जयपुर. ऑटिज्म एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें पीड़ित बचपन से ही दूसरे सामान्य बच्चों की तरह अपने परिवार या आसपास के माहौल के साथ नहीं जुड़ पाते हैं. वो किसी बात को सुन कर सामान्य बच्चों की तरह प्रतिक्रिया नहीं दे पाते हैं. कई बार जानकारी के अभाव में परिवार या समाज में उन बच्चों को सही माहौल नहीं मिल पाता है, जबकि इन बच्चों में कुछ विशेष खूबियां भी होती हैं. परिवार के सदस्य समय पर इसकी जानकारी ले लें तो ऑटिज्म से प्रभावित बच्चें भी सामान्य बच्चों से बेहतर कुछ कर सकते हैं और अन्य बच्चों के लिए प्रेरणादायक भी बन सकते हैं. आज मंगलवार को विश्व ऑटिज्म दिवस है, यानी ऑटिज्म से प्रभावितों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया जा सके. इस खास दिन हम आप को मिलाते हैं जयपुर के अक्षय भटनागर से. अक्षय प्रदेश के पहले ऑटिज्म ग्रेजुएट ही नहीं, बल्कि पहले ऑटिस्टिक कर्मचारी भी बने. इतना ही नहीं, कई खेलों में बेहतरीन परफॉर्मेंस से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी हुए हैं.
दरअसल, इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरुक करने के मकसद से हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में 2 अप्रैल के दिन को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस घोषित किया था. इस दिन उन बच्चों और बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं, जो ऑटिज्म से प्रभावित होते हैं और साथ ही उन्हें इस समस्या के साथ सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है. राजस्थान में फाउंडेशन फॉर ऑटिज्म एंड डेवलपमेंट डिसेबिलिटी के प्रयास से इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाने लगा है. फाउंडेशन की सेकेट्री प्रतिभा भटनागर बताती हैं कि नीला रंग आटिज्म का प्रतीक माना गया है. एक आंकड़े के मुताबिक भारत में तकरीबन 1.8 करोड़ लोग ऑटिज्म से प्रभावित हैं. ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को लेकर समाज में भी तमाम तरह की धारणाएं मौजूद हैं, ऐसे लोगों को लेकर लोगों के मन में कई तरह के मिथक हैं.
ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं : प्रतिभा कहती हैं कि ऑटिज्म अब वर्ल्ड की सबसे तेजी से बढ़ने वाली दिव्यांगता बन चुकी है. इस दिन ऑटिज्म को लेकर जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. इस दिन नीली रोशनी की जाती है. यह लड़कों में ज्यादा होता है और लड़कों को हम नीली रोशनी या नीले रंग से जोड़ते हैं. जयपुर में इस बार मोन्यूमेंट पर नीली रोशनी होगी. प्रतिभा बताती हैं कि ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं है, यह व्यक्ति के सोचने का अलग तरीका है. इसके ब्रेन का स्ट्रक्चर ही ऐसा है कि यह लोग अलग तरीके से सोचते हैं और यह विजुअल लर्नर ज्यादा होते हैं.
राजस्थान का पहला ऑटिस्टिक ग्रेजुएट : अक्षय भटनागर राजस्थान सचिवालय में कार्मिक विभाग के जूनियर क्लर्क है. राजस्थान के पहले ऑटिस्टिक ग्रेजुएट होने के साथ अक्षय सामान्य प्रतिभागी की तरह प्रतियोगी परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी हासिल करने वाले राज्य के पहले और संभवत: देश के भी पहले ऑर्टिस्टिक के रूप में अपनी अनूठी पहचान भी रखते हैं. इसके साथ अक्षय ऑटिज्म होने के बावजूद स्कूल से कॉलेज तक और फिर नौकरी हासिल करने तक असीमित प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है.
ये उपलब्धि की हासिल :
- अक्षय को राष्ट्रीय स्तर पर कई अवॉर्ड मिल चुके हैं-
- राष्ट्रीय पुरस्कार रोल मॉडल ऑटिज्म -2018
- राज्य पुरस्कार रोल मॉडल - 2017
- केविन केयर एबिलिटी मास्टरी अवार्ड 2019
- दिव्यांग रत्न अवार्ड-2018
- जयपुर रत्न अवार्ड-2019
- राजस्थान चुनाव आयोग द्वारा जयपुर जिले में आम चुनाव-2019 और 2023 के लिए जिला आइकन और ब्रांड एंबेसडर के रूप में नामित.
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खेल पदक:
राजस्थान राज्य पैरा एथलेटिक चैम्पियनशिप -
- 1500 मीटर में स्वर्ण पदक.
- 400 मीटर में कांस्य पदक-2017
- शॉट-पुट में 2019, 2020, 2021, 2022 और 2023 में स्वर्ण पदक.
- 2 स्वर्ण पदक-तैराकी फ्रीस्टाइल-50 मीटर, 100 मीटर
सेरेब्रल पाल्सी के लिए 16वीं राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2020:
- शॉट-पुट में रजत पदक.
- 4X100 मीटर रिले में कांस्य पदक.
- शॉटपुट-2021 में कांस्य पदक.
- राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स 2021: शॉट-पुट में कांस्य पदक
अंतर्राष्ट्रीय ( ओशिनिया एशियन गेम्स, ब्रिसबेन, ऑस्ट्रेलिया-2022):
- रजत पदक: भाला फेंक.
- स्वर्ण पदक: डिस्कस थ्रो.
- स्वर्ण पदक: शॉट-पुट थ्रो.
- अक्षय भटनागर, राजस्थान में ऑटिज्म प्रभावित प्रथम स्नातक (2014)
- राजस्थान में ऑटिज्म प्रभावित पहला सरकारी कर्मचारी.