सार्वजनिक डोमेन में डाला जाता है, तब खतरा होता है कि इसका दुरुपयोग हो सकता है. जब हम सुरक्षा ऑडिट करते हैं. कहते हैं उदाहरण के लिए ई-फाइलिंग सॉफ्टवेयर या हमने अब सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश के लिए इलेक्ट्रॉनिक पास की अनुमति दे दी है.'

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'अगर मैं सार्वजनिक डोमेन में सोर्स कोड डालना शुरू कर दूं, तो आप जानते हैं कि इसे कौन हैक कर पाएगा.' अहिया ने पेश किया कि मेरी याचिका इसे एक ओपन सोर्स बनाने के बारे में नहीं है और इस बात पर जोर दिया कि ईवीएम प्रणाली के दिमाग का ऑडिट नहीं किया जा रहा है और लोग इस पर मतदान कर रहे हैं.

जनहित याचिका में अनिवार्य रूप से एक विशेष मानक आईईईई (IEEE) 1028 को लागू करते हुए ईवीएम के सोर्स कोड के स्वतंत्र ऑडिट की मांग की गई थी, और सोर्स का स्वतंत्र रूप से ऑडिट किया जाना चाहिए और ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि याचिका 2019 के आम चुनाव से पहले दायर की गई थी. फिर अप्रैल 2019 में शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह आम चुनाव की पृष्ठभूमि के खिलाफ जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार नहीं कर सकती है. याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी गई थी कि नये सिरे से इसे दायर करें. अहिया ने अदालत के समक्ष एक और जनहित याचिका दायर की और 2020 में उन्हें चुनाव आयोग के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी गई.

ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के जरिए डाले गए मतों का वीवीपैट से सत्यापन करने संबंधी याचिका पर सुनवाई नवंबर तक टाली

याचिकाकर्ता ने पीठ को सूचित किया कि चुनाव आयोग ने उनके निवेदन यानी याचिका का जवाब नहीं दिया है, यही वजह है कि उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया. शीर्ष अदालत ने कहा, 'ऐसे नीतिगत मुद्दे पर हम याचिकाकर्ता द्वारा मांगे गए निर्देश जारी करने के इच्छुक नहीं हैं. इस अदालत के समक्ष यह संकेत देने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि चुनाव आयोग अपने आदेश को पूरा करने के लिए उचित कदम नहीं उठा रहा है. हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं.'

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में इस्तेमाल किए गए सोर्स कोड के ऑडिट की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता सुनील अहिया ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि यह याचिका ईवीएम के सोर्स कोड के ऑडिट से संबंधित एकल मुद्दे के लिए दायर की गई है.

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि अदालत के पास संदेह करने लायक क्या सामग्री है? अहिया ने कहा कि उन्होंने किसी विशेष मानक का पालन नहीं किया है और उन्होंने किसी भी मानक का खुलासा नहीं किया है, और कोई भी ऑडिट मान्यता प्राप्त मानक के अनुसार होना चाहिए और सोर्स कोड ईवीएम का मस्तिष्क है. अहिया ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को तीन बार आवेदन दिया है लेकिन उन्होंने इस पर चुप रहना पसंद किया और दोहराया कि सोर्स ईवीएम का मस्तिष्क है और मामला लोकतंत्र के अस्तित्व के बारे में है.

उन्होंने सोर्स कोड का अर्थ समझाने की भी कोशिश की अदालत से की. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि उसे पता है कि सोर्स कोड क्या है और सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला जा सकता है, क्योंकि इससे ईवीएम हैकिंग के प्रति संवेदनशील हो जाएगा.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब हम शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर कोई आवेदन डालते हैं तो हमें सुरक्षा ऑडिट से गुजरना पड़ता है. अहिया ने कहा कि वे किस मानक का पालन कर रहे हैं यह सार्वजनिक डोमेन में नहीं है, और सवाल किया कि हैश फंक्शन हस्ताक्षर कहां है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आश्वस्त रहें कि इन मानक दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है. जिस क्षण इसे सार्वजनिक डोमेन में डाला जाता है, तब खतरा होता है कि इसका दुरुपयोग हो सकता है. जब हम सुरक्षा ऑडिट करते हैं. कहते हैं उदाहरण के लिए ई-फाइलिंग सॉफ्टवेयर या हमने अब सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश के लिए इलेक्ट्रॉनिक पास की अनुमति दे दी है.'

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'अगर मैं सार्वजनिक डोमेन में सोर्स कोड डालना शुरू कर दूं, तो आप जानते हैं कि इसे कौन हैक कर पाएगा.' अहिया ने पेश किया कि मेरी याचिका इसे एक ओपन सोर्स बनाने के बारे में नहीं है और इस बात पर जोर दिया कि ईवीएम प्रणाली के दिमाग का ऑडिट नहीं किया जा रहा है और लोग इस पर मतदान कर रहे हैं.

जनहित याचिका में अनिवार्य रूप से एक विशेष मानक आईईईई (IEEE) 1028 को लागू करते हुए ईवीएम के सोर्स कोड के स्वतंत्र ऑडिट की मांग की गई थी, और सोर्स का स्वतंत्र रूप से ऑडिट किया जाना चाहिए और ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि याचिका 2019 के आम चुनाव से पहले दायर की गई थी. फिर अप्रैल 2019 में शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह आम चुनाव की पृष्ठभूमि के खिलाफ जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार नहीं कर सकती है. याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी गई थी कि नये सिरे से इसे दायर करें. अहिया ने अदालत के समक्ष एक और जनहित याचिका दायर की और 2020 में उन्हें चुनाव आयोग के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी गई.

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याचिकाकर्ता ने पीठ को सूचित किया कि चुनाव आयोग ने उनके निवेदन यानी याचिका का जवाब नहीं दिया है, यही वजह है कि उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया. शीर्ष अदालत ने कहा, 'ऐसे नीतिगत मुद्दे पर हम याचिकाकर्ता द्वारा मांगे गए निर्देश जारी करने के इच्छुक नहीं हैं. इस अदालत के समक्ष यह संकेत देने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि चुनाव आयोग अपने आदेश को पूरा करने के लिए उचित कदम नहीं उठा रहा है. हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं.'

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